मधु-ऋतु
सरोजिनी चौधरीजबलपुर (मध्यप्रदेश)********************************** मधुमय मकरंद सदृश्यलालिमा रंग लाई है,खिलती-सी सकुचाती-सीयह ऊषा मन भाई है। केतकी, चमेली, चम्पासब मिल कर मुस्काई है,प्रातः के मंद सौरभ नेसकल धरा महकाई है। लिपटी लतिकाओं सेतरुओं की तरुणाई है,मधु-ऋतु में रंगों ने बसमृदुल छटा बिखराई है। तारिकाएँ जा रही हैंजन-जीवन सुखदाई है,अंधकार हट गया औररक्तिम आभा छाई है। मिश्रित संगीत … Read more