फिर हराओ ‘कोरोना’ को

संजय सिंह ‘चन्दन’धनबाद (झारखंड )******************************** मानव जीवन था नज़र बंद,पक्षी-पौधे थे पूर्ण स्वछंदपर्यावरण हुआ स्वच्छ मंद,नहरों-नदियों में अंतर्द्वंद। दृष्टिगत हुई नदियाँ गहरी,पक्षी स्वयं समझे उड़नपरीदुनिया इंद्रधनुषी रही खड़ी,खुशहाली कर्फ्यू की…

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सायकिल की सवारी

सरोजिनी चौधरीजबलपुर (मध्यप्रदेश)********************************** सुनो सायकिल बड़े काम कीएक सायकिल रखना पास,इसमें इतने सारे गुण हैंसबके लिए बहुत ही ख़ास। बच्चे-बूढ़े सभी चलातेमत करना इसका उपहास,नहीं बहुत महँगी यह आतीहै यह…

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आते-जाते रहेंगे तूफान

मंजू अशोक राजाभोजभंडारा (महाराष्ट्र)******************************************* एक शहर में मैंने देखा,ऐसा भयानक तबाही का मंजरवहाँ कुछ पल पहले ही,थमा था तूफान आकर। कुछ लोग थे उदास,अपना बहुत कुछ खोकरकुछ लोग थे,बिलख-बिलख कर…

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ओ मानुष ! काहे ? फिरे मारा-मारा

प्रीति तिवारी कश्मीरा ‘वंदना शिवदासी’सहारनपुर (उप्र)************************************************** ओ मानुष ! काहे ‌? फिरे मारा-मारा,ये संसार चार दिनों को ही है तुम्हारा। माया जाल में फंसकर,भूल न जाना प्रभु कोसुमिरन में समय…

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तुम बिन अधूरे हम

दीप्ति खरेमंडला (मध्यप्रदेश)************************************* चाहे खुशियाँ हों या ग़म,सदा रहेंगे हम संग-संगछोड़ कर मुझे जाना नहीं,तुम बिन न रह पाएंगे हम।बस इतना तुम जान लो,तुम बिन अधूरे हैं हम सनम…॥ चाहे…

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सच के दर्पण में…

हरिहर सिंह चौहानइन्दौर (मध्यप्रदेश )************************************ दृष्टि कब बदलोगे ?जमाना भी बदल गयाझूठों के सामने क्या देखते हो ?सच के दर्पण में भविष्य है। चारों ओर अंधियारा छाया,लोभ-मोह-लालच में इंसान घिराउसे…

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इतना बदल जाओगे!

डॉ. श्राबनी चक्रवर्तीबिलासपुर (छतीसगढ़)************************************************* समय के साथ,सब-कुछ बदल जाता हैरूप, रंग, तन, मन, धन। क्या स्वभाव बदल जाता है!हाव-भाव बदल सकता हैबात और लहजा बदल जाता है। शायद यही हकीकत…

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जय-जय हिंदुस्तान

संजय सिंह ‘चन्दन’धनबाद (झारखंड )******************************** खुद स्वीकारी पाकिस्तान ने बातें यह,प्रायोजित आतंकवाद का अपना सहभारत हमले में गया आतंकी किला ढह,'आपरेशन सिंदूर' से हिंदुस्तान ने की फतेह। अब होगा सिंधु…

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कौन सुनेगा मेरी ?

राधा गोयलनई दिल्ली****************************************** रफ्ता-रफ्ता ज़िंदगी की राह पर चलता रहा,हर कदम पर मेरा अपना ही मुझे छलता रहा। किससे करने जाएँ शिकायत, कौन सुनेगा मेरी ?जब मेरे अपनों ने, इज्जत…

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हे हरि! तुम आना प्रीत निभाने

सरोज प्रजापति ‘सरोज’मंडी (हिमाचल प्रदेश)*********************************************** हे हरि !बहुत दिनों से बैचैनतुम्हारी बाट जोह रही हूँ,जैसे शबरी की तड़पती आशाजैसे विदुर की गहन प्रत्याशा। हे हरि!तुम मेरे सपनों में आना,तुम आना…

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