नेता और कुर्सी
प्रो.डॉ. शरद नारायण खरेमंडला(मध्यप्रदेश)******************************************* नेता कुर्सी पर लदा, सुख का करता भोग।नेता जन के तंत्र का, बहुत बड़ा है रोग॥ नेता से वादे झरें, बाहर आता झूठ।खड़ा हुआ है नीति…
प्रो.डॉ. शरद नारायण खरेमंडला(मध्यप्रदेश)******************************************* नेता कुर्सी पर लदा, सुख का करता भोग।नेता जन के तंत्र का, बहुत बड़ा है रोग॥ नेता से वादे झरें, बाहर आता झूठ।खड़ा हुआ है नीति…
बोधन राम निषाद ‘राज’ कबीरधाम (छत्तीसगढ़)************************************************ श्री शिवाय नमस्तुभ्यम... नश्वर इस संसार से, क्या जायेगा साथ।शिव से रिश्ता जोड़िये, सदा झुकाकर माथ॥ औघड़दानी शम्भु शिव, लेते हैं जो नाम।काम सफल होते…
डॉ.एन.के. सेठीबांदीकुई (राजस्थान) ********************************************* बढ़ा ग्रीष्म का ताप अब, हाल हुआ बेहाल।झुलस रहे हैं जीव सब, सूख गए सब ताल॥ गर्म तवे-सी तप रही, सूखे वृक्ष तडाग।सूरज भी तड़पा रहा,…
बोधन राम निषाद ‘राज’ कबीरधाम (छत्तीसगढ़)************************************************ श्री शिवाय नमस्तुभ्यम... भक्ति जगा दो शंभु शिव, जीवन होवे धन्य।घट-घट वासी आप है, बना हमें चैतन्य॥ निभा सकूँ निज धर्म को, देना मुझको ज्ञान।कहे…
डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’बेंगलुरु (कर्नाटक) ************************************************* कहाँ बोध पुरुषार्थ का, नैतिकता का ज्ञान।बचा कहाँ संकोच अब, कहाँ अर्थ सम्मान॥ सूचक समझो अधपतन, अहंकार पद मोह।कदम बढ़े क्रोधाग्नि पथ, सत्ता पद…
प्रो.डॉ. शरद नारायण खरेमंडला(मध्यप्रदेश)******************************************* यशोधरा का त्यागकर, गये तपोवन बुद्ध।यहाँ ज़िन्दगीभर हुआ, एकाकीपन से युद्ध॥ यशोधरा का सोच था, उसका क्या था दोष।जो पति ने ठुकरा दिया, नेह-प्यार का कोष॥…
बोधन राम निषाद ‘राज’ कबीरधाम (छत्तीसगढ़)************************************************ श्री शिवाय नमस्तुभ्यम.... शंभु-शिवा तुझको नमन, मेरे पालनहार।सदा शीश पर हाथ हो, हो जाऊँ भव पार॥ सुन मेरी अरदास को, झटपट आना नाथ।चरणों में नित…
प्रो.डॉ. शरद नारायण खरेमंडला(मध्यप्रदेश)******************************************* वन जब तक, तब तक यहाँ, हवा मिलेगी ख़ूब।वरना हम सब पीर में, जाएँगे नित डूब॥ वन का रहना है हमें, सुख का नव संसार।रहे सुखद…
डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’बेंगलुरु (कर्नाटक) ************************************************* आहत है मेरी कलम, देख देश गद्दार।तुले देश को तोड़ने, देख चुनावी हार॥ आज बहुत तारक वतन, हैं कहँ तारकनाथ।तोड़ रहे ख़ुद निज वतन,…
डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’बेंगलुरु (कर्नाटक) ************************************************* बीते सुनहर चारुतम, तीस वर्ष मनमीत।गाये जीवन गीत हम, साहचर्य नवनीत॥ रिश्ते अद्भुत बन गये, प्राणप्रिये तुझ संग।यादों के बन गुलिस्ते, हर पल प्रीत…