ईश्वर तुम रुष्ट हो
प्रो.डॉ. शरद नारायण खरेमंडला(मध्यप्रदेश)******************************************* बहुत हुई इस बार तो, मानसून की मार।इंसानों की बस्तियाँ, गईं आज हैं हार॥ दिया प्रकृति ने देश को, चोखा इक संदेश।छेड़-छाड़ हो प्रकृति से, तो भोगो आवेश॥ बिगड़े किंचित संतुलन, तो होगा आघात।मौन संदेशा प्रकृति का, सौंप रहा जज़्बात॥ मानसून की मार का, रहा न कोई छोर।घबराये इंसान सब, पीड़ित … Read more