हम क्या कर रहे ?, सोचिए

कपिल देव अग्रवालबड़ौदा (गुजरात)************************************* हम क्या कर रहे हैं ?, कभी-कभी हमें खुद की विवेचना भी करनी होगी। आजकल हमारे बच्चे होशियार तो हैं, लेकिन समझदारी की कमी देखने को मिल रही है। समझदारी-अपने कामों के प्रति, अपने परिवार, रिश्तों के प्रति, व्यवहार और अपनी सोच के प्रति, अपने चाल-चलन के प्रति, कहाँ गई वो … Read more

हिन्दी को बचाना है तो शिक्षकों को ठीक से पढ़ना-पढ़ाना होगा

डॉ. रामवृक्ष सिंहलखनऊ (उत्तरप्रदेश )**************************** हिन्दी हमारी गौ पट्टी में बड़ी ही दीन-हीन स्थिति में है। उसकी चमक-दमक गायब है। कोई छात्र हिन्दी पढ़ना नहीं चाहता। विद्यालय हिन्दी पढ़ाना नहीं चाहते। माता-पिता और अभिभावक अपने बच्चों को हिन्दी नहीं, अंग्रेजी पढ़ाना चाहते हैं। अनपढ़ आदमी भी यदि किसी वस्तु के हिन्दी और अंग्रेज़ी, ‌दोनों नाम … Read more

असुविधा की सड़कों का ‘कर’ ज्यादती और अन्याय

ललित गर्ग दिल्ली************************************** बेहतर सेवाओं के नाम पर सरकारें कई तरह के शुल्क वसूलती है, इसमें कोई आपत्ति एवं अतिश्योक्ति नहीं है, लेकिन सेवाएं बेहतर न हो, फिर भी शुल्क या कर वसूलना आपत्तिजनक, गैरकाूननी, एक तरह से आम जनता का शोषण व धोखाधड़ी है। राजमार्ग एवं अन्य मार्गों पर बेहतर एवं सुविधाजनक सड़कों के … Read more

हमारे ७ शरीर, खुद को भी समय दीजिए

कपिल देव अग्रवालबड़ौदा (गुजरात)************************************* आध्यात्म और जीवन-भाग २… आगे चलते हैं तो पाते हैं कि, हमारे ऋषि-मुनियों ने मानव शरीर की तुलना ब्रम्हाण्ड से की है। जब यह वक्तव्य पढ़ा, तो इस बात ने मुझे झकझोर दिया था। इतना छोटा-सा शरीर और उससे लाखों, करोड़ों गुना बड़ा विशाल अगणित, अनंत, ब्रहम्मांड ? मानव शरीर की … Read more

साहित्य से समाज तक अनूठा काम भूपेन हजारिका

डोली शाहहैलाकंदी (असम)************************************** भारत के उत्तर-पूर्व में स्थित प्रकृति की अदभुत छटाओं के बीच चाय बागानों का मनमोहक सौंदर्य रखने वाला प्रदेश तिनसुकिया है। इस जिले के सादिया गाँव में एक साधारण परिवार में ८ सितंबर १९२६ को एक नन्हें बालक का जन्म हुआ, जो बाद में भूपेन हजारिका के नाम से विख्यात हुआ। इसमें … Read more

जीवन, शरीर और ब्रम्हाण्ड

कपिल देव अग्रवालबड़ौदा (गुजरात)************************************* उपस्थित प्रबुद्धजनों के भीतर की चेतना को मेरा नमन। युवावस्था में ही कुछ अतीन्द्रिय अनुभवों ने मेरी रूचि को आध्यात्म की ओर मोड़ दिया, जो आज तक कायम है। आध्यात्म जीवन का एक अभिन्न अंग बन गया और इसे मैंने जाना व अनुभव किया। इसलिए आज आध्यात्म के प्रचारक की तरह … Read more

लोकसभा:नयी उम्मीदों को पंख

ललित गर्ग दिल्ली************************************** अठारहवीं लोकसभा का पहला सत्र शुरू चुका है, जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को विपक्ष इस बार अपनी बढ़ी हुई शक्ति का अहसास कराते हुए आक्रामक होने से नहीं चूकेगा। यही वजह है कि, विपक्ष ने परीक्षा में गड़बड़ी, अग्निवीर व कार्यवाहक अध्यक्ष जैसे मुद्दों को लेकर आक्रामक रुख दिखाने की रणनीति बनाई … Read more

मुझे ही कहना होगा-‘अहं ब्रह्मास्मि’

डॉ. मीना श्रीवास्तवठाणे (महाराष्ट्र)******************************************* कोहं से सोहं तक-भाग २… हिन्दू धर्म में इस प्रथम रुदन को बहुत अद्भुत माना गया है। अर्थात इसका कारण है, उसके चारों ओर छाया हुआ अध्यात्म का तेजोमण्डल! अब इस अद्भुत संकल्पना को जानने का प्रयत्न करेंगे।नवजात शिशु अपने रुदन द्वारा एक मूलभूत प्रश्न पूछता रहता है- ‘कोहं’ अर्थात “मैं … Read more

आत्मा और परमात्मा का मिलन ‘योग’ फायदेकारी

राधा गोयलनई दिल्ली****************************************** ‘योग’ का अर्थ आत्मा और परमात्मा का मिलन है। जीव का ब्रह्म से मिलन है। योग कई प्रकार के होते हैं। अष्टांग योग में कसरत, ध्यान, साधना, समाधि आदि कई क्रियाऍं शामिल हैं। 🔹ध्यान क्यों आवश्यक है ?-ध्यान क्यों आवश्यक है ?, इसे अपने संस्मरण द्वारा ही बताना चाहूँगी। अगस्त १९९५ में … Read more

एक यात्रा अनंत की ओर

डॉ. मीना श्रीवास्तवठाणे (महाराष्ट्र)******************************************* कोहं से सोहं तक… आइए, ईश्वर की खोज में ‘नेति-नेति’ करने का प्रयास करें। मैं कोई दार्शनिक नहीं, पर ईश्वर के अस्तित्व को हमेशा ही स्वीकारा है। उसे ढूँढा कभी एक अनाम शक्ति के स्वरूप में, तो कभी किसी सुन्दर मूर्ति में, परन्तु सोचती रही-कहाँ है वह ईश्वर, मंदिरों में, सुन्दर … Read more