मैं और मेरा देश

आशा आजाद`कृति`कोरबा (छत्तीसगढ़) ******************************************* ‘मैं और मेरा देश’ स्पर्धा विशेष…….. मैं और मेरा देश श्रेष्ठ है,भारत माता शान है।जनगण मुख पर सुरभित होता,यह अपनी पहचान है॥ वतन परस्ती लहू-लहू में,श्रद्धा अमिट अपार है,जाति-पाति है भिन्न धरा पर,हिय में बसता प्यार है।आजादी का बिगुल बजाया, वीरों का बलिदान है,मैं और मेरा देश श्रेष्ठ है,भारत माता शान … Read more

जिएंगे-मरेंगे हिन्दुस्तान के लिए

अमल श्रीवास्तव बिलासपुर(छत्तीसगढ़) *********************************** ‘मैं और मेरा देश’ स्पर्धा विशेष…….. मातृ भू के मान,स्वाभिमान के लिए,गाँव,गली,खेत,खलिहान के लिए।तिरंगे की आन,बान,शान के लिए,जिएंगे,मरेंगे हिन्दुस्तान के लिए॥ जात-पात,रंग-भेद को मिटाएंगे,दीन,दुखियों को गले से लगाएंगे।भटकों को सही रास्ता दिखाएंगे,देश भक्ति-भाव फिर से जगाएंगे।त्याग के लिए भी बलिदान के लिए,जिएंगे-मरेंगे हिन्दुस्तान के लिए…॥ जन-गण-मन की बजेगी सरगम,हर स्वांस गाएगी वंदे … Read more

मैं हूँ मिथ्या

आशा आजाद`कृति`कोरबा (छत्तीसगढ़) ******************************************* संग चले नित झूठ दिखावा,मिथ्या नाम है।है घनिष्ठ निज छल से नाता,छलना काम है॥ भ्रमित जाल फैलाये रखती,ऐसी भावना,मनुज हृदय पर देती झूठी,मंगल कामना।दूर रहे मानव नित मुझसे,शुभ पैगाम है,संग चले नित झूठ दिखावा,मिथ्या नाम है…॥ बीच प्रेम के मैं घुस जाती,सुख निज लूटती,रिश्ते-नाते सब टूटे पर,कभी न टूटती।आँख मूँदकर जो … Read more

अपलक देखती रहूँ तुम्हें

डॉ. अनिल कुमार बाजपेयीजबलपुर (मध्यप्रदेश)************************************* तुम ही हो मेरी मांग का सिंदूर पिया।अपलक देखती रहूँ तुम्हें,भरे न जिया॥ एक पल के लिए होना न कभी ओझल,मेरी आँखों में रहो बनके तुम काजल।तुम ही आत्मा तुम ही हो परमात्मा मेरे,तुम्हारे बिन तो सूना पड़ा मेरा आँचल।तुम्हारे नयनों में बसता मेरा संसार पिया,अपलक देखती रहूँ तुम्हें,भरे न … Read more

चोरी-चोरी,चुपके-चुपके

डॉ.धारा बल्लभ पाण्डेय’आलोक’अल्मोड़ा(उत्तराखंड) *************************************** विष्णुपद छंद पर आधारित………….. चोरी-चोरी,चुपके-चुपके,प्रेमी प्रेम रहे।एक-दूसरे बिन दोनों यह,कैसे विरह सहे॥ चलते फिरते उठते जगते,है चिंतन करते,सोते हुए सभी सपनों में,वह आहें भरते।दु:खदाई हर पल होता है,किससे दर्द कहे,एक-दूसरे बिन दोनों यह,कैसे विरह सहे॥ प्रेम रोग संयोग दशा में,सुखदाई मिलने,यही विरह में दुखी पुष्प-सा,डाल बिना खिलने।कैसे दिन वो रातें कटती,नैनन … Read more

घाटी में…

जसवीर सिंह ‘हलधर’देहरादून( उत्तराखंड)******************************************** झूठ सत्य से तोल दिया है घाटी में।केसर का रस घोल दिया है घाटी में॥ दफा तीन सौ सत्तर किसने लगवाई,सोच समझकर ही हमने यह हटवाई।इसका कितना मोल दिया है घाटी में,झूठ सत्य से तोल दिया है घाटी में…॥ महबूबा या फारूक इसको कोस रहे,आतंकों को दशकों से जो पोस रहे।जंगी … Read more

हरियाली से भू सुरक्षित

शंकरलाल जांगिड़ ‘शंकर दादाजी’रावतसर(राजस्थान) ****************************************** कृषक खुशी से झूम रहा है बदरी के छा जाने से।हरियाली से भू सुरभित है इस सावन के आने से॥ खेती भी लहलहा उठी है,बारिश जमकर बरसी है,इतने दिन तक वसुंधरा भी जल के खातिर तरसी है।प्यास बुझी प्यासी धरती की बारिश के आ जाने से, हरियाली से भू…॥ डोल रहे … Read more

काज संवारो हे त्रिपुरारी

डॉ. गायत्री शर्मा’प्रीत’कोरबा(छत्तीसगढ़)******************************************* रचना शिल्प:शंकर छंद आधारित….. शिव भोला भंडारी शंभू,शीश गंगा धार।शिवा वास करें कैलाश पर,जगत के आधार॥ मुश्किल में है कलयुग भोले,कैसे धरूॅं ध्यान,कठिन हुआ है जीना अब तो,उपजे नहीं ज्ञान।इस त्रिभुवन में शिवा बड़े हैं,नमन बारंबार,शिव भोला भंडारी शंभू,शीश गंगा धार…॥ करें नहीं अब जप तप पूजा,बस नाम आधार,तेरे द्वारे पर हम … Read more

बरसात में

संजय गुप्ता  ‘देवेश’ उदयपुर(राजस्थान) *************************************** पिया की याद मुझे सताये बरसात में।जिया में आग लगी जाये बरसात में॥ जल की मछली तड़पे जल बिन,मैं तो तड़पूं तारे गिन-गिन।मैं मछरिया किस्मत की मारी,जल जाऊं ना इस बरसात में।पिया की याद मुझे सताये बरसात में…॥ मुझको बरसता सावन ना भाये,इस बार भी वो घर ना आये।करवट बदलती मैं … Read more

स्वर्ग धरती आ रहा है

जसवीर सिंह ‘हलधर’देहरादून( उत्तराखंड)******************************************** लोक में परलोक का नक्शा उतारा जा रहा है।देवता भयभीत हैं कि स्वर्ग धरती आ रहा है॥ अब हवाएं मौन होंगी,नीड़ निगलेगी न आँधी,यातनाएं गौण होंगी,खून बेचेगी न खादी।गीत जन गण देवता के खुद हिमालय गा रहा है,लोक में परलोक का नक्शा उतारा जा रहा है…॥ भूख से होंगी न मौतें,शांति … Read more