समर्थन

संजय वर्मा ‘दृष्टि’  मनावर(मध्यप्रदेश) ********************************************************************************** 'विधवा' शब्द कहना कठिन, उससे भी कठिन अँधेरी रात में श्रृंगार का त्याग, श्रृंगारित रूप का 'विधवा' में विलीन होना... जीवन की गाड़ी के पहिये…

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नारी हूँ मैं

नेहा लिम्बोदिया इंदौर(मध्यप्रदेश) ********************************************************** कई रूप हैं मेरे, कभी चंचल चाँदनी कभी गंभीर गहराई लिए हूँ। कभी शांत समुद्र-सी, लेकिन लिए हलचल बहुत हूँ। सृष्टि का आधार भी मैं हूँ,…

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सबला

अविनाश तिवारी ‘अवि’ अमोरा(छत्तीसगढ़) ************************************************************************ युगों-युगों से सहते आये नारी की व्यथा करुणा है, अबला नहीं अब सबला है,ये दुर्गा लक्ष्मी वरुणा है। द्रौपदी आज बीच सभा चीत्कार रही, कितनी…

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धड़कन

वन्दना पुणताम्बेकर इंदौर (मध्यप्रदेश) ******************************************************* नौ महीनों का दर्द सहकर एक नया अंकुर खिलाती, उस गुंजन के कलरव से वह खुशियों से वह झूम जाती। उस खुशी का एहसास क्या…

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माँ से बढ़कर कोई नहीं

महेन्द्र देवांगन ‘माटी’ पंडरिया (कवर्धा )छत्तीसगढ़  ************************************************** माँ की ममता होती प्यारी,कोई जान न पाये। हर संकट से हमें बचाती,उसकी सभी दुआएँ॥ पल-पल नजरें रखती है वह,समझ नहीं हम पाते।…

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पिताजी

देवेन्द्र कुमार ध्रुव गरियाबंद(छत्तीसगढ़ ) ************************************************************************** मुझे लगता था वो मुझे डांटने-दबाने में लगे रहे, मैं गलत था,वो तो मुझे ऊपर उठाने में लगे रहे। उनके टोकने,और रोकने से मैं…

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ज़रा सोंचो..

डॉ.आभा माथुर उन्नाव(उत्तर प्रदेश) ****************************************************************************** कन्याभोज करने वालों तुम ध्यान से मेरी बात सुनो, यदि आये पसन्द यह बात मेरी तो इसको भरे समाज कहो। यूँ तो छोटी बच्ची को…

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नारी शक्ति

ओमप्रकाश अत्रि सीतापुर(उत्तरप्रदेश) ********************************************************************************* नारी! नहीं रही अब अबला, और न ही पुरुषों की कैद में गिरफ़्त है। वह पुरुषों के साथ, कदम से कदम मिलाकर चलना सीख गई है।…

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नारी

रमेश कुमार सिंह ‘रुद्र’  कैमूर(बिहार) *************************************************** सृष्टि की रचनाकार, जिनके कई प्रकार, सागर ममता लिए, नित्य दिन रहती। कहलाती कभी दुर्गा, कभी काली बन जाती, चंडिका भवानी बन, पाप नाश…

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सृष्टि है नारी 

रामनाथ साहू ‘ननकी’  मुरलीडीह(छत्तीसगढ) ************************************************************* नारी नहीं तो कुछ नहीं,          नारी नरों की खान है। नारी हँसे तो जग हँसे,          आँसू झरे…

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