ईर्ष्यालु मित्र

धर्मेंद्र शर्मा उपाध्यायसिरमौर (हिमाचल प्रदेश)******************************************** विक्रम एक सदाचारी, नैतिक, संस्कारी व नौजवान लड़का है। अपने आत्मसम्मान के लिए सदा लड़ता रहता है, परंतु किसी भी व्यक्ति को अपने व्यवहार से आहत नहीं करता है। आज फिर विक्रम को अपने कार्य क्षेत्र कार्यालय में बड़ी उपलब्धि हासिल हुई थी। वह काफी उत्साहित है। धीरे-धीरे प्रसिद्धि और … Read more

‘इंसानियत’ का बीज बदल सकता है दुनिया

अजय जैन ‘विकल्प’इंदौर (मध्यप्रदेश)***************************************** ‘इंसानियत’ सुनने में एक शब्द है, लेकिन स्वयं के भीतर अनगिनत भावनाएँ समेटे हुए है। यह केवल किसी की मदद करना या दूसरों के लिए त्याग करना भर नहीं है, बल्कि इंसानियत वह ऊर्जा, अच्छाई और शक्ति है, जिसके सहारे समाज जीवित रहता है तथा दुनिया चलती है।कहना गलत नहीं होगा … Read more

नई परंपराओं का प्रारंभ बनना चाहिए संसद

ललित गर्ग दिल्ली*********************************** भारत की संसद के शीतकालीन सत्र प्रारंभ होने से पहले हुई सर्वदलीय बैठक में विपक्ष ने आने वाले दिनों में संसद की कार्रवाई के हंगामेदार होने का संकेत देने में देर नहीं लगाई। विपक्ष ने स्पष्ट कर दिया है कि वह एस.आई.आर. सहित कई मुद्दों पर जोरदार ढंग से सदन में अपनी … Read more

हमारे संस्कार हमारी धरोहर

डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’बेंगलुरु (कर्नाटक) ************************************************* संस्कार और संस्कृति मानव जाति को सर्वश्रेष्ठ प्राणी बनाती है। ‌संस्कार सदैव परिवार में प्राप्त होता है। माता-पिता और परिवार के बुजुर्ग लोग बाल अबोध बाल हृदय को मिले संस्कार षोडश नये ज्ञान आचार विचारों से निमज्जित करते हैं। वे सन्तानों को नैतिक शिक्षा, सद्ज्ञान, रीति-रिवाज, परम्पराओं से परिचित … Read more

पाक: बौखलाहट पराजित मानसिकता का परिचायक

ललित गर्ग दिल्ली*********************************** पाकिस्तान की भारत-निंदा की आदत कोई नई नहीं है;यह उसकी कूटनीति एवं संकीर्ण सोच का स्थायी चरित्र है। ऐसा शायद ही कोई अवसर हो, जब भारत की बढ़ती शक्ति, बढ़ती साख और सांस्कृतिक उन्नयन का प्रभावी दृश्य उभरे एवं पाकिस्तान उसमें संकुचित मानसिकता से भरी त्रासद टिप्पणियाँ न करे, विरोध का वातावरण … Read more

‘हिंदी में शपथ’ भाषाई चेतना का निर्णायक उद्घोष

ललित गर्ग दिल्ली*********************************** भारत के ५३वें प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति सूर्यकांत द्वारा हिंदी में शपथ लेना भारतीय लोकतंत्र के इतिहास में केवल एक औपचारिक घटना नहीं, बल्कि सांस्कृतिक, राष्ट्रीय और मनोवैज्ञानिक चेतना का नया शुभारंभ है। यह वह क्षण है जिसने भाषा को लेकर दशकों से चले आ रहे संकीर्ण विवादों, राजनीतिक विरोधाभासों और कृत्रिम विभाजनों … Read more

कुछ समय तो बैठो ‘बुजुर्गों’ के पास

हरिहर सिंह चौहानइन्दौर (मध्यप्रदेश )************************************ हमारे संस्कारों में बुजुर्गों का अनुभव बहुत कारगर साबित होता है। सामाजिक परिदृश्य में देखें तो ऐसा कह सकते हैं कि बड़े-बुजुर्ग वृटवक्ष होते हैं। उनकी छत्र-छाया में हम परिजन सुखी रहते हैं, पर आज-कल परिवारों में समय अनुरूप परिवर्तन के दौर में उन्हीं बुजुर्गों को वृद्धाश्रम में जाने को … Read more

विविधता से पूर्ण है तेलंगाना लोक साहित्य

कमलेकर नागेश्वर राव ‘कमल’,हैदराबाद (तेलंगाना)*************************************************** 🔹लोकगीत प्रस्तावना-मनोरंजन की दुनिया में लोक गीतों का महत्वपूर्ण स्थान है। हमारी संस्कृति में लोक गीत और संगीत का अटूट संबंध है। तेलुगु में ‘जनपद’ के नाम से पुकारे जाने वाले लोकगीत सीधे जनता का संगीत है। घर, गाँव और नगर की जनता के गीत हैं। ‘जनपद’ यानी छोटे-छोटे समुदाय … Read more

हिन्दी भाषा-क्षेत्र में ही हिन्दी के विरुद्ध साजिश

प्रो. महावीर सरन जैनआगरा (उत्तरप्रदेश )******************************************** एक ओर हिन्दीतर राज्यों के विश्वविद्यालयों और विदेशों के लगभग १७६ विवि एवं संस्थाओं में हजारों की संख्या में शिक्षार्थी हिन्दी के अध्ययन-अध्यापन और शोध कार्य में समर्पण-भावना तथा पूरी निष्ठा से प्रवृत्त तथा संलग्न हैं, वहीं हिन्दी भाषा-क्षेत्र में ही अनेक लोग हिन्दी के विरुद्ध साजिश रच रहे … Read more

प्रकृति की चेतावनियों को गंभीरता से लें

ललित गर्ग दिल्ली*********************************** जलवायु परिवर्तन से उपजी पर्यावरणीय चुनौतियाँ आज मानव सभ्यता के अस्तित्व तक को प्रभावित कर रही हैं। जलवायु परिवर्तन अब कोई दूर का वैज्ञानिक विचार नहीं, बल्कि तत्काल अनुभव किया जाने वाला यथार्थ है, जिसकी भयावहता का प्रमाण सीएसई और डाउन टू अर्थ की क्लाइमेट इंडिया २०२५ की रिपोर्ट में स्पष्ट दिखाई … Read more