फौज गिद्धों की

सीमा जैन ‘निसर्ग’खड़गपुर (प.बंगाल)********************************* निरीहों से कई प्लेट सजी हैहड्डी, मांस, चीथड़े से भरी है,महकते रक्त की गंध भांपकरफ़ौज गिद्धों की उमड़ पड़ी है। बाहुबल का तीव्र चलन हैखेमे तोड़ने गिद्ध बहुत हैं,जहां मिलेगा मांस देखकरजोड़-तोड़ की कश्मकश है। नन्हें गिद्ध भी पके रखे हैंसयाने के तो भाव बढ़े हैं,चीथड़े में सिसकती जानेंमृत्यु का इंतजार … Read more

सुबह नयी है

कमलेश वर्मा ‘कोमल’अलवर (राजस्थान)************************************* सुबह नयी है,सपनों की राह वही हैचल पड़ो मंजिल की ओर,सपनों की राह तो वहीं है। माना कि मंज़िल अभी दूर है,पर जीने की आशा तो नयी हैडगमगाकर भ्रमित न होना राह में,मेरे साथी सपनों की राह तो वही है। आएंगी परेशानियाँ मंज़िल में,तुम कहीं घबरा न जानाहम रहेंगे साथ सदा,फिर … Read more

मानक और सुरक्षा उपायों की कोताही क्यों ?

ललित गर्ग दिल्ली*********************************** २ राज्यों (राजस्थान और मध्यप्रदेश) में कफ सिरप से जुड़ी बच्चों की मौत की घटनाएं देश की दवा नियामक व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े करती हैं। यह केवल एक चिकित्सा त्रुटि या आकस्मिक दुर्घटना नहीं, बल्कि उस तंत्र की विफलता का प्रतीक है जिस पर जनता अपने जीवन की रक्षा के लिए … Read more

नदिया, जुगुनू और सितारे

संजीव एस. आहिरेनाशिक (महाराष्ट्र)********************************************* नदिया पृथ्वी का मनमीत गीत गा रही है,अलग-अलग आलाप सुनाती जा रही हैसुबह से शाम तक रात से सुबह तक अनवरत,नये-नये संगीत के तराने सुनाती जा रही है। बिल्ली के गुमसुम कदमों-सी संध्या लौटने लगी है हौले हौले,बहुत देर तक संध्या और नदिया की बात होती रही,मौन पालेइस मौन में भी … Read more

अंग्रेजी का वर्चस्व बनाए रखना चाहते हैं काले अंग्रेज

गोष्ठी… पटना (बिहार)। अंग्रेजों के शासन के समय जब अंग्रेज न्यायाधीश होते थे, तब भी यह बात उठी थी कि जनता न्यायाधीश की भाषा सीखे या न्यायाधीश जनता की भाषा सीखें ? तब अंग्रेजी सरकार ने भी यह कहा था कि न्यायाधीशों को जनता की भाषा सीखनी चाहिए। लेकिन आजादी के ८० वर्ष बीत जाने … Read more

फाउण्डेशन द्वारा ‘निराला’ की पुण्यतिथि पर विचार-काव्य गोष्ठी

मेरठ (उप्र)। हिन्दी साहित्य के सर्वकालिक महान कवि महाप्राण सूर्यकान्त त्रिपाठी ‘निराला’ की पुण्य-तिथि के अवसर पर १५ अक्टूबर को विचार-गोष्ठी एवं काव्य-गोष्ठी आयोजित की गई है। इसमें आप सभी सादर आमन्त्रित हैं। पंवार वाणी फाउण्डेशन (मेरठ) के अध्यक्ष डॉ. हरिओम पंवार ने बताया कि मुख्य संयोजक अजय प्रेमी और संयोजक-कवि सुमनेश सुमन हैं। कार्यक्रम … Read more

रामजस कॉलेज में १५ को नागरी लिपि संगोष्ठी, पुस्तक प्रदर्शनी भी

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नई दिल्ली। संस्था नागरी लिपि परिषद अपनी स्थापना के स्वर्ण जयंती वर्ष में नागरी लिपि संगोष्ठी का आयोजन दिल्ली विवि के प्रतिष्ठित रामजस महाविद्यालय में १५ अक्टूबर को करेगी। इसकी अध्यक्षता पूर्व कुलपति एवं परिषद के अध्यक्ष डॉ. प्रेमचंद पातंजलि करेंगे। परिषद के महामंत्री डॉ. हरिसिंह ने बताया कि अंतरराष्ट्रीय सहयोग परिषद के मानद निदेशक … Read more

पहाड़ों पर बसी स्त्रियाँ

डॉ. विद्या ‘सौम्य’प्रयागराज (उत्तर प्रदेश)************************************************ पहाड़ों पर बसी स्त्रियाँ,अपने घरों में…संघर्ष की जलाती हैं,अनूठी मशाल….। रोशनी से दीप्त, पर्वत की श्रृंखलाओं में,बांध देती हैं, मन की सारी भंगिमाएंबिखरा कर अल्कों की तन्हाई को,तृषित नयनों से बैठ…पर्वत की उप्तकाओं में उगे,फूलों के मकरंद को अंजुली में,भर…मुस्कुराती हैं, गाती हैं, प्रियतम के,आवाहन गीत…। पहाड़ों पर बसी स्त्रियाँ,देह … Read more

पारिवारिक उत्सव में उत्कृष्ट रचनाओं से किया मंत्रमुग्ध

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अमरावती (महाराष्ट्र)। सप्तरंगी हिन्दी साहित्य संस्था (अमरावती) द्वारा ‘कोजागिरी’ (शरद पूर्णिमा) का पारिवारिक उत्सव श्री मुंगसाजी माउली सभागृह में नरेन्द्र देवरणकर ‘निर्दोष’ की अध्यक्षता में हुआ। प्रमुख अतिथि सुरेन्द्र पोपली, ओमप्रकाश चर्जन, श्याम उपाध्याय, संस्था की सचिव श्रीमती बरखा शर्मा ‘क्रांति’, मंचासीन रहे। इस मौके पर रचनाकारों ने उत्कृष्ट रचनाओं से सबको मंत्र मुग्ध कर … Read more

गाँव की नारी

बबिता कुमावतसीकर (राजस्थान)***************************************** माटी की गंध,ओस पर भी चलेंउगे सूरज। घूँघट नीचे,सपने हैं गहरेमुस्कान खिली। हाथ मेंहदी,संग हल की धुनधरा मुस्काए। नदी किनारे,घड़ा भी मुस्कुराएसाँझ उतरी। धूप तपती,मन में ठंडी छाँवगाँव की नारी। माटी की गोद,सपनों को सींचतीगाँव की नारी। तन हलका,आँखों में है उत्साहसाहसी मन। रास्ते पर है,पायल की झंकारगीत जोशीले। ओस-से पाँव,भोर की … Read more