मैं हिंदी हूँ हिंदुस्तान की

डॉ. विद्या ‘सौम्य’प्रयागराज (उत्तर प्रदेश)************************************************ ‘हिन्दी दिवस’ विशेष… मैं हिंदी हूँ हिंदुस्तान की,ब्रह्म के मुख का सार भी मैं हूँवेदों का अभिमान भी मैं हूँ,शिव के डमरू से निःश्रृतअविनाशी झंकार भी मैं हूँ,प्रकट होती मधुर गीतों में,भावों का अनुराग भी मैं हूँहाँ…मैं हिंदी हूँ हिंदुस्तान की। बिखरी हूँ मैं सकल भारत में,जन-जन की आवाज़ भी … Read more

बरसात गई

संजय वर्मा ‘दृष्टि’ मनावर (मध्यप्रदेश)******************************** बरसात गई,नदियों-तालाबों की झोलीपानी से भर गई,गर्मी तक का जीव जंतुओं कापोषण कर गई,किसानों की आँखों मेंखुशियों का नीर भर गई। इंद्रधनुष छुपा बादल में,उसे बस एक ही चिंता रहीउसकी परछाई कभी धरती के,दर्पण में आज तक नहीं दिख पाई। रंगों से इठलाता रहा,जब तक बरसात का साथ रहामयूर भी अब … Read more

बंगलौर का सफ़र

सीमा जैन ‘निसर्ग’खड़गपुर (प.बंगाल)********************************* “ट्रेन६ घंटे री-शेड्यूल हो गई”… का आईआरएसएमएस मैसेज देखकर थोड़ी कोफ्त हुई। ओह, अब बंगलौर सुबह छह बजे पहुंचेंगे। चलो ठीक है, मैंने खुद को दिलासा दिया,” वैसे भी बेटी का इंटरव्यू ११ बजे के बाद ही होगा”, पर छोटे शहर से बंगलौर जाने वाले युवा भी अन्य पॉइंट्स पर दुखी … Read more

कर्म का फल

सरोज प्रजापति ‘सरोज’मंडी (हिमाचल प्रदेश)*********************************************** अतिवृष्टि, हिमअंचल ढह रहे,क्या बयां करें, सब धुआं-धुआं हो रहेहिमनद मौन नहीं, तांडव ढा रहे,पिघल भयावह, दैत्य रूप धरे। पर्वत चट, सीना चीर दिखा रहे,सुनो हे मद स्वावलंबी मानवहस्तक्षेप, विधना क्यों कर रहे ?सीना छलनी कर, सिर धुन रहे। निर्लज्ज इंसान, हेय करणी कर रहे,फटती धरती जीवन निगल रहीदोषी-निर्दोष समभाव, … Read more

मेरी तलाश में

हीरा सिंह चाहिल ‘बिल्ले’बिलासपुर (छत्तीसगढ़)********************************************* मेरे हबीब वो रहबर मेरी तलाश में हैं।मेरे करीब ही रहकर मेरी तलाश में हैं। थी एक चाह कि मैं बनता प्रेम का सागर,ना जानता था समंदर मेरी तलाश में है। मैं सोचता रहा दिखते वो किस तरह होंगे,वो खुशनसीब से मंजर मेरी तलाश में हैं। हो आपकी जो दुआ … Read more

मुकद्दर… क्यों रोता है ?

डॉ. प्रताप मोहन ‘भारतीय’सोलन (हिमाचल प्रदेश)***************************************************** मिलता वही है हमें,जो मुकद्दर में लिखा होता हैफिर इंसान क्यों अपने,मुकद्दर पर रोता है। हमारे कर्मों से ही,हमारा मुकद्दर बनता हैअच्छा करने पर,हमें अच्छा ही मिलता है। जो हमारी किस्मत में लिखा हो,वो मुकद्दर कहलाता हैयह जन्म के समय,विधाता द्वारा लिखा जाता है। कभी किसी की लॉटरी लगती … Read more

नौजवान ना जाने कहाँ खो गया ?

हरिहर सिंह चौहानइन्दौर (मध्यप्रदेश )************************************ ये नया भारत आधुनिकता का दौर है,जिसमें हम सब आगे बढ़े जा रहे हैंलेकिन बुराईयों को हम नहीं छोड़ रहे हैं,अच्छी बात नहीं है ये…। युवक-युवतियों को देखो-खुलेआम सिगरेट के गुलछर्रे उड़ा रहे हैं,शहरों में रात के समय नशे में मदहोश दिखाई देता है युवा वर्ग,अच्छी बात नहीं है ये…। … Read more

जीवन है अनमोल, इसे सँवारें

डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’बेंगलुरु (कर्नाटक) ************************************************* जीवन है अनमोल धरोहर, इसे संवारें-इसे संजोएँ,पल-पल जीएँ दुर्लभ चिन्तन, देश धर्म पुरुषार्थ रचाएँ। खुले द्वार पथ लक्ष्य अटल रथ संकल्पित संकल्प दिखाएँ,सुखद वक्त दुर्लभ हो जीवन, खुशियों का अम्बार लगाएँ। है असीम अभिलाष हृदय तल, अन्तर्मन विश्वास दिलाएँ,एकनिष्ठ हो ध्येय दृष्टि पथ, अरुणोदय अरुणाभ दिखाएँ। कर्मवीर ध्यानस्थ मनोबल … Read more

पितृ ऋण

दीप्ति खरेमंडला (मध्यप्रदेश)************************************* श्राद्ध, श्रद्धा और हम (पितृ पक्ष विशेष)… पितृ पक्ष की बेला,संस्कारों की परछाई हैआह्वान करते उन पूर्वजों का,मन में श्रद्धा की गहराई है। श्रद्धा सुमन अर्पित उन्हें,जिनकी वाणी में था आशीषनमन उन पूर्वजों का जो,जिनकी तृप्ति शुभ फलदाई है। जो थे कभी साथ हमारे,देव रूप में धरा पर आए हैंजल, तिल, कुश … Read more

तर्पण की हकीकत

प्रो.डॉ. शरद नारायण खरेमंडला(मध्यप्रदेश)******************************************* मात-पिता प्यासे मरे, अब कर रहे हैं तर्पण,यह तो ढोंग ही दिखता है, दिखावा है अर्पण। जब जीवित थे मात-पिता, तब ही सब ज़रूरत थी,आज तो यह सारी दिखावे से भरी हुई वसीयत है। जीवित की सेवा का ही तो होता सच्चा मोल है,बाद में दिखती कर्मों में लम्बी, गहरी पोल … Read more