इश्क़ नहीं इंकलाब

डॉ. संजीदा खानम ‘शाहीन’जोधपुर (राजस्थान)************************************** फिर से दूसरा ख्वाब सजाकर देखूंगीअपनी नींदें आप उड़ाकर देखूंगी। जिस दिन मेरी खामोशी दम तोड़ेगी,अपना असली रूप दिखाकर देखूंगी। दरियाओं ने मेरी कीमत कम जानी,सेहराओं की प्यास बुझाकर देखूंगी। दीवारें छत और न कोई दरवाज़ा,ऐसे घर को आग लगाकर देखूंगी। सीने पर जो बुजदिल वार न कर ‌पाया,उसकी जानिब … Read more

कुछ ऐसा हम कर दें

ममता तिवारी ‘ममता’जांजगीर-चाम्पा(छत्तीसगढ़)************************************** आ तन्हाई की नाक में दम कर दें।तुम और मैं को मिलाकर हम कर दें। मीठी बोली तो है मीठी गोली,सुलगते शरारे को शबनम कर दें। देने से अधिक छीन रहा मोबाइल,छोड़ न पाओ तो कुछ कम कर दें। इतनी तसल्ली रखना अपने दिल में,रब चाहें तो प्यास को ही रम कर … Read more

दिलों से जहां रौशन

हीरा सिंह चाहिल ‘बिल्ले’बिलासपुर (छत्तीसगढ़)********************************************* रचना शिल्प:१२२२-१२२२-१२२२-१२२२ चिरागों से न दिल के आशियाँ रौशन हुआ करते।दिलों से मिल सकें दिल तो जहां रौशन किया करते। खुदी ही आइना दिल का, यही दर भी खुदाई का,दिलों में फूल खिलने से फिजा, गुलशन सजा करते। मिला के दिल किसी दिल से कभी इक बार तो देखो,कहोगे मुश्किलों … Read more

तन्हाई बहुत है

डॉ. संजीदा खानम ‘शाहीन’जोधपुर (राजस्थान)************************************** तुम्हारी याद अब आई बहुत है।चले आओ कि तन्हाई बहुत है। हँसी आती नहीं है इन लबों पर,घटा मुश्किल की अब छाई बहुत है। किसी को भी नहीं है फिक्र मेरी,ये दुनिया लगती हर्जाई बहुत है। रकीबों से कोई जा के ये कह दे,मेरे होंठों पे सच्चाई बहुत है। जहाँ … Read more

प्यारी बिटिया रानी

डॉ. संजीदा खानम ‘शाहीन’जोधपुर (राजस्थान)************************************** पिता के घर में रहकर भी हुई मेहमान है बेटी,उसे समझा गया के गैर का समान है बेटी। कभी मिलता नहीं है प्यार भैया की तरह घर में,मगर होंठों पे हरदम ही रखे मुस्कान है बेटी। मिरी काया में अपना अक्स क्यूं ना देखती अम्मी,हरीक अम्मी के गुज़रे वक्त की … Read more

पिता ही छाँव

डॉ. संजीदा खानम ‘शाहीन’जोधपुर (राजस्थान)************************************** ज़मीं पर एक ही ऐसा हुआ घर बार अब्बू जाँ।जहाँ हम बेटियों को भी मिला है प्यार अब्बू जाँ। चलाते रोज़ ही रिक्शा मेरे खुद्दार अब्बू जाँ,मगर घर को नहीं होने दिया बाज़ार अब्बू जाँ। यही पहचान मोमिन की कभी झुकता नहीं है वो,बहुत झेली है वरना वक़्त की हर … Read more

ख़ुशी गुम हो गई

सुश्री अंजुमन मंसूरी ‘आरज़ू’छिंदवाड़ा (मध्य प्रदेश)****************************************** ज़िंदगी भर के लिए दिल की ख़ुशी गुम हो गई।बिन तुम्हारे ज़िंदगी से ज़िंदगी गुम हो गई। दिल की आँखें अब भी रोती हैं तुम्हारी याद में,मेरी चश्म-ए-तर से यूँ तो हर नमी गुम हो गई। खो गईं सारी बहारें अब मुसलसल है ख़िज़ा,पहले खिलती थी जो लब पर … Read more

तू भी दिल दुखाता नहीं

डॉ. संजीदा खानम ‘शाहीन’जोधपुर (राजस्थान)************************************** गर यह दिल तुझ पे आता नहीं,तू भी दिल को दुखाता नहीं। तेरी आदत है कितनी बुरी,रूठने पे मनाता नहीं। जिंदगी के सफर में कोई,इस तरह छोड़ जाता नहीं। इस तरह छोड़ जाना ही था,सोये अरमां जगाता नहीं। एक अर्सा हुआ है तुझे,अपना चेहरा दिखता नहीं। बेवफा तुझको होना था … Read more

…ईमान मर जाता

डॉ. संजीदा खानम ‘शाहीन’जोधपुर (राजस्थान)************************************** मिरा दिल सोच के इस बात को हर बार डर जाता।अगर में डगमगा जाती, मिरा ईमान मर जाता। मैं घर का काम निपटाकर हँसी ख्वाबों में खो जाता,मिरा महबूब लेकिन शाम को ताखीर कर जाता। उसे मुझ पर भरोसा है, ये कोई बात कम है क्या,यही विश्वास थक जाऊं तो … Read more

दर्पण जैसा स्वच्छ हो हर काम

ममता तिवारी ‘ममता’जांजगीर-चाम्पा(छत्तीसगढ़)************************************** दोहा आधारित ग़ज़ल… दरपन निरख-निरख लटे, साजते बार-बार।एक बार देखा नहीं, निज आचार विचार॥ दर्पण जैसा स्वच्छ हो, जीवन का हर काम।धब्बे लगे न काँच में, मुख होगा अँधियार॥ सत्य सदा दिखला नहीं, दर्पण बनना छोड़।तोड़ हृदय न काँच-सा, रोको मन पुचकार॥ दर्पण दिखलाता हमें, अति दूर की वस्तु।दृष्टि दूरदर्शी बने, मन … Read more