बुद्ध सार कहता है

आशा आजाद`कृति`कोरबा (छत्तीसगढ़) ******************************************* बुद्ध सार कहता है सुन लो, कण-कण में शुभ ज्ञान है।क्यों पूजें हम पत्थर मूरत, पुण्य कर्म ही दान है॥ हमें जरूरत पंचतत्व की, यह जीवन आधार है,अग्नि वायु नभ अरु यह धरती, जल सबका निज सार है।जीव बचाती प्रकृति हमारी, यह ही अपनी मान है,बुद्ध सार कहता है सुन लो, … Read more

गिरिधारी, कलियुग में आ जाओ

प्रो.डॉ. शरद नारायण खरेमंडला(मध्यप्रदेश)******************************************* हे! गिरिधारी नंदलाल, तुम कलियुग में आ जाओ।जीवन देखो दर्द सना है, पीड़ा सकल हटाओ॥ जीवन तो अभिशाप हो रहा,बढ़ता नित संताप है।अधरम का तो राज हो गया,विहँस रहा अब पाप है॥गायों,ग्वालों,नदियों,गिरि की,रौनक फिर लौटाओ,ज़हर मारकर सुधा बाँट दो, चमत्कार दिखलाओ॥ अंधकार की बन आई है,अंधों की है महफिल।फेंक रहा नित … Read more

दीप पर्व

प्रो.डॉ. शरद नारायण खरेमंडला(मध्यप्रदेश)******************************************* रोशनी से ज़िन्दगी…. दीप दिप-दिप है दमकता, खुश हुआ व्यवहार है।भाव की माला पिरोकर, द्वार पर त्योहार है॥ काल मंगलमय-सुहाना,अल्पनाएँ हैं सजीं।रोशनी देती दुआएँ,सरगमें लय में बजीं॥बस्तियाँ उल्लास में सब, प्रेममय मनुहार है,भाव की माला पिरोकर, द्वार पर त्योहार है…॥ राग महके आज तो बस,द्वेष की तो है विदा।दीप थाली में … Read more

सावन में बिरह

शंकरलाल जांगिड़ ‘शंकर दादाजी’रावतसर(राजस्थान) ****************************************** बीत गया युग मिल जाओ तो हृदय कमल खिल जाये।युग की प्यासी इन अँखियों को दरश तेरा मिल जाये॥ राह चुनी ऐसी मग चलते, शायद तुम मिल जाओ,मन दर्पण पर धूल जमी है उज्ज्वल आन बनाओ।देख सकूँ उसमें मुख तेरा मन बगिया खिल जाये,युग की प्यासी इन अँखियों को दरश तेरा … Read more

अपना कोई नहीं बहाना

विजयलक्ष्मी विभा इलाहाबाद(उत्तरप्रदेश)************************************ रोज रात का आना-जाना,रोज सबेरे का इठलानालगता है ये दोनों ही हैं,इस जीवन का ताना-बाना। एक पूर्व से पश्चिम तक है,और एक उत्तर से दक्षिणसभी बंधे हैं इन धागों से,नहीं कोई इनसे है उऋण।साँस-साँस से गूंजा करता,इनका राग इन्हीं का गाना॥लगता है ये दोनों ही… इन तानों-बानों में होती,रोज-रोज कुछ खींचा-तानीनहीं दिशाएँ थकतीं … Read more

अमन-शांति का अलग मजा

शंकरलाल जांगिड़ ‘शंकर दादाजी’रावतसर(राजस्थान) ****************************************** छोड़ पाशविकता ये सोचो अमन-शांति का अलग मज़ा है।हो अशान्ति साम्राज्य जहाँ वो जीवन लगता एक सज़ा है॥ विश्व लगे उपवन के जैसा है महक उठे कोना- कोना,खुशियों के फिर उठें बवंडर कहीं न हो रोना- धोना।उठें न मज़हब की दीवारें सारे झगड़ों की जो वज़ह है,हो अशान्ति साम्राज्य…॥ मानव की … Read more

प्रीत हमारी

डॉ.सरला सिंह`स्निग्धा`दिल्ली************************************** चातक सम यह प्रीत हमारी,उड़ने को आकाश चाहिए।क्षितिज तक हो यात्रा अपनी,होना अब नहीं हताश चाहिए॥ भाग रहे यह दिन द्रुत गति से,पकड़ नहीं आते जाने क्यों ?लाख करे कोशिश दिन जाते,रेत फिसलती हाथों से ज्यों।समय हमें यह प्राप्त हुआ जो,भरना उसमें है प्रकाश चाहिए॥ चंदा साथ चाँदनी विचरे,देख पखेरू मिलकर फिरते।प्रिया देश … Read more

आज अमिय-धारा

प्रो.डॉ. शरद नारायण खरेमंडला(मध्यप्रदेश)******************************************* शरद पूर्णिमा विशेष… नहा रहा है शुभ्र किरण में, देखो जग सारा है।चंदा की किरणों से बरसे,आज अमिय-धारा है॥ शरद निशा की गति-मति न्यारी,हर उर आज सुवासित है।जीवन में है एक नई लय,मौसम भी श्रंगारित है।इसने दिल हारा है देखो, उसने दिल हारा है,चंदा की किरणों से बरसे,आज अमिय-धारा है…॥ शुभ्र … Read more

जीवन…उजाला मिल जाए

शंकरलाल जांगिड़ ‘शंकर दादाजी’रावतसर(राजस्थान) ****************************************** जीवन में अंधेरा है फिर भी मजबूर हुए जीने के लिए।अंतर को उजाला मिल जाए कुछ आने वाले पल के लिए॥ आकाश निरंतर कहता है तुम छाँव करो सारे जग पर,रुकने का है न विकल्प कोई बढ़ते जाओ कंटक मग पर।जीवन ही बना है ये अपना बस सिर्फ ज़हर पीने के … Read more

सपनों का भारत

दुर्गेश कुमार मेघवाल ‘डी.कुमार ‘अजस्र’बूंदी (राजस्थान)************************************************** गाँधी-शास्त्री जयंती विशेष… बापू तेरे सपनों का भारत,आज बड़ी मुश्किल में है।सत्य अहिंसा तुझको पाने,ढूंढे हर महफ़िल में है॥बापू तेरे सपनों का भारत… सच है बोझिल, सच है प्रताड़ित,सच भी सच में घबराए।सत्य ही जयते कहते सब जन,पीड़ा सच की समझ न पाए।झूठ के आगे सिमटा सच है,झूठा सच … Read more