भारत की पहचान हिंदी
निदा खानमुंबई (महाराष्ट्र)****************************** अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस स्पर्धा विशेष…. भाषाओं का है ये अद्भुत भंडार,भारत में चलता हाँ विविध बोलियों का संसार।लेकिन हिंदी तो है हर भारतीय की पहचान-हमारी चेतना वाणी…
निदा खानमुंबई (महाराष्ट्र)****************************** अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस स्पर्धा विशेष…. भाषाओं का है ये अद्भुत भंडार,भारत में चलता हाँ विविध बोलियों का संसार।लेकिन हिंदी तो है हर भारतीय की पहचान-हमारी चेतना वाणी…
सुरेन्द्र सिंह राजपूत हमसफ़रदेवास (मध्यप्रदेश)****************************************** देर रात को नशे में घर लौटे बेटे को नरेश बाबू ने समझाते हुए कहा कि-'बेटा ऐसा कब तक चलेगा...? तुम रोज देर रात घर लौटते…
एस.के.कपूर ‘श्री हंस’बरेली(उत्तरप्रदेश)********************************* बिना ऊँचा उठे कभी आसमान मिलता नहीं है,बिन कर्म कभी जीत का ईनाम मिलता नहीं है।भक्ति सेवा से ही मिलती कृपा ईश्वर की-बिन दिल जीते कभी सम्मान…
प्रो.डॉ. शरद नारायण खरेमंडला(मध्यप्रदेश) *********************************** समरसता यदि संग है,तो पलता मधुमास।अपनाकर संवेदना,मानव बनता ख़ास॥ समरसता-आचार तो,है करुणा का रूप।जिससे खिलती चाँदनी,बिखरे उजली धूप॥ समरसता सुविचार से,मानव बने उदार।द्वेष,कपट सब दूर…
कोटा (राजस्थान)। कोटा कवि चौपाल (कोटा) की मासिक गोष्ठियों के क्रम में इस बार की काव्य गोष्ठी का आयोजन ऑनलाइन सोल्लास हुआ। गोष्ठी की अध्यक्षता डॉ. रघुनाथ मिश्र 'सहज' ने…
बाबूलाल शर्मासिकंदरा(राजस्थान)***************************** शीत ओस द्वय हारे,पीत पुष्प देख भारे,ताक रहे भृंग प्यारे,कुसुम पलाश के। चाह रखे मधु पिएँ,कली संग फूल जिएँ,फाग राग चाह लिए,कामना हुलास के। मर्त्य जीव चाह रहे,सुखदा…
जसवीर सिंह ‘हलधर’देहरादून( उत्तराखंड)********************************* पूस की हो सर्दियां या गर्मियां बैसाख में।कृष्ण हो या शुक्ल हो तैयार हैं हर पाख में। कारगिल,डुकलाम हो या जंग हो लद्दाख में।शत्रु गर आगे…
श्रीमती देवंती देवीधनबाद (झारखंड)************************************ मैं रोज ही पूजा करती हूँ,भगवान समान है मेरी माताकुछ नहीं मैं उनके बिना-मानो मेरी जान है माता। दिया जन्म उसने मुझको,बहुत ही प्यार से पालाअंधकारमय…
डॉ.सरला सिंह`स्निग्धा`दिल्ली************************************** लोग चेहरे पे नया चेहरासजा लेते हैं,हम समझते हैं कि लोगबड़े अच्छे हैं। वक्त-ए-आँधी उड़ा देती हैमुखौटे उनके,हम तो खड़े बस देखते हीरह जाते हैं। जनाब पहचानने की…
शिवनाथ सिंहलखनऊ(उत्तर प्रदेश)**************************************** जिंदगी में अनेक पल ऐसे आते हैं,जब कोई अपना न होते हुए भी अपना जैसा ही लगता है और जिसे हम अपना समझते रहते हैं,वह विषम परिस्थितियों…