आखिर में मैं जीत ही गया
गोपाल मोहन मिश्रदरभंगा (बिहार)***************************************** आखिर में मैं जीत ही गया, ये बात मैं जानता हूँ,सच्चाई का रास्ता हमेशा कठिन होता है, ये मैं जानता हूँ। आखिर में, मैं जीत गया,…
गोपाल मोहन मिश्रदरभंगा (बिहार)***************************************** आखिर में मैं जीत ही गया, ये बात मैं जानता हूँ,सच्चाई का रास्ता हमेशा कठिन होता है, ये मैं जानता हूँ। आखिर में, मैं जीत गया,…
मंजू अशोक राजाभोजभंडारा (महाराष्ट्र)******************************************* लाल गुलाब से एक दिन मैं यूँ ही पूछ बैठी,आखिर क्या हमसे है रहती, तुम्हारी अभिलाषा ? वह मुझसे कहने लगा,-बहुत दिनों से थी, मेरे मन…
सरोजिनी चौधरीजबलपुर (मध्यप्रदेश)********************************** एक समय था जब शादियों में परम्परागत आयोजन भर हुआ करते थे। परिवार में सगे-संबंधियों एवं ख़ास मित्रों को ही स्थान मिल पाता था, पर अब तो…
डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’बेंगलुरु (कर्नाटक) ************************************************* गर्मी की छुट्टी पड़ी, खुशियाँ बाल अपार।बंद शैक्षणिक संस्था, गर्मी मास प्रहार॥ तपिश ग्रीष्म जलती धरा, बहती तप्त बयार।कठिन हुआ गमनागमन, जला रहा लू…
ऋचा गिरिदिल्ली*************************** तुम देश हित की बात करो, तुम देश गीत की बात करो,दुश्मन को जिससे बल मिले, ना धर्म करो, न जात करो,ना ही ऐसी कोई बात करो। चलो…
हरिहर सिंह चौहानइन्दौर (मध्यप्रदेश )************************************ हाथों में तिरंगा थाम,हम अपने देश के बहुमान के लिएतीनों सेनाओं का सम्मान करें,क्योंकि भारत की शान तिरंगा है। देश सर्वोपरि है और हमेशा रहेगा,हमारी…
सरोज प्रजापति ‘सरोज’मंडी (हिमाचल प्रदेश)*********************************************** एक दिन मैंने पुष्प को छुआ,पुष्प मुस्करा कर बोला-क्यों आए हो ?मैंने कहा, -बस तुम्हें निहारने,बस निहारने ही आए हो!मैंने अनमने मन से पूछा-मैं तुम्हारी…
पटना (बिहार)। अपने युग की साहित्यिक और सांस्कृतिक चेतना को दिशा और दृष्टि प्रदान करने वाले युग-प्रवर्त्तक साहित्यकार आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी थे। हिन्दी भाषा और साहित्य के महान उन्नायकों…
लोकार्पण... इंदौर (मप्र) | बाजीराव पेशवा प्रथम एक अद्वितीय योद्धा थे। दुनिया के सर्वश्रेष्ठ ७ योद्धाओं में उनकी गणना की जाती है। बाजीराव पेशवा ने हिंदवी स्वराज्य का विस्तार पूरे…
लोकार्पण... भोपाल (मप्र)। आजकल व्यंग्य लिखना खतरे से खाली नहीं है, लेकिन शारदा दयाल श्रीवास्तव ने सामयिक और शाश्वत विषयों पर व्यंग्य और हास्य का अद्भुत मिश्रण किया है, जो…