बोझ उतार कर जाना
अब्दुल हमीद इदरीसी ‘हमीद कानपुरी’कानपुर(उत्तर प्रदेश)********************************************* बोझ सारे उतार कर जाना।अब न शेखी बघार कर जाना। इससे मिलता नहीं कहीं कुछ भी,अब जुनूं मत सवार कर जाना। माँगने से नहीं मिलेगा कुछ,हाथ अब मत पसार कर जाना। पूछता शख़्स को कहाँ कोई,शख्सियत को उभारकर जाना। चन्द रोज़ा है ज़िन्दगी अपनी,सारे कर्ज़े उतार कर जाना॥ परिचय … Read more