सृजन फिर से कर सकूं…
डॉ. विद्या ‘सौम्य’प्रयागराज (उत्तर प्रदेश)************************************************ सृजन फिर से कर सकूं,दो ऐसी शक्ति, हे देव। शून्य पड़े थे,जो भाव हृदय में,बिखरा दो पूरे, तन और मन मेंवैराग्य-सा तप रहा है जीवन,प्रेम-रस से सिंचित कर दोजैसे शिव में लीन, हो गई शिवा,ऐसा गौरवान्वित क्षण देदो। सृजन फिर से कर सकूं,दो ऐसी शक्ति, हे देव…॥ कण-कण को शब्दों … Read more