बिलखता बचपन

राधा गोयलनई दिल्ली****************************************** माँ को भगवान ने छीना, बापू ने घर से निकाला,मेरी सारी आशाओं का, निकला आज दिवालासोचा था कि पढ़ लिखकर, सबको शिक्षित कर दूँगी,अपनी माता का जग में, रोशन मैं नाम करूँगी। दे दिया भाग्य ने धोखा, माँ को ही छीन लिया है,मेरे सारे सपनों को, सपनों में दफन किया हैखाने का … Read more

इसे बने रहने दो यारों..

हरिहर सिंह चौहानइन्दौर (मध्यप्रदेश )************************************ मोती की माला बनसमर्पित रहूं,मेरी यही कामना हैसंवाद से रिश्ते बने हुए,इसे बने रहने दो यारों। नकारात्मक विचारों कोमत जगह दो मन में,निष्पक्ष व सच के लिए बोलोरिश्ते जो हैं, इसे बने रहने दो यारों। बातें तो बातें हैं कभी चुभती हैकभी स्नेह और प्यार के धागे में,बंधी हुई रिश्तों … Read more

२ नव. को ‘अ.भा. लघुकथा सम्मेलन २०२५’

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इंदौर (मप्र)। क्षितिज साहित्य संस्था, इंदौर द्वारा आयोजित ‘अखिल भारतीय लघुकथा सम्मेलन’ इस वर्ष भी साहित्यिक गरिमा के साथ श्री मध्यभारत हिंदी साहित्य समिति, इंदौर के सभागार में होगा। यह रविवार २ नवम्बर को हो रहा है।संस्था के अध्यक्ष के अनुसार इस वर्ष सम्मेलन में दिल्ली, राजस्थान और अन्य राज्यों से नामचीन लघुकथाकार शामिल होंगे। … Read more

‘श्रीमती अनीता प्रभाकर स्मृति कहानी प्रतियोगिता’ हेतु प्रविष्टि आमंत्रित

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दिल्ली। विष्णु प्रभाकर प्रतिष्ठान द्वारा आयोजित ‘श्रीमती अनीता प्रभाकर स्मृति कहानी प्रतियोगिता’-तृतीय (२०२५-२६) हेतु प्रविष्टि अपेक्षित है। कहानी भेजने की अन्तिम तारीख ३१ दिसम्बर २५ है।प्रतिष्ठान के मंत्री अतुल कुमार और अध्यक्ष नवीन कुमार गोयल के अनुसार प्रतियोगी कहानियाँ ई-मेल (vishnuprab hakarpratishthan@gmail.com) या पते (विष्णु प्रभाकर प्रतिष्ठान, ए-२४९, सेक्टर-४६, नोएडा (उप्र)-२०१३० ३) पर स्पीड पोस्ट … Read more

मधु-ऋतु

सरोजिनी चौधरीजबलपुर (मध्यप्रदेश)********************************** मधुमय मकरंद सदृश्यलालिमा रंग लाई है,खिलती-सी सकुचाती-सीयह ऊषा मन भाई है। केतकी, चमेली, चम्पासब मिल कर मुस्काई है,प्रातः के मंद सौरभ नेसकल धरा महकाई है। लिपटी लतिकाओं सेतरुओं की तरुणाई है,मधु-ऋतु में रंगों ने बसमृदुल छटा बिखराई है। तारिकाएँ जा रही हैंजन-जीवन सुखदाई है,अंधकार हट गया औररक्तिम आभा छाई है। मिश्रित संगीत … Read more

सब्र करना भी जरूरी है

वंदना जैनमुम्बई(महाराष्ट्र)************************************ सब्र करना भी जरूरी है, जीवन की मजबूरी है,सकारात्मक सोच बिना तो हर आशा अधूरी है। पग-पग शूलों की बिसात और हर रात अंधेरी है,अमावस भी बीतेगी, पूनम से कुछ ही तो दूरी है। व्यथित मन, आहत तन, मूक रहने की मजबूरी है,समय की परत उतरने तक सब्र करना भी जरूरी है। हौसलों … Read more

अंतर है तंत्र, मंत्र और तत्व ज्ञान में

हेमराज ठाकुरमंडी (हिमाचल प्रदेश)***************************************** बहुतायत लोगों की यह धारणा होती है कि तंत्र, मंत्र और तत्व ज्ञान- ये तीनों एक ही विषय के अलग-अलग नाम हैं, किंतु वास्तव में ऐसा नहीं है। अध्यात्म-विज्ञान की दृष्टि से देखें तो ये अलग-अलग पड़ाव हैं। प्रत्येक का अपना क्षेत्र, उद्देश्य और लक्ष्य है। इन्हें क्रमवार समझना आवश्यक है:-🔹तंत्र … Read more

जब समुदाय सशक्त, तब ही शहर समृद्ध

ललित गर्ग दिल्ली*********************************** ‘विश्व शहर दिवस'(३१ अक्टूबर) विशेष… ‘विश्व शहर दिवस’ हर साल ३१ अक्टूबर को मनाया जाता है। इसका उद्देश्य शहरीकरण में अंतर्राष्ट्रीय समुदाय की रुचि बढ़ाना, चुनौतियों का समाधान करने में देशों के बीच सहयोग को प्रोत्साहित करना और सतत विश्व नगर योजना को अधिक मानवीय, अपराधमुक्त एवं पर्यावरण संपोषक बनाना है। यह … Read more

किस्मत बदल देता है

डॉ. श्राबनी चक्रवर्तीबिलासपुर (छतीसगढ़)************************************************* कह कर सोचना,सोच कर कहनाव्यक्तित्व बदल देता है-व्यक्ति का। जीत कर हारना,हार कर जीतनाहौसला बदल देता है-ज़िंदगी का। चल कर रुकना,रुक कर चलनारास्ता बदल देता है-राही का। हँस कर रोना,रो कर हँसनामिज़ाज बदल देता है-चेहरे का। प्यार में डूब जाना,डूब कर प्यार करनारंग बदल देता है-इश्क़ का। जी कर मरना और,मर … Read more

यूँ ही जन्म नहीं लेती बेटियाँ

बबिता कुमावतसीकर (राजस्थान)***************************************** जहां नारी शक्ति के,नारों संग ही धरती जगती है। इस समाज में आज भी,लड़कियों के लिए दीवारों की लिपि अलग है। जहां आज भी लड़कियाँ,दृश्य है, खिलौना हैसंवेदना नहीं। आज भी समाज की आँखें,लड़कियों के कपड़ों से तौलती हैउनके चरित्र की गहराई। आज भी समाज में,‘शेर’ लड़कों को ही कहते हैंजबकि शेरनियाँ … Read more