गाओ धुन श्रीराम की

डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’बेंगलुरु (कर्नाटक) ************************************************* गाओ धुन श्रीराम की, पाओ सुख हरि धाम।तजो मोह माया जगत, जय जय राघव नाम॥ भजो रामधुन जानकी, रघुपति कृपा निधान।मर्यादा जीवनचरित, विष्णु रूप भगवान॥ दशरथ नन्दन राम धुन, गाओ रे नर लोक।पितृभक्ति श्री राम से, सीख हरे सब शोक॥ सुमिरन धुन अवधेश की, जी लो प्रभु पद राम।गुणागार … Read more

मति विवेक वश मन करो

डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’बेंगलुरु (कर्नाटक) ************************************************* आशा मन अतिरेक बन, चाहत बिना प्रयास।करे याचना पद विभव, दीन-हीन आभास॥ मन सुन्दर जग चारुतम, अम्बर मुक्त उड़ान।सत्य न्याय पथ त्याग बल, संजीवन वरदान॥ रखो मनोबल धैर्य को, रहो संयमित ध्येय।साहस रख विश्वास ख़ुद,रिद्धि सिद्धि यश गेय॥ निन्दक नित प्रेरक पथी, मन का कर अवरोध।चल पौरुष पथ सच … Read more

जुगनू हैसियत

डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’बेंगलुरु (कर्नाटक) ************************************************* समझो जुगनू हैसियत, गहन अमावस रात।छिपते जलते रातभर, सुख-दु:ख बन सौगात॥ परनिन्दा औषधि समझ, दिग्दर्शक सोपान।जुगनू बन आलोक दे, निन्दक प्रभु वरदान॥ हरित पौध पादप कुसुम, चहुँ दिशि खिला निकुंज।सावन पहली बारिशें, फैली जुगनू पुंज॥ नव रंगों से है सजा, आया फागुन मास।इतराती रति रागिनी, इठलाती मृदुभास॥ बन जुगनू … Read more

कठिन प्रतिज्ञा सिया की

डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’बेंगलुरु (कर्नाटक) ************************************************* अगहन शुक्ला पंचमी, सनातनी त्यौहार।विवाह दिन श्री राम का, अवध हुआ उजियार॥ हुआ स्वयंवर जानकी, सजा जनक दरबार।धनु पिनाक को तोड़ने, आये राजावार॥ कठिन प्रतिज्ञा सिया की, वरमाला आधार।धनुष भंग जो वर करे, पहनाये गलहार॥ तोड़ न पाये शिव धनुष, राजा राजकुमार।देख दुखी राजा जनक, वीर हीन संसार॥ दुखी … Read more

बनें नहीं मायूस हम

डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’बेंगलुरु (कर्नाटक)************************************************** गिरी अचानक आपदा, भाग्य रहे हम कोस।धरे हाथ पर हाथ हम, करते बस अफ़सोस॥ मिले राह गुमराह को, नयी सीख हर हार।बने धीर साहस सबल, मिले धार पतवार॥ आती हैं जीवन विपद, मति विवेक हों पार।बनें नहीं मायूस हम, वरना होगी हार॥ तनिक विफलता क्या मिली, होते हम मायूस।तजे लक्ष्य … Read more

करूँ प्रार्थना आपकी

बोधन राम निषाद ‘राज’ कबीरधाम (छत्तीसगढ़)****************************************************** श्री शिवाय नमस्तुभ्यम… हर पल तेरा साथ हो, शिव शंकर नटराज।करूँ प्रार्थना आपकी, सफल बने हर काज॥ सफल बने हर काज मम्, जय हो भोलेनाथ।आया हूँ तेरी शरण, करना शिव परमार्थ॥ करना मम् परमार्थ शिव, मैं हूँ दीन अनाथ।बालक मुझको जानकर, रखना सर पर हाथ॥ रखना सर पर हाथ प्रभु, … Read more

एक आसरा शम्भू

बोधन राम निषाद ‘राज’ कबीरधाम (छत्तीसगढ़)****************************************************** श्री शिवाय नमस्तुभ्यम… बनूँ नेक इंसान प्रभु, हे शिव भोलेनाथ।जीवनभर खुशियाँ रहें, थाम्हो मेरा हाथ॥ थाम्हों मेरा हाथ अब, गया आज थक-हार।एक आसरा शम्भु शिव, कर दो बेड़ा पार॥ कर दो बेड़ापार प्रभु, वंदन सुबह व शाम।चरण शरण में राखिये, मेरा कोटि प्रणाम॥ मेरा कोटि प्रणाम प्रभु, शंभु उमापति नाथ।स्वीकारो … Read more

पत्थर की महिमा

प्रो.डॉ. शरद नारायण खरेमंडला(मध्यप्रदेश)******************************************* रहना पत्थर बन नहीं, बन जाना तुम मोम।मानवता को धारकर, पुलकित कर हर रोम॥ पत्थर दिल होते जटिल, खो देते हैं भाव।उनमें बचता ही नहीं, मानवता प्रति ताव॥ पत्थर की तासीर है, रहना नित्य कठोर।करुणा बिन मौसम सदा, हो जाता घनघोर॥ पत्थर जब सिर पर पड़े, बहने लगता ख़ून।दर्द बढ़ाता नित्य … Read more

कहाँ दिखे परवेदना ?

डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’बेंगलुरु (कर्नाटक) ************************************************* कहाँ दिखे परवेदना, दीन दु:खी उदास।कहाँ दर्द संवेदना, अपनों पर विश्वास॥ मेरे मुकद्दर असफल, कहाँ मंजिलें छाँव।क्षत विक्षत निज ध्येय पथ, पा अपनापन घाव॥ अपने बेगाने हुए, पा सत्ता सुख भोग।टुटे रक्त बन्धन सकल, आपस योगायोग॥ अपने बेगाने हुए, लालच में पड़ आज।तनिक सफलता क्या मिली, चढ़ी प्रथम सर … Read more

प्रगति- जिम्मेदारी सभी की

डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’बेंगलुरु (कर्नाटक) ************************************************* मानव जीवन चिर प्रगति, ग्रन्थ सनातन वेद।ज्ञान कर्म परहित जगत, शान्ति प्रेम संवेद॥ जिम्मेदारी सभी की, जन भारत उत्थान।प्रगतिशील आगम समय, नवयौवन संज्ञान॥ परमारथ पौरुष सबल, बने प्रगति वरदान।नीति प्रीति सच न्याय पथ, वहीमनुज इंसान॥ लोभ मोह मद कोप छल, घृणा द्वेष हैवान।बाधक बनते नित प्रगति, दानवीय शैतान॥ बनें … Read more