जिन्दगी गीत है…

हीरा सिंह चाहिल ‘बिल्ले’बिलासपुर (छत्तीसगढ़) ***************************** जिन्दगी गीत है गुनगुनाता हूँ मैं,धड़कनों की मधुर धुन सजाता हूँ मैं।दूर रहकर दिलों को मिलाता हूँ मैं,गीत से ही सभी को लुभाता हूँ मैं॥ तुम रचो तो बहुत प्यार मिल जाएगा,दिल तुम्हारा मुहब्बत से खिल जाएगा।हर उदासी मिटाता है संगीत ही,इसलिये तो खुशी चैन पाता हूँ मैं॥जिन्दगी गीत … Read more

मानो सच भगवान इस रोटी को

गुरुदीन वर्मा ‘आज़ाद’बारां (राजस्थान)******************************** करो नहीं बर्बाद तुम,ऐसे इस रोटी को।मानो सच भगवान तुम,यारों इस रोटी को॥ इतनी मेहनत यह इंसान,करता है किसके लिए,इतनी दुआयें ईश्वर से हम,करते हैं किसके लिए।कोई मजदूरी,नौकरी,कोई करता है व्यापार,करता है कोई व्याभिचार,रोटी यह पाने के लिए।करो नहीं बर्बाद तुम…॥ हर किसी की जान बसी है,यारों इस रोटी में,बहुत ताकत-इज्ज़त … Read more

आओ रे हमजोली

आशा आजाद`कृति`कोरबा (छत्तीसगढ़) ******************************************* आयी सुंदर आज देख लो,रंग भरी ये होली।रंग भरी पिचकारी ले लो,आओ रे हमजोली॥ छेड़ो सब जन साज नगाड़ा,गाओ मिल-जुल गाना,बिछा रहे रंगोली जैसे,मौसम लगे सुहाना।मीठी वाणी हृदय लुभाये,बोलें ऐसी बोली,रंग भरी पिचकारी ले लो,आओ रे हमजोली…॥ हरा लाल नारंगी सुंदर,नीला पीला डालो,ढोल नगाड़ा बजते जाए,गीत प्रेम के गा लो।सुरभित मन … Read more

होली आई रे…

माया मालवेन्द्र बदेकाउज्जैन (मध्यप्रदेश)********************************** रंग और हम(होली स्पर्धा विशेष )… आजा आजा रे साँवरिया,हम तो होली खेलेंगे।होली खेलेंगे ओ कान्हा,तेरे संग फाग खेलेंगे॥ बरसाने की गुजरी,बन-ठन कर जब आयेगी,ललिता सखी विशाखा,राधा के संग गायेगी।फागुन की अबीर उड़ेगी,रंग चुनरिया भीगेगी,यमुनाजी के तट पर कीच मचे जी,होली खेलेंगे।आजा आजा रे साँवरिया,हम तो होली खेलेंगे,होली खेलेंगे ओ कान्हा,तेरे … Read more

होली के रंगों से…

हीरा सिंह चाहिल ‘बिल्ले’बिलासपुर (छत्तीसगढ़) ************************************** रंग और हम(होली स्पर्धा विशेष )… रंग और हम,कितना सज के रहते हैं…हो…होली के रंगों से…होली के रंगों से…।भीगती हर चोली,चुनरिया होली में… हो…होली के रंगों से…होली के रंगों से…॥ भंग की मस्ती में,दस के बीस दिखते हैं,रंग से बस्ती को दुल्हन-सी रखते हैं।इस तरह के पर्व होते कहाँ … Read more

रंगीला फागुन

शंकरलाल जांगिड़ ‘शंकर दादाजी’रावतसर(राजस्थान) ****************************************** रंग और हम(होली स्पर्धा विशेष )… फागुन आया है रंगीला फागुन आया है,फागुन आया है रंगीला फागुन आया है।उड़ रही रंगों की बौछार,जी रंगीला फागुन आया॥ ये फागुन रंग रंगीला,मतवाला छैल छबीला,रग रग में मस्ती छाये,मन हो जाता जोशीला।हो रही मन में खुशी अपार,जी रंगीला फागुन आया॥ बगिया में कोयल बोले … Read more

पूरे ही डूबे थे हम

विजयलक्ष्मी विभा इलाहाबाद(उत्तरप्रदेश)************************************ रंग और हम(होली स्पर्धा विशेष )… होली के रंगों की हम पर थी बारिश,पूरे ही डूबे थे हम।लाल हरे पीले में काफी उमंगें थीं,काला रँग रचता था ग़म॥ रंगों में डूबे थे दुनिया से ऊबे थे,कोई भी चाहत न थी यहां अधूरीअपने घर सब कुछ था जो हमने चाहा था,कुछ न अनचाहा था … Read more

भारत की सबलाएँ हैं

विजयलक्ष्मी विभा इलाहाबाद(उत्तरप्रदेश)************************************ समझो हमें न अबला हम तो,भारत की सबलाएँ हैं,जला गगन को भी दें ऐसी,जौहर की ज्वालाएँ हैं।तीर सदृश रणवीरों की ही,हम असीम तूणीर बनीरक्षा हेतु देश की अपने,लोहे की प्राचीर बनी।दी बलियां पुत्रों की जिनने,वही वीर माताएँ हैं,समझो हमें न अबला हम तो,भारत की सबलाएँ हैं॥ जब भी आए संकट हम पर,युद्ध हेतु … Read more

आज भी वह तो लुटती है

गुरुदीन वर्मा ‘आज़ाद’बारां (राजस्थान)******************************** नारी और जीवन (अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस)…. बनकर बाजार की वस्तु,वह हर रोज सजती है।मुजरे दरबार की रौनक,वह अक्सर बनती है॥ वह एक सेज होती है,नेता लोगों के घर की,वह एक प्यास होती है,नशा-ए-इश्क एक दिल की।दौलत वालों के लिए वह,सौदा नफा का करती है,बनकर बाजार की वस्तु…॥ रही पिंजरे में ही … Read more

वेदना

डॉ.धारा बल्लभ पाण्डेय’आलोक’अल्मोड़ा(उत्तराखंड) *************************************** रचनाशिल्प:सार छंद आधारित,२८मात्रा, १६-१२ पर यति,पदांत-२२ विरह वेदना की पीड़ा सब,नैनों में भर आती।कहाँ छिपेगी हृदय वेदना,रो-रोकर कह जाती॥ कौन समझता व्यथा किसी की,दूजे के अंतर की।विपदा की पीड़ा तड़पन की,समझे कौन किसी की॥नैनों मैं निज मन की पीडा,खुद ही है बह जाती।कहाँ छिपेगी हृदय वेदना,रो-रोकर कह जाती॥ विरह वेदना के … Read more