रंगीली होली के विविध रंग

पद्मा अग्रवालबैंगलोर (कर्नाटक)************************************ रंग बरसे भीगे चुनर वाली… रंग बरसे… रंगों का त्योहार, भांग का खुमार और हँसी-ठिठोली के मौसम को लाने वाला पर्व है। इसके रंगीले मिजाज और उत्साह की बात ही कुछ और है। मौज-मस्ती और प्रेम-सौहार्द से सराबोर यह त्यौहार अपने अंदर परंपराओं के विभिन्न रंगों को समेटे हुए है, जो विभिन्न … Read more

भोग्या समझने की विकृत मानसिकता पर नियंत्रण आवश्यक

ललित गर्ग दिल्ली*********************************** यौन शोषण के विरुद्ध संघर्ष का विश्व दिवस (४ मार्च) विशेष… यौन शोषण दुनिया के लिए बड़ी समस्या है, जो दुनियाभर में है। कुछ देशों में महिलाएं अधिक असुरक्षित, यौन उत्पीड़न, शोषण एवं हिंसा की शिकार हैं। इनमें दक्षिण पूर्व एशिया, पूर्वी यूरोप और कुछ लैटिन अमेरिकी और कैरेबियाई देशों शामिल हैं। … Read more

राधा-कृष्ण का अलौकिक प्रेम

पद्मा अग्रवालबैंगलोर (कर्नाटक)************************************ “राधा तू बड़ि भागिनी, कौन तपस्या कीन्हतीन लोक के नाथ को, अपने बस में कीन्ह।”राधा-कृष्ण सभी हिंदुओं के आराध्य हैं, उनकी लीलाएं जनमानस के दिल पर राज करती हैं। राधा-कृष्ण के प्रेम को समझ पाना अत्यंत कठिन है। प्रेम की अनुभूति से ही व्यक्ति का तन-बदन रोमांचित हो उठता है । आनंद … Read more

मोटापा:शुद्धता एवं गुणवत्ता से समझौता न हो

ललित गर्ग दिल्ली*********************************** प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने शासन में भारतीय लोगों के स्वास्थ्य को लेकर निरन्तर कदम उठाते हुए स्वस्थ भारत निर्मित करने के उपक्रम किए हैं। मोदी जी ने स्वास्थ्य के प्रति भारत के दृष्टिकोण में एक महत्वपूर्ण मोड़ को चिह्नित करते हुए मोटापे से जुड़ी स्वास्थ्य चुनौतियों को बताने और मोटापे को … Read more

भेदभाव की दीवारों को ढहाना होगा

ललित गर्ग दिल्ली*********************************** शून्य भेदभाव दिवस (१ मार्च) विशेष… दुनिया में भेदभाव की ऊँची-ऊँची दीवारों पर अमानवीयता, छूआछूत, अन्याय, शोषण, उत्पीड़न के काले अध्याय लिखे हैं, इनके खिलाफ़ लड़ाई के लिए बहुआयामी, उदार एवं मानवीय दृष्टिकोण की आवश्यकता है, जो मूल कारणों एवं जड़ों पर प्रहार करते हुए सामाजिक-राजनीतिक मानदंडों को चुनौती दे और पहचान … Read more

मानव जीवन में सुख आखिर है क्या ?

राधा गोयलनई दिल्ली****************************************** सुख-दु:ख की सबकी अपनी अलग-अलग परिभाषा होती है।शायद ही कोई मनुष्य ऐसा हो, जिसने जीवन में कभी दु:ख का अनुभव न किया हो। कोई व्यक्ति ऐसा भी नहीं होगा, जिसे जीवन में एक बार भी सुख न मिला हो। वास्तव में सुख-दु:ख जीवन की पूर्णता के लिए आवश्यक हैं। दोनों मनुष्य को … Read more

महाकुम्भ:अद्भुत और दुर्लभ संस्कृति

सीमा जैन ‘निसर्ग’खड़गपुर (प.बंगाल)********************************* कौन कहता है कि उसने ईश्वर नहीं देखा…??मैंने देखा है… महाकुम्भ में आने वाले आस्था से लबरेज प्रत्येक लोगों के चेहरे पर… दिल गदगद होते देखा है मैंने…। क्या बच्चे, क्या जवान, क्या बुजुर्ग, क्या महिलाएं, क्या पुरुष… पवित्र संगम में डुबकी लगाकर वापस लौटते लोगों के तृप्त चेहरे जैसे ईश्वर … Read more

हर मनोरथ पूरा करते हैं ‘शिव’

पद्मा अग्रवालबैंगलोर (कर्नाटक)************************************ महाशिवरात्रि विशेष… हिंदू धर्म में भगवान् शिव को देवों का देव ‘महादेव’ कहा जाता है। भगवान् शिव को मानने वालों ने ‘शैव संप्रदाय’ चलाया, इसलिए शैव संप्रदाय के अधिष्ठाता एवं प्रमुख देवता शिव जी ही माने जाते हैं और भक्त शिव जी की ही पूजा करते हैं। लोगों में यह मान्यता है, … Read more

स्वयं को जीत लेना ही शिवत्व की प्राप्ति

ललित गर्ग दिल्ली*********************************** महाशिवरात्रि विशेष… आदि देव महादेव शिव सभी देवताओं में सर्वोच्च हैं, महानतम हैं, दुःखों को हरने एवं पापों का नाश करने वाले हैं। वे कल्याणकारी हैं तो संहारकर्ता भी हैं। आशुतोष है तो भोले शंकर भी, एक ओर जन-जन के आदर्श तो दूसरी ओर साधकों के साधक हैं। ‘सत्यं शिवं सुन्दरम्’ के … Read more

नीम का पतझड़…स्वर्णिम पत्तों की बारातें…

संजीव एस. आहिरेनाशिक (महाराष्ट्र)****************************** पिछले इतवार को गाँव जाना हुआ। जाते वक्त रास्ते में ही बसंत की दस्तक महसूस होने लगी थी। बोगनवेलिया पर नया खुमार चढ चुका है, जहां-तहां पलाश केसरिया रंगों से पूरे जंगल में अपनी उपस्थिति दर्ज करा रहे हैं। शाल्मलियों के पेड़ों ने गजब ढा दिया है। लता वल्लरियों पर बसंत … Read more