नसीब मेरा

हीरा सिंह चाहिल ‘बिल्ले’बिलासपुर (छत्तीसगढ़)********************************************* रचनाशिल्प:काफिया-हुआ, नुमा, सजा, कहा, भला, रहा, लगा, बुरा इत्यादि। रदीफ़-था नसीब मेरा... हसीन दिलकश मुहब्बतें थीं, मिटा हुआ था नसीब मेरा।यकीन होता अगर खुदी पर,…

Comments Off on नसीब मेरा

चलना हमें सिखा दे

हीरा सिंह चाहिल ‘बिल्ले’बिलासपुर (छत्तीसगढ़)********************************************* रचनाशिल्प:काफिया-दिखा, सिखा, सजा, निभा, बता, पता, गिरा, बुझा, इत्यादि। रदीफ़-दे, २२१ २१२२ २२१ २१२२ ऐ ज़िन्दगी के मालिक, इसकी डगर दिखा दे।है रहगुज़र मगर तू,…

Comments Off on चलना हमें सिखा दे

जज़्बात दिवाने के

हीरा सिंह चाहिल ‘बिल्ले’बिलासपुर (छत्तीसगढ़)********************************************* रचनाशिल्प:काफिया-आने स्वर में, दिवाने, सजाने, उड़ाने, कराने, डुबान, बिताने, बहाने, इत्यादि; रदीफ़-के। अहसास बनाते हैं, जज्बात दिवाने के।हालात नहीं बनते, जज्बात सजाने के। मुमकिन हो…

Comments Off on जज़्बात दिवाने के

दिल को भिगा रहे

हीरा सिंह चाहिल ‘बिल्ले’बिलासपुर (छत्तीसगढ़)********************************************* रचनाशिल्प:काफिया- भिगा, गिरा, सता, बना, निभा, दिखा इत्यादि; रदीफ़-रहे, २२१ २१२१ २२२१ २१२ बरसात, बनके मिल गए, दिल को भिगा रहे।उनके खयाल, आँख से बूंदें…

Comments Off on दिल को भिगा रहे

जीते सब अपने ढब से

ममता तिवारी ‘ममता’जांजगीर-चाम्पा(छत्तीसगढ़)************************************** जीते हैं सब अपने ढब से,अपने-अपने बस मतलब से…। चढ़ते जाते इक-इक जीना,बुलंदियों की लगी तलब से…। भरा हुआ भर-भर ले जाता,जरूरत वाला बैठा कब से…। कहते…

Comments Off on जीते सब अपने ढब से

गम जला देंगे हम

स्वराक्षी ‘स्वरा’खगड़िया (बिहार)************************* इस बुरे दौर को हॅंस कर ही बिता देंगे हम,मुश्किलों का वजन कितना हो, गिरा देंगे हम। दूर रखना नहीं हमसे कभी हमारा गम,अपने अश्कों के अलावों…

Comments Off on गम जला देंगे हम

इम्तिहान

गोपाल मोहन मिश्रदरभंगा (बिहार)***************************************** जिंदगी में वो मकाम आया है,हर रिश्ते ने हमें आजमाया है। कभी सब्र का कभी सहनशक्ति का,हर दिन इम्तिहान चलता आया है। शायद चलेगा तब तक…

Comments Off on इम्तिहान

जीती उल्फ़त

अब्दुल हमीद इदरीसी ‘हमीद कानपुरी’कानपुर(उत्तर प्रदेश)********************************************* हारी नफ़रत जीती उल्फ़त।करता क्यूँ कर कोई हैरत। बात नहीं थी जब कानूनन,कैसे होता कोई सहमत। बात उसी की माने हरदम,जिससे जिसकी होती निस्बत।…

Comments Off on जीती उल्फ़त

सुन्दर देश बनाना चाहिए

अब्दुल हमीद इदरीसी ‘हमीद कानपुरी’कानपुर(उत्तर प्रदेश)********************************************* रौब सत्ता का नहीं सबको दिखाना चाहिए।आम जनता पर नहीं यूँ ज़ुल्म ढाना चाहिए। इक घड़ी को याद आती जब नहीं उसको मेरी,तब मुझे…

Comments Off on सुन्दर देश बनाना चाहिए

बदला न फैसला मेरा

अब्दुल हमीद इदरीसी ‘हमीद कानपुरी’कानपुर(उत्तर प्रदेश)********************************************* दिल कहीं फिर नहीं लगा मेरा।दूर जब से हुआ सखा मेरा। तोड़ना रब न हौंसला मेरा।आज ज़ालिम से सामना मेरा। सामने ही कहे सदा…

Comments Off on बदला न फैसला मेरा