खूनी है अब आचरण
प्रो.डॉ. शरद नारायण खरेमंडला(मध्यप्रदेश) ******************************************* जीवन है विपरीत अब, सब कुछ है प्रतिकूल।फूलों की बातें नहीं, चुभते हैं नित शूल॥ रोज़ विहँसता झूठ अब, हार गई मुस्कान।सच्चा अवसादों घिरा, मिथ्या का है मान॥ संदेहों का ताण्डव, बिलख रहा विश्वास।हर इक अब मायूस है, नहीं शेष अब आस॥ कैसा कलियुग आ गया, बदल गया इंसान।दौलत के … Read more