हरा-भरा मौसम आया

प्रो.डॉ. शरद नारायण खरेमंडला(मध्यप्रदेश)******************************************* हरा-भरा मौसम आया है, हरियाली से धरा सजी,तीज मनातीं आज नारियाँ, हरी चूड़ियाँ ख़ूब बजीं। सावन के पावन महीने में, उमा-शक्ति की है पूजा,है हरियाली तीज सुहानी, पावन दौर नहीं दूजा। साड़ी हरी पहनकर नारी, मना रहीं हरियाली तीज,पार्वती ने श्रद्धा देखी, दिया सुहागन को आशीष। पुआ बनाये भोग लगाया, गाये … Read more

उसूलों पर चला होगा

हिमांशु हाड़गेबालाघाट (मध्यप्रदेश)**************************************** दूर तक अकेला जाने वाला,कुछ पल तो ठहरा होगाअपनी हर बात का जवाब देने से पहले,कितने समय तक आपकी बात को सुना होगापाँवों के नीचे छाले बता रहे, उसूलों पर चला होगा…। एक राही, कितनी दूर तक अकेला चला होगा,कई पत्थर राह में आए होंगेकदम फिर भी न डगमगाए होंगे,पाँवों के नीचे … Read more

नन्हे बालक मन बहलाते

सरोज प्रजापति ‘सरोज’मंडी (हिमाचल प्रदेश)*********************************************** नन्हे-मुन्ने हैं सबसे प्यारे,हँसते-गाते लगे न्यारेमस्ती, मनमौजी कहलाते,खेलकूद कर मन बहलाते। नादान ये कितने होते,आँख के तारे सबके होतेमोहिनी मूरत, सूरत भोली,शैतानी कर, भोली बोली। टीनू-मीनू बालक दो हैं,चाँद-सा मुखड़ा, फूल दो हैंनिहारे चंद नजर चुराए,लुका-छुपी खिलौना बताए। मटक, ठुमक-ठुमक चलत सानी,छपक-छपक कर चलते पानीनन्हे-नन्हे कदमों से भागे,घुंघरू बांध छम-छम … Read more

‘झूठ’ सच का दुश्मन

संजय एम. वासनिकमुम्बई (महाराष्ट्र)************************************* सच का दुश्मन,सच्चाई का विरोधीयह झूठ हैजो हमेशा ही,दु:ख देता है। झूठी इच्छाएँदु:ख देती हैं,झूठे मूल्य औरझूठे विचारदुःख देते हैं,और डर पैदा करते हैं। लोगों के बीच झूठे रिश्ते,परेशान करते हैंझूठ की बुनियाद,बहुत कमजोर होती हैझूठ हमेशा जीत नहीं सकता,और हम हार जाते हैं। झूठ को त्याग दो,सत्य का स्वीकार करोतुम … Read more

लक्ष्मण रेखा पार करता मानव

हरिहर सिंह चौहानइन्दौर (मध्यप्रदेश )************************************ झूठ का समन्दर अपार,लालच की गगरी फोड़करनिकल रहा मतलबी बन जमाना,क्योंकि लक्ष्मण रेखा पार करता मानव। अपनों को पीड़ा पहुंचा रहे,माँ-बाप को वृध्दाश्रम में भेजकररिश्तों का आज कोई मोल नहीं रहा ?क्योंकि लक्ष्मण रेखा पार करता मानव। आज ऐसे दृश्य बहुत ज्यादा हैं,कहीं बीमारी से त्रस्त बेटाबिस्तर पर लेटा,और पिता … Read more

भोले की धुन में मन

डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’बेंगलुरु (कर्नाटक) ************************************************* भोले की धुन में रमा है मन काँवरियों की टोली का,अनुपम अद्भुत धर्म सनातन भक्तियोग रंग सम होली काहरिद्वार बन गया धाम शुभ गंगाजल शिव हर-हर का,बम-बम भोलेनाथ उमेश्वर विश्वनाथ शिव शंकर की। द्वादश ज्योतिर्लिंग सदाशिव नटराज शम्भु जगदीश्वर जी,पावन सावन मास काँवरियों सजे पथ हरिद्वार गंगाधर काजय-जयकारों काँवरिया … Read more

निकल पड़ी हूँ

सरोजिनी चौधरीजबलपुर (मध्यप्रदेश)********************************** साहित्य सिंधु में निकल पड़ी मैं ले काग़ज़ की कश्ती,लेखनी है पतवार, सहारे जिसके आगे बढ़ती। आ तो गई भरी पुस्तक पर लिखूँ मैं रचना अपनी ऐसी,सोच रही हूँ उस रचना में गहराई हो सागर जैसी। सुख, दुःख, हास्य और उसमें कुछ हों ज्ञान की बातें,पढ़ने वाला भी खुश हो ले, मेरी … Read more

तेरी गलियाँ

urmila-kumari

उर्मिला कुमारी ‘साईप्रीत’कटनी (मध्यप्रदेश )********************************************** तेरी गलियों में दीवाने घूमते हैं, उन दीवानों में मैं भी घूमता हूँ आज सूरज मध्यम सा दिखा है, पूनम का चाँद दिलों में बसा है। हर मोड़ पर तेरी परछाई दिखी है, हर साँस में तेरा अक्स-सा छिपा है माना एकतरफा मेरा प्यार यहाँ है, मेरे दिल पर तेरे … Read more

नोंक-झोंक

डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’बेंगलुरु (कर्नाटक) ************************************************* नोंक-झोंक अविरत कलह, खींचतान परिवार।सात जन्म सतफेर भी, पति-पत्नी तकरार॥ अधिकारी वर्चस्व का, तू-तू मैं-मैं रोज।जीवन संगी परस्पर, नित्य कलह की खोज॥ नैहर चर्चा कलह की, वजह कलह शुरूआत।पत्नी दावानल बनी, खोती खुद जज़्बात॥ असहनीय निंदा तनिक, मातु-पिता परिवार।दुर्गा फिर काली बनी, रौद्र रूप अवतार॥ खाना-पीना बन्द सब, बही … Read more

फिर सावन आ गया

प्रीति तिवारी कश्मीरा ‘वंदना शिवदासी’सहारनपुर (उप्र)************************************************** शिव जी को जल चढ़ाने फिर से सावन आ गया है।मेरे मन को मेघ बन के फिर बरसना भा गया है॥ शिव को सावन मास भाये और भायें वर्षा बूँदें,भक्त लीन हैं भक्ति में अब अपनी पलकें मूंदें।हर कोई अभिषेक करने मंदिर में आ गया है,शिव जी को जल … Read more