हर ख़्वाब अधूरा

हीरा सिंह चाहिल ‘बिल्ले’बिलासपुर (छत्तीसगढ़)********************************************* जज्बात भरा दिल है, पर एक न पूरा हो।हालात मिटा देते, हर ख़्वाब अधूरा हो। लम्हे न कभी दिखते, महसूस हुआ करते,कुछ वक्त मिटा देते, कुछ खूब हुआ करते।है वक्त की उस्तादी, इंसान जमूरा हो,हालात बिन समझे हर ख्वाब अधूरा हो।जज्बात भरा दिल है… तहरीर कठिन लगती, कोशिश न हुआ … Read more

‘जल-संकट’ बने समाधान का माध्यम

ललित गर्ग दिल्ली************************************** देश में जैसे-जैसे गर्मी प्रचंड होती जा रही है, जल संकट की खबरें भी डराने लगी है। राजस्थान, दिल्ली, कर्नाटक आदि प्रांतों में पानी के लिए त्राहि-त्राहि मची है। मध्यप्रदेश के छतरपुर सहित ऐसे हजारों गाँव हैं, जहां पानी के अभाव में जीवन संकट में है। भारत अपने इतिहास के सबसे गंभीर … Read more

उन्नत समाज के लिए उपदेशों को ढालने की जरूरत

ललित गर्ग दिल्ली************************************** बुद्ध पूर्णिमा- (२३ मई) विशेष… गौतम बुद्ध एक प्रकाशस्तंभ हैं, उनका लोकहितकारी चिन्तन एवं कर्म कालजयी है और युग-युगों तक समाज का मार्गदर्शन करता है। बुद्ध पूर्णिमा को उनकी जयंती मनाई जाती है और उनका निर्वाण दिवस भी बुद्ध पूर्णिमा के दिन ही हुआ था। आज के दिन गौतम बुद्ध अपनी पूर्णता … Read more

चुनाव:झूठे वायदों एवं वादों से बचाना होगा

ललित गर्ग दिल्ली************************************** लोकसभा चुनाव के पाँचवें चरण की ओर बढ़ते हुए चुनावी सरगर्मी बढ़ रही है। तमाम राजनीतिक दलों में वास्तविकता से दूर झूठे, तथ्य-आधारहीन, भ्रामक एवं बेबुनियाद वादे करने की आपसी होड़ बढ़ती जा रही है। राजनीतिक दल जिस तरह से जीत के तथ्य प्रस्तुत कर रहे हैं, वह हास्यास्पद एवं अविश्वसनीय है। … Read more

परिवार ही संस्कार-सुकून-समाज का केंद्र

ललित गर्ग दिल्ली************************************** स्पष्ट है कि किसी भी समाज का केंद्र परिवार ही होता है। परिवार ही हर उम्र के लोगों को सुकून पहुँचाता है। दरअसल, सही अर्थों में परिवार वह संरचना है, जहां स्नेह, सौहार्द, सहयोग, संगठन, सुख-दुःख की साझेदारी, सबमें सबके होने की स्वीकृति जैसे जीवन-मूल्यों को जीया जाता है। जहां सबको सहने … Read more

पीओके:डर से सहमा पाकिस्तान

ललित गर्ग दिल्ली************************************** पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) में पाक सरकार की तानाशाही, उदासीनता, उपेक्षा एवं दोगली नीतियों के कारण हालात बेकाबू, अराजक एवं हिंसक हो गए हैं। जीवन निर्वाह की जरूरतों को पूरा न कर पाने से जनता में भारी आक्रोश एवं सरकार के खिलाफ नाराजगी चरम सीमा पर पहुंच गई है। गेहूँ … Read more

‘माँ’ के आगे सभी रिश्ते बौने

ललित गर्ग दिल्ली************************************** माँ और हम (मातृ दिवस विशेष)… ‘मातृ दिवस’ समाज में माताओं के प्रभाव व सम्मान का वैश्विक उत्सव है, जो माताओं और मातृतुल्य विभूतियों का सम्मान करता है। माताओं द्वारा अपनी संतान, परिवार और समाज के लिए उनके बलिदान, अमूल्य योगदान और समर्पण को याद करने, सम्मान देने एवं पूजने का पवित्र … Read more

जीवन स्त्रोत माँ’, सम्मान करें

प्रो. लक्ष्मी यादवमुम्बई (महाराष्ट्र)**************************************** माँ और हम (मातृ दिवस विशेष)… ‘माँ’ का पल्लू पकड़, उसी के साथ जाते थे, खाना जब भी हो, उसी के हाथ से खाते थे’।जी हाँ, हमारी प्रथम गुरु होती है हमारी माँ, जो जीवन के हर मोड़ पर हमारा साथ देती है। हमें मार्गदर्शित करती है। ‘मातृ दिवस’ के शुभ … Read more

मूर्धन्य रिश्ता ‘माँ’

डॉ.पूजा हेमकुमार अलापुरिया ‘हेमाक्ष’मुंबई(महाराष्ट्र) ********************************************************* माँ और हम (मातृ दिवस विशेष)…. जीवन में हर रिश्ते का अपना ही महत्व होता है। कहीं खून का रिश्ता, तो कहीं विचारों का, तो कहीं मन का। ऐसे ही अनेक रिश्तों की माला में गुथा होता है यह मानव जीवन, लेकिन इन सभी रिश्तों से अलग है माँ और … Read more

चुनाव:राजनेता पराए दुःख को अपना क्यों नहीं मानते ?

ललित गर्ग दिल्ली************************************** लोकसभा चुनाव जैसे-जैसे आगे बढ़ रहे हैं, राजनेताओं एवं उम्मीदवारों के दागदार चरित्र की परतें खुलती जा रही है। एक समय था, जब लोग देश के नेताओं के सार्वजनिक जीवन में आचरण का अनुसरण करते थे। नेताओं को भी समाज में अपनी छवि व प्रतिष्ठा की फिक्र रहती थी, लेकिन हाल के … Read more