घर-आँगन बुलाता है…
दीप्ति खरेमंडला (मध्यप्रदेश)************************************* होली या दिवाली हो,या हो राखी का त्योहारजब हो आहट त्योहारों की,घर-आँगन बुलाता है। दादाजी की नसीहतें,या दादी की मीठी बातेंमाँ के हाथों का खाना अब भी,मन में स्वाद जगाता है।घर-आँगन बुलाता है… कांक्रीट की दीवारों में,जब मिट्टी का सौंधापन याद आता हैशहर की चकाचौंध के बीच,जब गाँव का मेला याद आता … Read more