उसी तरह मेरी कविता में…
बबिता कुमावतसीकर (राजस्थान)***************************************** जिस तरह हवा में नमी घुली रहती,उस तरह रूह में मेरे कविता घुली रहती। जिस तरह हवाएँ साजिश करती चली जाती है,उस तरह मेरी कविता उम्मीदों को ढांढस बंधाती है। जिस तरह हवाओं के बादल दिशा बदल लेते हैं,उस तरह मेरी कविता कुछ और कह के चली जाती है। जिस तरह हवाएँ … Read more