दिसंबर गुज़र गया

सुश्री अंजुमन मंसूरी ‘आरज़ू’छिंदवाड़ा (मध्य प्रदेश)****************************************** फिर साल-ए-नौ तुम्हारा दिसंबर गुज़र गया।फिर वक़्त ने पुकारा दिसंबर गुज़र गया। फिर ख़्वाब जनवरी के अधूरे ही रह गए,फिर लौटकर ख़ुदारा दिसंबर गुज़र…

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हठीली ठंड

सुश्री अंजुमन मंसूरी ‘आरज़ू’छिंदवाड़ा (मध्य प्रदेश)****************************************** ये बर्फ़ीली हवाएंँ तेज़ तूफ़ाँ ये हठीली ठंड।मुक़ाबिल तुमको पाकर हो गई कितनी गुलाबी ठंड। तुम्हारी याद की इक गुनगुनी- सी धूप के दम…

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न दिलों का करार हूॅं

हीरा सिंह चाहिल ‘बिल्ले’बिलासपुर (छत्तीसगढ़)********************************************* न मुहब्बतों का खुमार है, न ही मैं दिलों का करार हूॅं।न रही वो बात भी वक्त में, मैं अभी गमों का दयार हूॅं। न…

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न प्यार निभा सके

हीरा सिंह चाहिल ‘बिल्ले’बिलासपुर (छत्तीसगढ़)********************************************* न मिला किसी से वो प्यार जो, ये दिले करार सजा सके।न सजे अगर तो मिटा रहे, जो यहाॅं न प्यार निभा सके। न दिखे…

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रुसवा न करो दिल को

हीरा सिंह चाहिल ‘बिल्ले’बिलासपुर (छत्तीसगढ़)********************************************* हर दिल में खुदाई है, रुसवा न करो दिल को।उल्फत न सजे फिर भी मिटने तो न दो दिल को। हर दिल की मुहब्बत पे…

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जानते हैं

सुश्री अंजुमन मंसूरी ‘आरज़ू’छिंदवाड़ा (मध्य प्रदेश)****************************************** एक दरिया-सा मुसलसल१ है रवाँ२ जानते हैं,हम ज़माने से ज़माने को यहाँ जानते हैं। राह-ए-हक़ पर हमें रखना हैं अकेले ही क़दम,साथ देगा न…

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कहाॅं से करार हो

हीरा सिंह चाहिल ‘बिल्ले’बिलासपुर (छत्तीसगढ़)********************************************* रचनाशिल्प: ११२१२ ११२१२ ११२१२ ११२१२... न सजा सका जो खुदी को दिल, तो कहाॅं से दिल में करार हो।जो खुदी से प्यार न कर सका,…

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न मिला करार-ए-दिल

हीरा सिंह चाहिल ‘बिल्ले’बिलासपुर (छत्तीसगढ़)********************************************* ग़ज़ल विधान में-ए-की मात्रा नगण्य, ११२१२, ११२१२, ११२१२, ११२१२... न किसी से प्यार मिला मुझे, न दिया किसी ने करार-ए- दिल।न किसी ने दी वो…

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प्यार भर दो तुम

हीरा सिंह चाहिल ‘बिल्ले’बिलासपुर (छत्तीसगढ़)********************************************* आज तो मिलकर हमें, गुलजार कर दो यार तुम।हम भले अन्जान हैं पर प्यार भर दो यार तुम। देख ली तस्वीर जबसे, दिल ने बेबस…

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गुल खिला होता

ममता तिवारी ‘ममता’जांजगीर-चाम्पा(छत्तीसगढ़)************************************** विधाता छँद आधारित.... दरिया प्यार का बहता सुकूँ का गुल खिला होता,बवाली जात आदम, काश! अमन से तू भरा होता। मुरव्वत से अगर रहते कज़ा हँसती हुई…

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