जो डर गए होते
सुश्री अंजुमन मंसूरी ‘आरज़ू’छिंदवाड़ा (मध्य प्रदेश)****************************************** सफ़र की मुश्किलों से हम जो डर गए होते,ज़फ़र न मिलती हमें गर ठहर गए होते। जो ओट सब्र की करते न हम तो दुनिया में,ज़रा-सी ग़म की हवा से बिखर गए होते। ज़ियादा लाड़ के साये में नस्ल-ए नौ झुलसे,जो होते धूप में तो ये निखर गए होते। … Read more