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अज़ाब से पानी

सुश्री अंजुमन मंसूरी ‘आरज़ू’
छिंदवाड़ा (मध्य प्रदेश)
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‘विश्व जल दिवस’ विशेष…

ज़िंदगी के अज़ाब से पानी।
देखो भरते नवाब से पानी।

ज्यों ही छलका हिजाब से पानी।
गुम हुआ माहताब से पानी।

इश्क़ की कारसाज़ियाँ देखो,
झाँके रुख़ का नक़ाब से पानी।

चूम कर लब, मुझे महब्बत है,
कह रहा है गुलाब से पानी।

छोटी-छोटी-सी मेरी आँखों में,
है ज़ियादा चनाब से पानी।

आप दरिया के पास हैं फिर भी,
ख़र्च कीजे हिसाब से पानी।

इक हक़ीक़त से सामना जो हुआ,
मिल के रोया है ख़्वाब से पानी।

मेरी रूदाद सुनके ग़ज़लों में,
देखो छलका ‘रबाब’ से पानी।

गर न मेहनत का हो तो दो दिन में,
उड़ ही जाए ख़िताब से पानी।
जिनको अंगूर चाहिए सच के,
वो निकालें शराब से पानी।

किसकी क़ुव्वत है जो निचोड़ सके,
आग से, आफ़ताब से पानी।

कुछ न बाक़ी रहेगा गर सूखा,
ज़िंदगी की क़िताब से पानी।

‘आरज़ू’ है कि, सब सवालों को,
हम पिलाएँ जवाब से पानी॥
(इक दृष्टि इधर भी:रबाब= एक वाद्य यंत्र, ख़िताब= उपाधि, पुरस्कार)

परिचय-सुश्री अंजुमन मंसूरी लेखन क्षेत्र में साहित्यिक उपनाम ‘आरज़ू’ से ख्यात हैं। जन्म ३० दिसम्बर १९७७ को छिंदवाड़ा (मध्य प्रदेश) में हुआ है। वर्तमान में सुश्री मंसूरी जिला छिंदवाड़ा में ही स्थाई रुप से बसी हुई हैं। संस्कृत, हिंदी एवं उर्दू भाषा को बराबरी से जानने वाली आरज़ू ने संस्कृत साहित्य के साथ स्नातक, हिंदी साहित्य एवं उर्दू साहित्य से परास्नातक, डी.एड. और बी.एड. की शिक्षा ली है। आपका कार्यक्षेत्र-उच्च मा. शिक्षक (व्याख्याता) का है, आप शा. उत्कृष्ट विद्यालय में पदस्थ हैं। सामाजिक गतिविधि में आप दिव्यांगों के कल्याण हेतु कुछ मंचों से संबद्ध होकर सक्रिय हैं। इनकी लेखन विधा-मुख्यतः ग़ज़ल है, साथ ही यह गीत, कविता, हाइकु, लघुकथा आदि भी लिखती हैं। इस दौर की ग़ज़लें, माँ माँ माँ मेरी माँ, देश की ११ लोकप्रिय कवयित्रियाँ, भारत को जानें जैसे अनेक सांझा संकलन में रचना हैं तो देश के सभी हिंदीभाषी राज्यों से प्रकाशित प्रतिष्ठित साहित्यिक पत्र-पत्रिकाओं सहित अंतर्राष्ट्रीय में भी कई रचनाएंँ प्रकाशित हैं। मप्र साहित्य अकादमी सम्मान से विभूषित वेबसाइट हिंदीभाषा डॉट कॉम तथा उर्दू साहित्य की प्रतिष्ठित वेबसाइट रेख़्ता में भी आरज़ू की ग़ज़लें प्रकाशित हैं । समय-समय पर आपकी रचनाओं का प्रसारण आकाशवाणी एवं दूरदर्शन से होता रहता है। आपके ग़ज़ल-संग्रह ‘रौशनी के हमसफ़र’ और ‘अनवर से गुफ़्तगू’ प्रकाशित हो चुके हैं तथा कुछ प्रकाशनाधीन हैं। बात सम्मान की करें तो सुश्री मंसूरी को-‘पाथेय सृजनश्री अलंकरण’ सम्मान (म.प्र.), ‘अनमोल सृजन अलंकरण’ (दिल्ली)२०१७, काव्य भूषण सम्मान २०१८, साहित्य अभिविन्यास सम्मान, दी ग्लोबल बुक ऑफ लिटरेचर अवॉर्ड २०१९, विश्व की सर्वाधिक लोकप्रिय १११ महिला साहित्यकारों में शीर्ष प्रथम स्थान प्राप्त, हिंदुस्तानी अकादमी से महादेवी वर्मा सम्मान २०२०, युगधारा फाउंडेशन से साहित्य रत्न सम्मान २०२१, मध्य रेलवे नागपुर मंडल से राजभाषा विभाग द्वारा हिंदी रचनाकार सम्मान २०२३ सहित अनेक साहित्यिक संस्थाओं से सर्वश्रेष्ठ कवियित्री सम्मान प्राप्त हैं। विशेष उपलब्धि-प्रसिद्ध व्यंग्यकार हरिशंकर परसाई के शिष्य पंडित श्याम मोहन दुबे की शिष्या होना एवं कुछ कविताओं का विश्व की १२ भाषाओं में अनुवाद होना है। बड़ी बात यह है कि आरज़ू ८० फीसदी दृष्टिबाधित होते हुए भी सक्रियता से सामान्य जीवन ही नहीं जी रही , बल्कि रचनाधर्मिता में सक्रियता से सेवारत हैं। आपकी लेखनी का उद्देश्य-अपने भावपूर्ण शब्दों से पाठकों में प्रेरणा का संचार करना है। पसंदीदा हिन्दी लेखक-महादेवी वर्मा तो प्रेरणा पुंज-माता-पिता हैं। सुख और दु:ख की मिश्रित अभिव्यक्ति इनके साहित्य सृजन की प्रेरणा है। देश और हिंदी भाषा के प्रति आपके विचार-
‘हिंदी बिछा के सोऊँ, हिंदी ही ओढ़ती हूँ।
इस हिंदी के सहारे, मैं हिंद जोड़ती हूँ॥
आपकी दृष्टि में ‘मातृभाषा’ को ‘भाषा मात्र’ होने से बचाना है।’