पृथ्वी माँ करुणामयी

डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’बेंगलुरु (कर्नाटक) ************************************************* ‘विश्व पृथ्वी दिवस’ विशेष… हरित भरित सुष्मित प्रकृति चारु,नद गिरि निर्झर सिन्धु समझ लोपशु विहंग धरती भरी पड़ी,अनल अनिल नभ बन्धु समझ लो। नवांकुरित नवपौध धरा चहुँ,नवकिसलय नवपात समझ लोकुसमित सुरभित हो फलित वृक्ष,निर्मल बहता वात समझ लो। झील नील सागर विमल सलिल,विलसित भू आकाश समझ लोनवजीवन संचार धरा … Read more

ध्यान धरो राधारमण

डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’बेंगलुरु (कर्नाटक) ************************************************* राधे राधे भज मनुज, कृष्णायन अविराम।ध्यान धरो राधारमण, भज लो राधेश्याम॥ मन विकार तम मन मिटे, राधे राधे नाम।अन्तर्मन नवशक्ति दे, माधव मन अभिराम॥ राधे सुमिरन भोर में, मिले शान्ति सुख योग।खिले कृष्ण मकरंद मन, मिटे स्वार्थ तम रोग॥ राधामय हिय भक्ति रस, राधे राधे गान।मुख मुकुन्द मुकुलित मधुर, … Read more

तारीफ़ औषधि

डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’बेंगलुरु (कर्नाटक) ************************************************* आए जितनी आपदा, सहे सकल अवमान।तनिक तारीफें क्या मिली, खिलें होंठ मुस्कान॥ निर्बलता विचलित मना, उदासीन प्रतिमान।सहज सरल संघर्ष में, तारीफ़ औषधि मान॥ हेतु बने उपहास का, करें स्वयं तारीफ़।सहन नहीं आलोचना, सहे सहज तकलीफ़॥ बची गात्र बस हड्डियाँ, भूख प्यास बिन वास।खुला व्योम क्षत वसन है, तारीफ़ें उपहास॥ … Read more

शब्दों का मेला

प्रो.डॉ. शरद नारायण खरेमंडला(मध्यप्रदेश)******************************************* शब्द-शब्द है चेतना, शब्द-शब्द झंकार।मिले सृष्टि को जागरण, शब्द रचें आकार॥ शब्द विश्व का रूप है, शब्द बने उजियार।शब्द उच्च उर्जा लिए, मेटे हर अँधियार॥ शब्द ब्रम्ह हैं, ईश हैं, शब्द सकल ब्रम्हांड।शब्द रचें अध्याय नित, मानस के सब कांड॥ शब्द तत्व हैं, सार हैं, शब्द सृजन अभिराम।शब्द सतत गतिशील हैं, … Read more

टूट रहे समरस वतन

डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’बेंगलुरु (कर्नाटक) ************************************************* तुले तोड़ने चल पड़े, देश धर्म सद्भाव।ताल बजाते देख जन, काम क्रोथ मद घाव॥ टूट रहे समरस वतन, भाषा जाति समाज।कहाँ परस्पर मेल अब, कलह द्वेष आगाज॥ गहराती गर्मी कहर, लू बरसाता ताप।कहीं मौत बन आँधियाँ, कहीं गहन बरसात॥ कीचड़ में खिलते कमल, सहतेक्ष बहु दुर्गन्ध।धर्म जाति संघर्ष में, … Read more

हे भगवन, ला दो नया विहान

प्रो.डॉ. शरद नारायण खरेमंडला(मध्यप्रदेश)******************************************* हनुमान जयंती (१२ अप्रैल ) विशेष… संकटमोचन देव हैं, कहते हम हनुमान।असुर मारते, धर्म हित, जय हो दयानिधान॥ सदा राममय ही रहें, पावन हैं हनुमान।जो उनके चरणों पड़े, उसकी रखते आन॥ रुद्र अंश धारण किया, राम हितैषी तात।जय-जय हो हनुमान जी, देव सदा सौगात॥ भूत-पिशाचों पर कहर, हर संकट पर मार।जहाँ … Read more

जन्में अवध में रघुराई

डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’बेंगलुरु (कर्नाटक) ************************************************* जन्में रघुराई अवध, मुदित अयोध्या धाम।रघुनंदन पुनरागमन, सजा अवध अभिराम॥ दशरथनन्दन अवध फिर, सूर्यवंश आलोक।रामतत्त्व रस पान कर, मिटे विपद सब शोक॥ पर्व रामनवमी दिवस, पूजन जगदाधार।पतित पावन राम भज, हो भवसागर पार॥ बाल रूप अनुपम छटा, कौशलेन्द्र रघुवीर।मेधावी संयत विनत, धीर वीर गम्भीर॥ हियतल रामपूजन करें, भक्ति प्रेम … Read more

बनें सतमार्ग के पथिक

प्रो.डॉ. शरद नारायण खरेमंडला(मध्यप्रदेश)******************************************* महावीर जयंती (१० अप्रैल) विशेष… वर्धमान महावीर को, सौ-सौ बार प्रणाम।जैन धर्म का कर सृजन, रचे नवल आयाम॥ तीर्थंकर भगवान ने, फैलाया आलोक।परे कर दिया विश्व से, पल में सारा शोक॥ महावीर ने जीतकर, मन के सारे भाव।जीत इंद्रियाँ पा लिया, संयम का नव ताव॥ कुंडग्राम का वह युवा, बना धर्म … Read more

माँ सिद्धिदात्री पुजूँ सादर भक्ति

डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’बेंगलुरु (कर्नाटक) ************************************************* रावण वध लंका विजय, शुंभ निशुम्भ विजीत।सिद्धिदातृ नवमी सविधि, पूजें राम विनीत॥ सिद्धिदातृ माँ भगवती, नवदुर्गे नवशक्ति।सती अम्बा तेजस्विनी, पुजूँ सादर भक्ति॥ रिद्धि सिद्धि दात्री जगत, करुणानिधि जगदम्ब।करूँ मंगला आरती, तू जीवन अवलम्ब॥ सकल मनोरथ कामना, रोग शोक संताप।हरो मातु दुर्गे शिवे, लोभ मोह मद पाप॥ प्रकृति विलासिनि शैलजे, … Read more

माँ कात्यायनी देवी

डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’बेंगलुरु (कर्नाटक) ************************************************* षष्ठी माँ कात्यायनी, माता का दरबार।भक्तों की अभ्यर्थना, करो अम्ब स्वीकार॥ पूजा अर्चन भक्ति मन, आरत दीप कपूर।महाशक्ति कात्यायनी, चारु सीथ सिन्दूर॥ रोग शोक भयहारिणी, शत्रु विनाशिनि अम्ब।त्रिविध आपदा तम हरो, कल्याणी जगदम्ब॥ विकट धूम्रलोचन असुर, भरी अम्ब हुंकार।भष्म हुआ पल में असुर, महिमा मातु अपार॥ कृपासिंधु कात्यायनी, शक्ति … Read more