गिर रही कीमत इंसान की

प्रो.डॉ. शरद नारायण खरेमंडला(मध्यप्रदेश) ******************************************* गिर रही है रोज़ ही,कीमत यहाँ इंसान की।बढ़ रही है रोज़ ही, आफ़त यहाँ इंसान की॥ न सत्य है,न नीति है,बस झूठ का बाज़ार हैन रीति है,न प्रीति है,बस मौत का व्यापार है।श्मशान में भी लूट है,दुर्गति यहाँ इंसान की,गिर रही है रोज़ ही, कीमत यहाँ इंसान की…॥ बिक रहीं … Read more

सावन का आगाज

शंकरलाल जांगिड़ ‘शंकर दादाजी’रावतसर(राजस्थान) ****************************************** उमड़-घुमड़ कर आये बदरा दादुर करते शोर,दम-दम दमक रही दामिनियाँ नाच उठा मन मोर।कि सावन आया है, ये मन हर्षाया है॥ घन-घन गरजे कारी बदरिया बिजुरी चमके जोर,ठंडी-ठंडी चले बयारी जल बरसे घनघोर।भरे लबालब सभी सरोवर ताल तलाया है,कि सावन आया है ये मन हर्षाया है…॥ गर्मी की रुत चली गई, … Read more

बादल भी क्या करे

विजयलक्ष्मी विभा इलाहाबाद(उत्तरप्रदेश)************************************ बैठा है कब से प्यासा वो,स्वाति के आसरे।चातक के स्वाभिमान का, बादल भी क्या करे॥ जिसने भरे जलाशय,जिसने भरे समन्दरपर्वत की चोटियों से,जिसने बहाये निर्झर।सोचे वही कि कैसे पपीहे का घट भरे,बैठा है कब से…॥ है मांग बूंद भर की,पर आमरण है अनशनकितनी बड़ी चुनौती,तुझको मिली रे सावन।मेघों की ठंडी छांव में कब … Read more

मुस्कानों को जब बाँटोगे…

प्रो.डॉ. शरद नारायण खरेमंडला(मध्यप्रदेश) ******************************************* ख़्वाबों में जीवन की शोभा, मिलता नित यशगान है।मुस्कानों को जब बाँटोगे, तब जीने का मान है॥ दीन-दुखी के अश्रु पौंछकर,जो देता है सम्बलपेट है भूखा,तो दे रोटी,दे सर्दी में कम्बल।अंतर्मन में है करुणा तो, मानव गुण की खान है,मुस्कानों को जब बाँटोगे, तब जीने का मान है…॥ धन-दौलत मत … Read more

हम अग्निवीर

डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’बेंगलुरु (कर्नाटक) *********************************************** हम अग्निवीर सीमा प्रवीर,बलिदान राष्ट्र पथ जाते हैं।हम शौर्यवीर गंभीर धीर,स्वाभिमान विजय रण गाते हैं॥ हम महाज्वाल हैं क्रान्ति अनल,दुश्मन रण दनुज जलाते हैं।हम सत्याग्रह हैं शान्ति सरल,अग्निवीर मनुज हर्षाते हैं।हम अग्निवीर सीमा… हम अग्निवीर संकल्प अटल,रण युवा शक्ति दिखलाते हैं।हम एक तकाजा राष्ट्र सबल,नव प्रगति रीति रच जाते … Read more

पापा तुम-सा कोई न प्यारा

सुरेन्द्र सिंह राजपूत हमसफ़रदेवास (मध्यप्रदेश)****************************************** मन्दिर, मस्ज़िद और गुरुद्वारा,साधु-सन्त-ज्योतिष का द्वारा।जा-जाकर मैं हारा…पापा तुम-सा कोई न प्यारा॥पापा तुम-सा… नहीं मैं समझा रूप तुम्हारा,छिपा क्रोध में प्यार तुम्हारा।करूणामयी है हृदय तुम्हारा,तुमसे शोभित घर है सारा।आपकी मेहनत से सँवरा,आज ये भाग्य हमारा…॥पापा तुम-सा… ख़ुद न खाकर हमें खिलाया,जो भी मांगा हमें दिलाया।अँगुली पकड़कर चलना सिखाया,जीवन पथ हमको दिखलाया।छाँव … Read more

रखे जाल बुन-बुन

विजयलक्ष्मी विभा इलाहाबाद(उत्तरप्रदेश)************************************ अब तो नव जन्मे जीवन में, लग जाता है घुन।फिर भी हमें लगी रहती है, वृद्धापन की धुन॥घटते जीवन का भी अपने,बढ़ता पल-पल भावथोड़ी उम्र और मिल जाये,सभी लगाते दाव।अब तो बांट रहा है सृष्टा, प्राण हमें चुन-चुन…॥ स्वाति-स्वाति रटते बुझ जाती,चातक की भी प्यासनयनहीन ही नयनों को अब,देते यहां प्रकाश।तुला तुल्य हो … Read more

चलो चलें स्कूल हम

डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’बेंगलुरु (कर्नाटक) *********************************************** आओ हम सब बच्चे भारत,नौनिहालों साथ स्कूल चलें।अ आ इ ई क ख ग घ पाठ ज्ञान,हम भारतीय इन्सान बनें॥ ज्ञानोदय नव भोर किरण पथ,नव विहान ज्ञान अनुकूल बने।शिक्षा का आलोक चरित निज,शील धीर वीर सच मूल बनें। शिक्षा संयम साहस सम्बल,दुर्गम बाधा पथ शान बढ़ें।हम बच्चे भारत भविष्य … Read more

जीवन ढला

शंकरलाल जांगिड़ ‘शंकर दादाजी’रावतसर(राजस्थान) ****************************************** शैशव से फिर आया बचपन और जवाँ का दौर चला।जैसे उदय पूर्व से होकर रवि पश्चिम में जाय ढला॥ समय धुरी पर चलता रहता रोक नहीं कोई पाया,जीवन की गति यही निरंतर ये सब है विधि की माया।सूरज-चाँद सितारे नदियाँ है परिणाम यही सबका,खिलते हैं सब वृक्ष धरा पर ऋतु बसंत … Read more

तुम ही पावन…

हीरा सिंह चाहिल ‘बिल्ले’बिलासपुर (छत्तीसगढ़) ********************************************* रचना शिल्प: प्रति चरण १६ मात्रा-२ २ २ २ २ २ २ २…. तुम ही पावन, मन भावन हो,जीवन का तुम ही उपवन हो।तुमसे ही जीवन में सुख हैं,हर सुख का तुम ही मधुवन हो॥तुम ही पावन… पलभर भी जब तुम नहिं दिखती,बेचैनी तब मन में रहती।साँसें थमतीं, आहें … Read more