रिमझिम फुहार

जी.एल. जैनजबलपुर (मध्यप्रदेश)************************************* आई सावन की, रिमझिम फुहार,प्रेमी-प्रेमिका का, दिल है बेकरारमिले शुद्ध वायु, दूर बीमारी हजार,बहे त्रिवेणी, गाँव-शहर घर के द्वार।लगा लो पेड़ नीम-पीपल-बरगद यार… आई सावन की, रिमझिम फुहार,समधी-समधन का दिल है बेकरारमिले रोगों का, आयुर्वेद उपचार,बहे त्रिवेणी गाँव-शहर घर के द्वार।लगा लो पेड़ नीम-पीपल-बरगद यार… आई सावन की, रिमझिम फुहार,साली-जीजा का दिल … Read more

आसमान बरसी घटा

डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’बेंगलुरु (कर्नाटक) ************************************************* प्रकृति कहर ढाती धरा, आषाढ़ी अतिवृष्टि।बना जलधि आधा जगत, महाप्रलय घनदृष्टि॥ आधा भारत जल भरा, आयी भीषण बाढ़।आसमान बरसी घटा, अभी मास आषाढ़॥ फैली दहशत बारिशें, नदियों बाढ़ उफान।घर जन दौलत सब बहे, गई हजारों जान॥ कम्पन वर्षण भूक्षरण, लगे प्रकृति आरोप।गिरि वन तरु कर्तन दुखी, कुदरत दिखे प्रकोप॥ … Read more

रखिए स्नेह को सुधामय

डॉ. आशा गुप्ता ‘श्रेया’जमशेदपुर (झारखण्ड)******************************************* कहाँ गया रिश्तों में प्रेम…?… बड़े प्रेम से रिश्ते थे, गहन भाव मन साथ।मात पिता आशीष का, त्याग क्षमा सब हाथ॥ भरा हुआ घर स्वर्ग-सा, सदा रहे जगदीश।पले बढ़े बाल-बालिका, मिले उन्हें आशीष॥ आस-पास के पड़ोसी, बुआ, बहन थे सभी।कभी चाची जी मासी, भाई-बंधु सब तभी॥ बड़ी अमीरी स्नेह की, … Read more

अद्भुत कलम सम्राट

संजय सिंह ‘चन्दन’धनबाद (झारखंड )******************************** कर्मभूमि, रंगभूमि कृति ‘गोदान’,शतरंज के खिलाड़ी, ‘गबन’ महान‘सोज-ए-वतन’ में क्रांति का पैग़ाम,आर्थिक तंगी में ‘कफन’ नीलाम। ‘नमक का दरोगा’ है किसको अनजान,‘ईदगाह’ में लिखा था दर्दे वतन रमजानधनपत राय की कलम करे देश को सलाम,उर्दू और अंग्रेजी में जोड़ते वो हिंदू- इस्लाम। जात-पात, रीति-रिवाज, कर्ज, गरीबी, महामारी,चिंतन में डूब कर … Read more

समय की विमल इंदुता

प्रो.डॉ. शरद नारायण खरेमंडला(मध्यप्रदेश)******************************************* समय होता है विमल इंदु, समय से झरती हैं किरणें,समय होता बड़ा बलवान, समय बहुत कीमती भी होता हैजो खोता है समय वह रोता है, सिर धुनता है, पछताता है,पर समय निकलने आदमी कुछ भी नहीं पाता है। समय कोमल होता है कठोर भी दयामय भी और निष्ठुर भी,वही आदमी सफल … Read more

मेरी कविता

दीप्ति खरेमंडला (मध्यप्रदेश)************************************* नहीं कवि, न मैं हूँ लेखक,न ही हूँ भाषा की ज्ञाताभावों को पिरोया शब्दों में,बस वही है मेरी कविता। रस-छंद का ज्ञान नहीं,अलंकार की पहचान नहींव्याकरण-वर्तनी मैं न जानूं,बस मेरे जज्बात हैं कविता। कला पक्ष और भाव पक्ष का,मुझको नहीं तनिक भी भानशब्द सागर से चुनकर मोती,उन्हें पिरोकर बनती कविता। गद्य-पद्य का … Read more

ले उड़ा ख्याल मुझे

डॉ. संजीदा खानम ‘शाहीन’जोधपुर (राजस्थान)************************************** ले उड़ा, फिर कोई खयाल मुझे।कर दिया जिसने फिर निहाल मुझे। मेरी किस्मत पे लगी हासिद की नजर,उन पे आता है अब जलाल मुझे। आग को पार करके निकली हूँ,दे दिया रब ने फिर जमाल मुझे। गैर काम आए जब पड़ी मुश्किल,अब तो अपनों से है मलाल मुझे। तेरी सूरत … Read more

ये कैसा फ़ैसला है ?

अजय जैन ‘विकल्प’इंदौर (मध्यप्रदेश)****************************************** न खून बदलता है, न ऐसे रूह का रंग,ब्याह से कोई रिश्ता नहीं होता तंगवो जो पली-बढ़ी तेरा नाम लेकर,कैसे हो गई पराई इक दिन में, क्यूँ छोड़ना संग ? “बिटिया अब वही तेरा घर है”-ये कैसा फ़ैसला है ?क्या सपनों का मोल बस एक मंडप ही मिला है ?जब वो … Read more

स्वार्थ में खो गए

ममता साहूकांकेर (छत्तीसगढ़)************************************* कहाँ गया रिश्तों से प्रेम…? ज़िंदगी में केवल व्यावहारिक हो गए,स्वार्थ में हम इतने खो गएनहीं पूछता है किसी को कोई,केवल अपना बोझा ढो गए।पत्थर हुआ दिल और,जज़्बात खामोश हो गए…। पहले बता दिया करते थे सब,अपने दिल की सारी बातेंकोई राज ना रहता था,जीवन होता था खुली किताब,ना जाने कहाँ वो … Read more

नया दौर मस्तिष्क रिझाए

डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’बेंगलुरु (कर्नाटक) ************************************************* नयी चिन्तना नव युवान पथ, सृजनहार सृजनात्मक चाहेंनवल शोध अवरोध तिमिर पथ, नया दौर मस्तिष्क निगाहें। ऊर्जावान सुपथ पौरुष तप, अवधारण तकनीक विधाएँनवोन्मेष शोधन फलमानक, नया दौर मस्तिष्क दिशाएँ। अभिलाषा अभिलेख अलख मन, गहन सघन तकनीकी राहेंउन्मुक्त उड़ान युवा डिजिटल, मेटा आइए मस्तिष्क ‌रिझाए। नया दौर मस्तिष्क विविधता, रीति … Read more