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जिन्दगी गीत है…

हीरा सिंह चाहिल ‘बिल्ले’
बिलासपुर (छत्तीसगढ़)

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जिन्दगी गीत है गुनगुनाता हूँ मैं,
धड़कनों की मधुर धुन सजाता हूँ मैं।
दूर रहकर दिलों को मिलाता हूँ मैं,
गीत से ही सभी को लुभाता हूँ मैं॥

तुम रचो तो बहुत प्यार मिल जाएगा,
दिल तुम्हारा मुहब्बत से खिल जाएगा।
हर उदासी मिटाता है संगीत ही,
इसलिये तो खुशी चैन पाता हूँ मैं॥
जिन्दगी गीत है…

एक संसार है,एक भगवान हैं,
एक मन्जिल मगर राह अनजान है।
बेखबर राह का इक मुसाफ़िर बना,
राह अपनी धुनों पे बनाता हूँ मैं॥
जिन्दगी गीत है…

जिन्दगी चल रही साथ में वक्त के,
उम्र का वक्त बीते तभी ये रुके।
कुदरती हैं ये दस्तूर मैं मानता,
वक्त को भी कदर से निभाता हूँ मैं॥
जिन्दगी गीत है…

परिचय-हीरा सिंह चाहिल का उपनाम ‘बिल्ले’ है। जन्म तारीख-१५ फरवरी १९५५ तथा जन्म स्थान-कोतमा जिला- शहडोल (वर्तमान-अनूपपुर म.प्र.)है। वर्तमान एवं स्थाई पता तिफरा,बिलासपुर (छत्तीसगढ़)है। हिन्दी,अँग्रेजी,पंजाबी और बंगाली भाषा का ज्ञान रखने वाले श्री चाहिल की शिक्षा-हायर सेकंडरी और विद्युत में डिप्लोमा है। आपका कार्यक्षेत्र- छत्तीसगढ़ और म.प्र. है। सामाजिक गतिविधि में व्यावहारिक मेल-जोल को प्रमुखता देने वाले बिल्ले की लेखन विधा-गीत,ग़ज़ल और लेख होने के साथ ही अभ्यासरत हैं। लिखने का उद्देश्य-रुचि है। पसंदीदा हिन्दी लेखक-कवि नीरज हैं। प्रेरणापुंज-धर्मपत्नी श्रीमती शोभा चाहिल हैं। इनकी विशेषज्ञता-खेलकूद (फुटबॉल,वालीबाल,लान टेनिस)में है।

 

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