गाँधी-शास्त्री को नमन

डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’बेंगलुरु (कर्नाटक) ************************************************* गांधी जयंती एवं लाल बहादुर शास्त्री जयंती (२अक्टूबर) विशेष… हिंदी हिंदुस्तान की, राजभाषा महान।गांधी-शास्त्री समर्थित, भारत जन पहचान॥ सत्य त्याग शालीनता, कर्म धर्म समुदार।गांधी-शास्त्री युगल वे, स्वच्छ न्याय आधार॥ मार्ग अहिंसा विजय का, जीवन उच्च विचार।रहा जिंदगी सादगी, किया देश उद्धार॥ अर्पित तन-मन-धन वतन, गाँधी शास्त्री साथ।रामराज्य अभिलाष मन, … Read more

‘भक्ति’ शक्ति की मीत

डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’बेंगलुरु (कर्नाटक) ************************************************* भक्ति शक्ति की मीत है, प्रीति गीत संगीत।रोम-रोम पुलकित प्रगति, भारत चहुँ नवनीत॥ देशभक्ति माला जपो, जपो कीर्ति बलिदान।राम राज्य उन्नत वतन, राम नाम यश गान॥ युवाशक्ति पुरुषार्थ से, रचे प्रगति तस्वीर।भारत सर्वोन्नति सुपथ, बदल रहे तकदीर॥ मर्यादित जीवन चरित, पितृभक्ति पहचान।शील त्याग करुणा क्षमा, राम चन्द्र भगवान॥ राम … Read more

तनिक न रखते ध्यान

रश्मि लहरलखनऊ (उत्तर प्रदेश)************************************************** औरों की श्री कीर्ति का, तनिक न रखते ध्यान।फिर कैसे उनको मिले, मान और सम्मान॥ संस्कृति निर्वसना हुई, उच्छृंखल परिवेश।ऐसा पहले था नहीं, अपना भारत देश॥ औरों की आलोचना, करते हैं भरपूर।रखकर अपने-आपसे, वे दर्पण को दूर॥ बच्चे जब से जा बसे, सात समुंदर पार।पूछो मत माँ-बाप के, दुख का पारावार॥

लुप्त जनचेतना

डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’बेंगलुरु (कर्नाटक) ************************************************* लुप्त आज जनचेतना सब पर है भारी बहुत, केवल अवसरवाद।कहाँ बोध परमार्थ श्रम, राष्ट्रवाद संवाद॥ अंबर चमके बिजुरिया, बरसे बादल घोर।मचे तबाही बाढ़ से, कोलाहल चहुँ ओर॥ गजब मेघ की गर्जना, करता हृदय विदीर्ण।मानो घन आतंक हो, दहशत में है जीर्ण॥ लुप्त आज जन चेतना, कहाँ करुण रस भाव।कहाँ … Read more

उद्यम संजीवन जगत

डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’बेंगलुरु (कर्नाटक) ************************************************* उद्यम संजीवन जगत, हरित भरित संसार।सज्जित हो काया धरा, खुशियों का अम्बार॥ खिलती धरती कर्म से, सुरभित हो परमार्थ।सरित सिन्धु पर्वत बिपिन, उन्नति चहुँ आधार॥ मत काटो गिरि सरित वन, ये साँसों की डोर।सुष्मित सुरभित हो प्रकृति, सुखमय जीवन मोर॥ क्षिति जल पावक नव पवन, बनता जीवन स्वर्ग।रख कुदरत … Read more

रचा संसार

डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’बेंगलुरु (कर्नाटक) ************************************************* शुक्ला कन्या तृतीया, ब्रह्मा सप्तक पूत।जन्म दिवस शुभकामना, आराधन विधि सूत॥ अभियन्ता जग में प्रथम, प्रथम सृष्टि निर्माण।रचे देव देवी महल, किया लोक का त्राण॥ चक्र सुदर्शन विष्णु का, शिव त्रिशूल निर्माण।निर्माता वज्रेन्द्र का, विश्वकर्म जग प्राण॥ नमन विश्वकर्मा चरण, वैदिक विधिना पूज।यंत्रदेव वंदन विनत, प्रभो बनो मत दूज॥ … Read more

भगवान् विश्वकर्मा जी

डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’बेंगलुरु (कर्नाटक) ************************************************* शुक्ला कन्या तृतीया, ब्रह्मा सप्तक पूत।जन्म दिवस शुभकामना, आराधन विधि सूत॥ अभियन्ता जग में प्रथम, प्रथम सृष्टि निर्माण।रचे देव देवी महल, किया लोक का त्राण॥ चक्र सुदर्शन विष्णु का, शिव त्रिशूल निर्माण।निर्माता वज्रेन्द्र का, विश्वकर्म जग प्राण॥ नमन विश्वकर्मा चरण, वैदिक विधिना पूज।यंत्रदेव वंदन विनत, प्रभो बनो मत दूज॥ … Read more

बाट जोहती प्रियतमा

डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’बेंगलुरु (कर्नाटक) ************************************************* तीज सनातन पर्व में, नार्य शक्ति उपवास।पीहर दीर्घायु बने, रखती व्रत विश्वास॥ तीज कठिन उपवास है, निर्जला निराहार।पूजे सायं चाँद को, वैदिक मंत्रोच्चार॥ रक्षा बन्धन पर्व शुभ, भाई-बहना प्यार।रोली अक्षत चंदना, रिश्ते मधुर बयार॥ टीका चंदन भाल पर, बहन लगावें नेह।भाई दे बहना वचन, रक्षण धेय विदेह॥ कठिन विदाई … Read more

क्षमा मनुज भूषण

डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’बेंगलुरु (कर्नाटक) ************************************************* क्षमा मनुज भूषण जगत, है प्रतीक आचार।शील त्याग गुण कर्म पथ, धवल कीर्ति आधार॥ ममता करुणा क्षमा मन, नीति न्याय श्रृंगार।तज माया खल काम को, कर जीवन उपकार॥ मानव जीवन क्षणिक जग, दुर्लभ है संसार।तज माया मद मोह को, क्षमा श्रेष्ठ उपहार॥ शान्ति सेतु आनंद है, युद्ध विनाशक लोक।शान्ति … Read more

महको कमल बन

डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’बेंगलुरु (कर्नाटक) ************************************************* कीचड़ में खिलता कमल, सुरभित करता लोक।शोभित कर हरि लक्ष्मी, कर्म कीर्ति आलोक॥ मिले गर्त उपहास बहु, फँसें नहीं खल फाँस।खिलें विवेकी अरुणिमा, सुमति किरण बन खास॥ बाधाओं से पथ घिरा, राह मिले पाषाण।समझ गर्त इस द्वेष को, निकल जगत कल्याण॥ घायल होंगे गात्र भी, बढ़ो लक्ष्य पथ त्राण।तोड़ो … Read more