स्मृतियों में हम-तुम

डॉ. विद्या ‘सौम्य’प्रयागराज (उत्तर प्रदेश)************************************************ चलो…एक बार फिर स्मृतियों में,हम तुम खो जाते हैंजी लेते हैं, वो पल और लम्हें,कर लेते हैं, फिर से कुछ बातेंजो अधूरी रह गई थी कुछ ख्वाहिशें,जज़्बात, जो धुल गए थेतेरे-मेरे अश्रु से,मिट गई थी जो लकीरेंतेरी-मेरी हथेलियों से,फिर से खींचते हैं, और सींचते हैंउन सूखे पेड़ों को जिस परलिख … Read more

केवल माँ हूँ

विजयलक्ष्मी विभा प्रयागराज (उत्तरप्रदेश)************************************ समझ सके तो मुझे समझ ले, मैं केवल महिमा हूँ,चाहे जैसे मुझे आजमा, मैं तो केवल माँ हूँ। हर रचना में मेरा हिस्सा,मेरी दुनिया सारीदेख धरा की मिट्टी में भी,मेरी साझेदारीटूट न सकती किसी यत्न से, मैं ऐसी प्रतिमा हूँ। चाहे धरती माता कह तू,चाहे गंगा मैया चाहेगौ माता पुकार ले,चाहे यशुदा … Read more

गर्व सदा तुम पर

सरोजिनी चौधरीजबलपुर (मध्यप्रदेश)********************************** बहा रक्त वीरों का फिर यहसेना ने दिखलाया था,दुश्मन उछल रहा था मद सेउसको यह बतलाया था। आसमान से ऊँची ताक़तरखते हैं समझाया था,हिमगिरि पर फिर जा सेना नेध्वज तिरंग फहराया था। हमें गर्व अपनी सेना परतभी सुरक्षित हम रहते,सीमा की करते रखवालीतभी चैन से हम सोते। ‘विजय दिवस’ हम सभी मनातेयाद … Read more

शीश झुकाते जोड़ें हाथ

urmila-kumari

उर्मिला कुमारी ‘साईप्रीत’कटनी (मध्यप्रदेश )********************************************** अंग्रेजों से लड़ते-लड़ते हार ना मानी वह रानी थी,खूब लड़ी थी अपने बल पर, बलशाली वह रानी थी…। प्रजा की रक्षा की खातिर दुश्मनों को मजा चखाती थी,जीना हराम कर दिया उसने, छक्के छुड़ाती लड़ती थी…। आन-बान-शान-शौकत से उनसे दुश्मन जलते थे,चुन-चुनकर रानी ने खदेड़ा हथियार छोड़ वह भागे थे…। … Read more

हरा-भरा मौसम आया

प्रो.डॉ. शरद नारायण खरेमंडला(मध्यप्रदेश)******************************************* हरा-भरा मौसम आया है, हरियाली से धरा सजी,तीज मनातीं आज नारियाँ, हरी चूड़ियाँ ख़ूब बजीं। सावन के पावन महीने में, उमा-शक्ति की है पूजा,है हरियाली तीज सुहानी, पावन दौर नहीं दूजा। साड़ी हरी पहनकर नारी, मना रहीं हरियाली तीज,पार्वती ने श्रद्धा देखी, दिया सुहागन को आशीष। पुआ बनाये भोग लगाया, गाये … Read more

उसूलों पर चला होगा

हिमांशु हाड़गेबालाघाट (मध्यप्रदेश)**************************************** दूर तक अकेला जाने वाला,कुछ पल तो ठहरा होगाअपनी हर बात का जवाब देने से पहले,कितने समय तक आपकी बात को सुना होगापाँवों के नीचे छाले बता रहे, उसूलों पर चला होगा…। एक राही, कितनी दूर तक अकेला चला होगा,कई पत्थर राह में आए होंगेकदम फिर भी न डगमगाए होंगे,पाँवों के नीचे … Read more

नन्हे बालक मन बहलाते

सरोज प्रजापति ‘सरोज’मंडी (हिमाचल प्रदेश)*********************************************** नन्हे-मुन्ने हैं सबसे प्यारे,हँसते-गाते लगे न्यारेमस्ती, मनमौजी कहलाते,खेलकूद कर मन बहलाते। नादान ये कितने होते,आँख के तारे सबके होतेमोहिनी मूरत, सूरत भोली,शैतानी कर, भोली बोली। टीनू-मीनू बालक दो हैं,चाँद-सा मुखड़ा, फूल दो हैंनिहारे चंद नजर चुराए,लुका-छुपी खिलौना बताए। मटक, ठुमक-ठुमक चलत सानी,छपक-छपक कर चलते पानीनन्हे-नन्हे कदमों से भागे,घुंघरू बांध छम-छम … Read more

‘झूठ’ सच का दुश्मन

संजय एम. वासनिकमुम्बई (महाराष्ट्र)************************************* सच का दुश्मन,सच्चाई का विरोधीयह झूठ हैजो हमेशा ही,दु:ख देता है। झूठी इच्छाएँदु:ख देती हैं,झूठे मूल्य औरझूठे विचारदुःख देते हैं,और डर पैदा करते हैं। लोगों के बीच झूठे रिश्ते,परेशान करते हैंझूठ की बुनियाद,बहुत कमजोर होती हैझूठ हमेशा जीत नहीं सकता,और हम हार जाते हैं। झूठ को त्याग दो,सत्य का स्वीकार करोतुम … Read more

लक्ष्मण रेखा पार करता मानव

हरिहर सिंह चौहानइन्दौर (मध्यप्रदेश )************************************ झूठ का समन्दर अपार,लालच की गगरी फोड़करनिकल रहा मतलबी बन जमाना,क्योंकि लक्ष्मण रेखा पार करता मानव। अपनों को पीड़ा पहुंचा रहे,माँ-बाप को वृध्दाश्रम में भेजकररिश्तों का आज कोई मोल नहीं रहा ?क्योंकि लक्ष्मण रेखा पार करता मानव। आज ऐसे दृश्य बहुत ज्यादा हैं,कहीं बीमारी से त्रस्त बेटाबिस्तर पर लेटा,और पिता … Read more

भोले की धुन में मन

डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’बेंगलुरु (कर्नाटक) ************************************************* भोले की धुन में रमा है मन काँवरियों की टोली का,अनुपम अद्भुत धर्म सनातन भक्तियोग रंग सम होली काहरिद्वार बन गया धाम शुभ गंगाजल शिव हर-हर का,बम-बम भोलेनाथ उमेश्वर विश्वनाथ शिव शंकर की। द्वादश ज्योतिर्लिंग सदाशिव नटराज शम्भु जगदीश्वर जी,पावन सावन मास काँवरियों सजे पथ हरिद्वार गंगाधर काजय-जयकारों काँवरिया … Read more