तुम ही तो शुभ साज हो

आशा आजाद`कृति`कोरबा (छत्तीसगढ़) ******************************************* प्रियवर मेरे हृदय भाव की, तुम ही तो आवाज हो।आशा के हर गीत सृजन का, तुम ही तो शुभ साज हो॥ प्रियतम तुम्हीं गीत सार में, तुम तो शुभ नव भावना,अविरल तेरे प्रेम धार से, पाती निर्मल कामना।मधुर मधुर श्रृंगार गीत का, तुम ही तो आगाज हो,आशा के हर गीत सृजन … Read more

धीमा ज़हर, ले मुँह मोड़

प्रो.डॉ. शरद नारायण खरेमंडला(मध्यप्रदेश) ******************************************* तम्बाकू धीमा ज़हर,इससे ले मुँह मोड़।तम्बाकू सेवन नहीं,इसको दे तू छोड़॥ तम्बाकू को जान ले,लाती ढेरों रोग।फिर भी सेवन कर रहे,देखो मूरख लोग॥तम्बाकू से चेतना,होती है नित लुप्त।समझ-सोच की बुद्धि भी,हो जाती है सुप्त॥ और नहीं अब बंधुवर,नहीं नशे की होड़।तम्बाकू सेवन नहीं,इसको दे तू छोड़…॥ तम्बाकू लेती यहाँ,सतत् अनेकों … Read more

बूंद न व्यर्थ गंवाएं

विजयलक्ष्मी विभा इलाहाबाद(उत्तरप्रदेश)************************************ जल ही कल…. जल ही जल है, जल ही कल है,बूंद न व्यर्थ गंवायें।जल से मिलता जीवन कैसे,आओ हम समझायें॥ जल से ही दिखती है भू पर,खेतों में हरियालीगेहूं, ज्वार, बाजरा, मक्का,सबकी फसल निराली।आओ इसका करें संरक्षण,कुछ कर्तव्य निभायें॥ जल से ही दिखते हैं भाई,खिलते सब वन उपवनफल-फूलों से सजा दिखता,धरती का घर-आँगन।जल … Read more

हम करें प्रयास

शंकरलाल जांगिड़ ‘शंकर दादाजी’रावतसर(राजस्थान) ****************************************** हो हरित वसुंधरा….. वातावरण सुरम्य हर तरफ़ हरा-भरा।हम करें प्रयास सभी हो हरित वसुंधरा॥ वृक्ष हों घने-घनें लचक रहीं डालियाँ,खेतों में धान की लहरा रही बालियाँ।लुटाए खजाने हमें अपनी माता धरा,हम करें प्रयास सभी…॥ जगमगाती दिनकर की किरणों का साथ हो,पतझड़ न आये कभी खिले-खिले बाग हो।नृत्य कर रहे मयूर पी … Read more

आशा

शंकरलाल जांगिड़ ‘शंकर दादाजी’रावतसर(राजस्थान) ****************************************** बीतेगा गर्मी का मौसम जब होगी बरसात।उमड़ घुमड़ कर बदरा दिखलायेगा निज औकात॥ प्राची से सूरज निकलेगा किरणें मुस्कायेंगी,होगा नवल प्रभात गोरियाँ मिल मंगल गायेंगी।होगी खतम घिरी जो तम से वो अँधियारी रात,बीतेगा गर्मी का मौसम जब होगी बरसात…॥ झूम उठेगी धरती सारी हरियाली छायेगी,महकेंगे सब खेत जवानी खेतों पर आयेगी।फसल … Read more

बनकर के इंसान जगत में

शंकरलाल जांगिड़ ‘शंकर दादाजी’रावतसर(राजस्थान) ****************************************** बनकर के इंसान जगत में, अपना नाम कमाओ।मानव हो मानवता रक्खो, मानव धर्म निभाओ॥ कर्म निरंतर करते रहना,है कर्तव्य तुम्हाराबिन लहरों का किये सामना,मिलता नहीं किनारा।पार करो जीवन सागर तुम, डूब कहीं नहिं जाओ,बनकर के इंसान…॥ नही मिलेगा कोई तुमको,साथ निभाने वालादुनिया के झंझावातों से,सदा पड़ेगा पाला।कदम कहीं रुकने नहिं पाये, … Read more

प्रभु की रचना…

हीरा सिंह चाहिल ‘बिल्ले’बिलासपुर (छत्तीसगढ़) ********************************************* रचनाशिल्प:मापनी- प्रति चरण १६ मात्रा, मुखड़ा ४ चरणों का, तथा तीन अंतरे ८-८ चरणों के प्रभु की रचना, कितनी न्यारी,जीव-जगत ने हर सुख पाया।मन का मौसम, तन की खुशियाँ,अंग सृष्टि का इन्हें बनाया॥प्रभु की रचना… धरती और गगन दोनों ही,इक-दूजे का प्रेम सजाते।सूरज, चाँद-किरण से अपनी,पहरों में धरती चमकाते।धरती, … Read more

मन दर्पन हम उजला कर लें

सरफ़राज़ हुसैन ‘फ़राज़’मुरादाबाद (उत्तरप्रदेश) ***************************************** सोच को अपनी ऊँचा कर लें।मन दर्पन हम उजला कर लें॥ झूठ से दामन पाक रखें हम,चुग़ली बदी से दूर रहें हम।छोड़ के हर इक काम बुरा अब,दिल को अपने सच्चा कर लें।मन दर्पन हम उजला कर लें…॥ भाई चारा टूट न पाए,साथ हमारा छूट न पाए।अम्नो अमां की ख़ातिर आओ,ख़त्म … Read more

हो गीत का फेरा मेरे घर

विजयलक्ष्मी विभा इलाहाबाद(उत्तरप्रदेश)************************************ यह नियम नियति का है कैसा,है जगत का डेरा मेरे घर।ये भाव कहीं जाकर विचरें,हो गीत का फेरा मेरे घर॥ सूरज से नाता मैं न रखूं,पर किरणें बनी सहेली हैंआगे-पीछे दायें-बायें,अनबूझी अजब पहेली हैं।वह सूर्य बसा है सूने में,किरणों का बसेरा मेरे घर॥ शशि पर भी मैं आकृष्ट नहीं,पर तारे मुझे रिझाते हैंअपनी … Read more

हम उन्हीं से पूछ आते हैं

 डॉ. कुमारी कुन्दनपटना(बिहार)****************************** क्यों उलझ गई है ये जिन्दगी,कि चलो अब इसे सुलझाते हैं।आखिर हुई ऐसी बात क्या,हम उन्हीं से पूछ आते हैं॥ दिन-रात खयालों में क्यों,उनका आना-जाना है।होंठों पर भी क्यों हरदम,उनका ही तराना है।ख्वाबों में भी क्यों आते-जाते हैं,आखिर हुई ऐसी बात क्या-हम उन्हीं से पूछ आते हैं…॥ ये कैसी उदासी-सी,चहुंओर छायी है।चुपचाप … Read more