अभियान बनाना होगा हिन्दी पत्रकारिता को

ललित गर्ग दिल्ली*********************************** भारत में हिन्दी पत्रकारिता की न केवल आजादी के संघर्ष में बल्कि उससे पूर्व के गुलामी की बेड़ियों में जकड़े राष्ट्र की संकटपूर्ण स्थितियों में महत्वपूर्ण भूमिका रही है, नये बनते भारत में यह भूमिका अधिक महसूस की जा रही है, क्योंकि तब से आज तक समाज की आवाज़ उठाने, सत्ता से … Read more

आर्थिक सूरज बनने के गौरवपूर्ण पल

ललित गर्ग दिल्ली*********************************** नीति आयोग के मुख्य कार्यकारी अधिकारी बीवीआर सुब्रह्मण्यम ने रविवार की सुबह नए उगते सूरज के साथ भारत के नए आर्थिक सूरज बनने की सुखद एवं आह्लादकारी खबर दी है। भारत जापान को पीछे छोड़कर दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है और अब अगले ढाई से ३ वर्ष में … Read more

श्वानों की बस्ती में योगाभ्यास…

संजीव एस. आहिरेनाशिक (महाराष्ट्र)********************************************* आजकल मौसम का कोई ठिकाना नहीं रहा है। कब, कौन-सा मौसम शुरू हो जाए, कुछ कहा नहीं जा सकता। अब यहीं देख लो न, मई के बीचों-बीच भारी वर्षा हो रही है। एक ही दिन में तीनों मौसम और छह ऋतुओं के दर्शन हो रहे हैं, और क्या लोगे भाई साहब…। … Read more

बच्चों के मोबाइल की निगरानी आवश्यक

पद्मा अग्रवालबैंगलोर (कर्नाटक)************************************ आज मोबाइल फोन हमारे जीवन का अभिन्न अंग बन गया है। इसके बिना कोई भी व्यक्ति अपनी जिंदगी की कल्पना भी नहीं करना चाहता। निश्चित रूप से मोबाइल से समाज में सुविधाओं की क्रांति आ गई है, परंतु इसकी वजह से होने वाले नुकसान भी बढ़ते जा रहे हैं। आज ऑफिस में … Read more

जनता क्यों ढोए भ्रष्टाचार का भार

ललित गर्ग दिल्ली*********************************** विभिन्न राजनीतिक दलों, विभिन्न प्रांतों की सरकारों, विभिन्न गरीब कल्याण की योजनाओं, न्यायिक क्षेत्र एवं उच्च जांच एजेंसियों में भ्रष्टाचार की बढ़ती स्थितियाँ गंभीर चिन्ता का विषय है। ऐसा लगता है कि आज हम जीवन नहीं, राजनीतिक, न्यायिक एवं प्रशासनिक मजबूरियाँ जी रहे हैं। ऐसा भी लगता है न्याय, राजनीति एवं प्रशासन … Read more

बढ़ती उम्र को हावी मत होने दें

पद्मा अग्रवालबैंगलोर (कर्नाटक)************************************ आजकल अनेक महिलाएं अपने घर की दहलीज पार कर नौकरी या व्यवसाय में व्यस्त हैं, परंतु अभी भी बहुत-सी महिलाओ की बड़ी आबादी ऐसी है, जो गृहिणी कहलाती हैं। यह सुबह से रात तक घरेलू कामों में लगी रहती हैं। झाड़ू पोछा, बर्तन-खाना आदि कामों में व्यस्त रहने के कारण उन्हें अपने … Read more

‘तमस’ से ‘ज्योति’ की ओर एक सुधारवादी यात्रा

ललित गर्ग दिल्ली*********************************** राजा राममोहन राय जन्म जयन्ती (२२ मई) विशेष… यह वह समय था, जब हिन्दुस्तान एक तरफ विदेशी दासता की बेड़ियों में जकड़ा हुआ था। दूसरी तरफ रूढ़िवाद, धार्मिक संकीर्णता, सामाजिक कुरीतियों और दमघोंटू प्रथाओं के बोझ तले दबा हुआ था। तभी एक मसीहा, समाज-सुधारक एवं क्रांतिकारी महामानव अवतरित हुआ, जिसने तमाम बुराइयों … Read more

लज्जित करने वाला क्यों लिखना ?

ममता तिवारी ‘ममता’जांजगीर-चाम्पा(छत्तीसगढ़)******************************************* मैंने सोशल मीडिया में देखा-सुना और जो पढ़ा, उनके सार अनुसार आज भारत में कलमकारों के ३ वर्ग दृष्टिगोचर हो रहे हैं। एक की कलम से समरसता सद्भाव, विवेक, एकता, भारत की अखंडता, राष्ट्र प्रेम का संदेश निकल रहा है। उनके हिसाब से हम सभी भारतीय हैं। राम-कृष्ण हमारे, बुद्ध भी हमारे, … Read more

पाक के हक में चीन की बौखलाहट

ललित गर्ग दिल्ली*********************************** पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत के सफल ‘ऑपरेशन सिंदूर’ से चीन बौखला गया है। पाकिस्तान की करारी हार एवं उसे दिए गए सबक को चीन पचा नहीं पा रहा है। चीन-पाक की सदाबहार दोस्ती के उदाहरण बार-बार सामने आते रहे हैं, हाल ही में सैन्य टकराव के दौरान चीन ने प्रत्यक्ष … Read more

वैवाहिक अपव्यय क्यों ?

सरोजिनी चौधरीजबलपुर (मध्यप्रदेश)********************************** एक समय था जब शादियों में परम्परागत आयोजन भर हुआ करते थे। परिवार में सगे-संबंधियों एवं ख़ास मित्रों को ही स्थान मिल पाता था, पर अब तो रीति-रिवाज का स्थान धूम-धड़ाके एवं बनावटी रीति-रिवाजों ने ले लिया है। महँगी सजावट, ब्यूटी पार्लर तथा महँगे परिधान विवाह की आवश्यकता बनती जा रही है। … Read more