निकल पड़ी हूँ
सरोजिनी चौधरीजबलपुर (मध्यप्रदेश)********************************** साहित्य सिंधु में निकल पड़ी मैं ले काग़ज़ की कश्ती,लेखनी है पतवार, सहारे जिसके आगे बढ़ती। आ तो गई भरी पुस्तक पर लिखूँ मैं रचना अपनी ऐसी,सोच रही हूँ उस रचना में गहराई हो सागर जैसी। सुख, दुःख, हास्य और उसमें कुछ हों ज्ञान की बातें,पढ़ने वाला भी खुश हो ले, मेरी … Read more