अवनि तर भए
सरोज प्रजापति ‘सरोज’मंडी (हिमाचल प्रदेश)*********************************************** रिमझिम-रिमझिम, टपक-टपक कर,गिर-गिर जलकण, अवनि तर भए। शिखर-शिखर ढक, दुबक-दुबक कर,उज्वल-उज्वल, मलिन कुछ दिखे। नियमित-नियमित, ढरक-ढरक कण,जलद-जलद भिड़, तड़ित भय लसे। अतिथि उदित रवि, दुर्लभ-दुर्लभ दर्श,तनिक-तनिक लुप्त, कश्मकश भए। गड़बड़-गड़बड़ नभ, उदर विकृत नभ,पल-पल हसरत, प्रतिगमन करे। रश्मि-रश्मि दिनकर, लुक-छिप लुक-छिप,महफ़िल सजकर, स्वर्णिम छवि सजे। जलमय-जलमय, अधिकतम डगर,स्खलित-स्खलित पथ, अति … Read more