हठ छोड़ दे मेघ

डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’बेंगलुरु (कर्नाटक) ************************************************* छोड़ दे मेघ हठ अपनी, बरसो रे भूतल प्यास हरे,लखि मेघ नभ कृषक मुदित मन, सर सरिता सरसि जल हरे भरेधरती का श्रृंगार मेघ नभ, सजनी प्रीतम अनुराग बढ़े,दमक चमक बिजुरी अम्बर में, प्रिय सजना प्रति मनुहार बने। घनन-घनन घनघोर घटा नभ, बरसे बादल इज़हार करे,वृष्टिवधू सम चारु प्रीत … Read more

‘नशा’ नाश की जड़

ममता साहूकांकेर (छत्तीसगढ़)************************************* नशा नाश की जड़ है भाई,मत जाना इसके पास,घर-परिवार में दुःख बांटे,करे सबको उदास। बीड़ी-गुटका-तम्बाकू है,बीमारी का वास,छोड़ दें हर नशे को वरना,होगा तेरा नाश। तेरा नहीं कोई अपना होगा,ना होगी कोई आस,दर-दर भटकेगा जीवनभर,बन जाएगा दास। जीते-जी तू मर जाएगा,बन के जिंदा लाश,जो तू करेगा नशा सोच ले,मुश्किल होगी लेनी श्वाँस। … Read more

जीवन की किताब

डॉ. श्राबनी चक्रवर्तीबिलासपुर (छतीसगढ़)************************************************* दिन के बाद,रात आती हैनिशा के बाद फिर दिन। जीवन की नैय्या,संसार की नदिया मेंगोते खाए प्रतिदिन। सुख-दु:ख के,बोझ से भरीजीवन की ये नाव। फिसल न जाए,हँसी-खुशी के पलरखना सम्भल के पाँव। वृक्ष के पत्तों की तरह,एक-एक कर झररहे हैं हर एक दिन। कभी उजाला कभी छाया,कब क्या मौसम बदलेआते-जाते कहे … Read more

यह दौर उम्र का…

दीप्ति खरेमंडला (मध्यप्रदेश)************************************* उम्र के इस दौर में,आ गए हैं हमलोग क्या कहेंगे,परवाह कम करने लगे हैं हम।उम्र के इस दौर में,आ गए हैं हम… जिम्मेदारियों का बोझ,उतार अपने कंधों सेफुरसत के पल निकाल कर,सुस्ताने लगे हैं हम।उम्र के इस दौर में,आ गए हैं हम… दोस्ती करने के लिए,नही चाहिए हमउम्र हमेंअनुभवों की पिटारी खोल … Read more

हँसते-गाते कट जाते दिन

डॉ. गायत्री शर्मा’प्रीत’इन्दौर (मध्यप्रदेश )******************************************* हँसते-गाते कट जाते दिन, जब होते अपनें साथ।इंद्रधनुषी रंग बिखेरें, हो हाथों में हाथ॥ अपनों का यदि साथ नहीं, ना होता जीवन आबाद,मात-पिता, भाई-बहन, बेटा-बहू, बेटी-दामाद।इस जीवन में सभी रंग से होते हैं हम सनाथ,हँसते-गाते कट जाते दिन, जब होते अपने साथ…॥ सबका सानिध्य मिले हमें तो, बने बात से … Read more

योग करें

सरोजिनी चौधरीजबलपुर (मध्यप्रदेश)********************************** नित उठें सबेरे योग करेंतन-मन से आलस दूर करें,यदि नियमित योग करेंगे हमरोगों से मुक्त रहेंगे हम। बच्चा, बूढ़ा हो या जवानसब सीख योग बनें बलवान,यदि अभी नहीं कर पाओगेफिर पीछे तुम पछताओगे। है एक संतुलन योग ज्ञानसाँसों का रखना हमें ध्यान,जब ध्यान मग्न हो जाओगेअंतर्मन दर्शन पाओगे। संपूर्ण अंग ऊर्जा विकास,शुद्ध … Read more

आना-जाना लगा रहता

हरिहर सिंह चौहानइन्दौर (मध्यप्रदेश )************************************ ये दुनिया जहान का मेला,लगा हुआ है संसार मेंकोई साथी नहीं है यहाँ तेरा,क्योंकि आना-जाना लगा रहता है…। ज़िन्दगी की डोर कब टूट जाए,पता ही नहीं चलता है जीवन मेंकोई किसी का नहीं होता,क्योंकि आना-जाना लगा रहता है…। रिश्ते-नाते बंधन सब खो जाते हैं,परोपकार अच्छे बोल व संस्कार याद आते … Read more

मेरी खिड़की पर आ जा तितली

डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’बेंगलुरु (कर्नाटक) ************************************************* मेरी खिड़की पर आ जा तितली, सतरंगी मधुरिम उड़ान हैखुशियाँ सुख मुस्कानों भर दे, सत्य प्रकाशित नव विहान हैमनमानी करती उड़ती चहुँ खोल पंख अनुपम उड़ान है,आओ तुम विहरो मन तितली अपनापन धरती महान है। नव रंगों से सजा चमन है, आया सावन मास मधुर हैरंग-बिरंगे पंख खोल चहुँ … Read more

कल्पकथा की काव्य गोष्ठी में हास्य-श्रृंगार की रसधारा

सोनीपत (हरियाणा)। हिन्दी भाषा एवं सद्‌साहित्य के संवर्धन हेतु कृतसंकल्पित कल्पकथा साहित्य संस्था की २०२वीं काव्य गोष्ठी २२ जून को हर्षोल्लास से हुई। इसमें हास्य-व्यंग्य एवं श्रृंगार रस की सरस रचनाओं ने साहित्य प्रेमियों को भाव-विभोर कर दिया।संस्था की संवाद प्रभारी श्रीमती ज्योति राघव सिंह ने बताया कि कार्यक्रम अध्यक्ष डॉ. ओम ऋषि भारद्वाज (वरिष्ठ … Read more

बरखा बहार

संजय वर्मा ‘दृष्टि’ मनावर (मध्यप्रदेश)******************************** बरखा बहार,कर हरियाली का श्रृंगारकड़कड़ाती बिजली,डराती पंछियों कोनाचता मोर निडर होकर,कर रहा स्वागतइंद्रधनुष का,जो बादल के बीच सेनाचते मोर को दे रहा हौसला। आम के झुरमुट से,झाँक रही कोयल भीकुहू-कुहू कर मीठी राग अलापे,किसानों के मुरझाए चेहरे परछाई खुशहाली,बरखा जब तुम बरस कर।ठंडी हवा के झोंकों संग,सूखी धरा पर आई॥ परिचय-संजय … Read more