किससे कहें, कौन सुनेगा…?

ममता तिवारी ‘ममता’जांजगीर-चाम्पा(छत्तीसगढ़)******************************************** पल-पल शोर करे जियरा फिर भी हम तो थिर मौन रहे,हलचल भीतर में अति लेकिन छोड़ हटा, अब कौन कहे ? लिख-लिख कागद स्याह हुआ मन पृष्ठ…

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दर्पण ने दिखलाया मुझको

सरोजिनी चौधरीजबलपुर (मध्यप्रदेश)************************************** लिया हाथ में मैंने दर्पण,सोचा स्वयं से बात करूँदेखूँ अपना वर्तमान,प्रतिबिंब देख कुछ मनन करूँ। कितना पहले से बदल गई,मुझमें इतना क्यों अंतर हैप्रतिबिंब देख सोचा मैंने,क्या…

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हाँ! उर्मिला

राजबाला शर्मा ‘दीप’अजमेर(राजस्थान)******************************************* रघुकुल की वधू हाँ! उर्मिले,सखी तेरा मौन अखरता हैदेख तेरी कृशकाय-देह,धीरज का धीर पिघलता है। दृग से छलके अश्रु जो जरा,पलकों से सींच, न हो अनर्थसिसकी भी…

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दो पग में संसार

दिनेश चन्द्र प्रसाद ‘दीनेश’कलकत्ता (पश्चिम बंगाल)******************************************* माप लिया था वामन ने,दो पग में संसारतीसरा पग कहाँ धरे वो,बोलो बलि सरकार। पूछ रहे राजा बलि से,जगत के खेवनहारतीसरा पग मेरे माथे…

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हम प्रणय गीत

डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’बेंगलुरु (कर्नाटक) ************************************************* यह राज-ए-मोहब्बत गुलशन,हर धड़कन चितवन प्रीत खिलेआगाज़ प्यार सात फेर जनम,यादों में गुम्फित मीत मिले। दाम्पत्य मुदित शुभ तीस साल,राज-ए-मोहब्बत लूट गएहम युगल प्यार…

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एक माँ को भी…

बबीता प्रजापति झाँसी (उत्तरप्रदेश)****************************************** माँ और हम (मातृ दिवस विशेष).... एक माँ को भी,ममता की जरूरत होती हैजब वो नवजात की माँ बनती है। रात-रात भर जागकर,जब फटने लगता है सरतब…

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आओ साजन

डॉ.आशा आजाद ‘कृति’कोरबा (छत्तीसगढ़)**************************************** आओ साजन पास अब, प्रीत बड़ा तड़पाय।हृदय बड़ा व्याकुल हुआ, सावन बीता जाय॥सावन बीता, जाय बहुत है, याद सताती।हृदय न समझे, रह रह कर ये, मुझे…

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बन जाओ खेवईया

श्रीमती देवंती देवीधनबाद (झारखंड)******************************************* हे पिता परमेश्वर, हृदय में ख्याल है बस तेराअंधकार में डूबी है मेरी जिंदगी, कर दो सवेरा। आपके सिवा कोई भी नहीं है, जगत में हमाराहृदय…

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अश्रुसिक्त मेरे नयन

डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’बेंगलुरु (कर्नाटक) ************************************************* वेदना से मिल रही संवेदनाएँ,अश्रुसिक्त हो रहे मेरे नयनअन्तर्द्वन्द्व के अन्तर्नाद प्रस्फुटित,उठ रहे आक्रोशित बेचैन मन। तड़प अनुभूति खुद की वेदनाएँ,चिन्तन विवश संवेदनशील मनबीते…

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लम्हों में सिमटी ज़िंदगी

डॉ. प्रताप मोहन ‘भारतीय’सोलन(हिमाचल प्रदेश)***************************************************** ज़िंदगी लम्हों मेंसिमटी है,खुशी और गममें बंटी है। कुछ लम्हें खुशीके होते हैं,कुछ लम्हें दुःख देते हैं।और हम ज़िंदगीभर यूँ ही रोते हैं। लम्हा जिंदगी…

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