आज रिश्तों में प्रेम कहाँ
धर्मेंद्र शर्मा उपाध्यायसिरमौर (हिमाचल प्रदेश)******************************************************* कहाँ गया रिश्तों से प्रेम… चकाचौंध दुनिया ने सबको,हे आज कैसा भरमायाकोई किसी का नहीं यहाँ,सब है स्वार्थ और छलावा। सब अपनों तक सीमित रहते,नहीं रिश्तों का किसी को ध्यानओझल हो रही अपनी संस्कृति,बन रहे आज सभी विद्वान। पिता-पुत्र को जीना सिखाए,माता-पुत्री को देती सीखदादा-दादी की प्यारी कहानी,सुनकर सबको करती … Read more