गौरवान्वित ‘हिन्दी’

सौ. निशा बुधे झा ‘निशामन’जयपुर (राजस्थान)*********************************************** हिन्दी का तो स्पंदन प्यारा,हिन्दी का वैभव न्याराआलोकित रूप से सज-धजकर,विश्व में ज्योति के साथ खड़ी। शब्द-शब्द रस हैं घोले,स्वर, छंद, दोहे, सोरठेगुणगान देखे,कहानी-निबंध-उपन्यास भरे हैं। नभ को विभोर करें,धरा में भीतर सीप में जैसेमोती गढे हैं।गुंजायमान है हिन्दी,तुम्हें नमनः प्रणाम है हिन्दी॥

चमेली और बेला की महक

कमलेश वर्मा ‘कोमल’अलवर (राजस्थान)************************************* चमेली, बेला है रात की रानी,महक है इनकी बड़ी सुहानी। घर-घर होती फूलों की क्यारी,चमेली, बेला की महक निराली। फैली हैं खुशबू महका है आँगन,बेला, चमेली से खिल गया आँगन। रात को खिलते सुबह महकते,घर के आँगन में सदा है खिलते। आँगन में छाई चमेली, बेला की बहार,महक उठी फूलों से … Read more

बम भोले त्रिपुरारी

सरोजिनी चौधरीजबलपुर (मध्यप्रदेश)********************************** बम भोले त्रिपुरारीमस्तक शशि शोभाशिव शंकर विषधारी। बाघम्बर तन सोहेजटा-जूट वालेमन गंग-धार मोहे। वृषभ सवारी करेंकर त्रिशूल धर्तासब भक्तों के कष्ट हरें। दधि, दूध शहद घी कालेपन करते हैंस्नान गंगाजल का। बेलपत्र चढ़ाते हैंभाँग और धतुरासब शिव को भाते हैं। शिव हैं भोले-भालेशीघ्र मान जातेसंकट हरने वाले।

क्या यही रिश्तों का सार ?

हरिहर सिंह चौहानइन्दौर (मध्यप्रदेश )************************************ टूट रही है आशाएं,मिट रहा है विश्वासपीठ में खंजर घोंप रहे हैं अपने,क्या यही रिश्तों का सार है…? सात वचन के वह फेरे,सात दिन भी नहीं चल पाए अपनेफिर ऐसा खेल रचाया मिट गए सब बंधन,क्या यही रिश्तों का सार है…? बदनाम इस तरह हुए वह,कलंक लिए और कितना चल … Read more

मेरी आरज़ू

दीप्ति खरेमंडला (मध्यप्रदेश)************************************* बस यही मेरी आरज़ू है,यही है मेरी प्रार्थनाअमन-चैन हो देश में मेरे,सदभाव की हो भावना। हरी-भरी हो धरती अपनी,चेहरे पर सबके मुस्कान रहेलहर-लहर लहराए तिरंगा,मान देश का सदा बढ़े। दीवार न हो जाति-पाति की,बैर-भाव का नाम न होअनेकता में एकता का,मेरा देश मिसाल बने। गीत शांति के गाएं पर,कभी न हम कमजोर … Read more

सलिल सरिता विमल

डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’बेंगलुरु (कर्नाटक) ************************************************* बहे सलिल सरिता विमल, समझो जीवन रत्न।सींच धरा रच उर्वरा, सफल किसान प्रयत्न॥ तरंगिणी अविरल बहे, सींचे विश्व जमीन।शस्य श्यामला हरितिमा, सुलभ धनी अरु दीन॥ तटिनी दुनिया हजारों, बहती निर्मल धार।गिरतीं चट्टानों शिखर, दर्रे घाटी मार॥ सरिता जीवन दायिनी, सदा बुझाती प्यास।गिरि झरने पोखर कुआँ, सलिला भरे मिठास॥ सप्तपदी … Read more

खिला है मोगरा

संजीव एस. आहिरेनाशिक (महाराष्ट्र)********************************************* धुंध गंध फैला मकरंद कहाँ खिला है ये वनचरा,अपने ही छंद बन आनंदकंद खिला है मोगराउंडेल कर सुगंध हवा जो मंद उत्तान खिला है मोगरा,पसरा मकरंद हवा के छंद धुंध-सा खिला है मोगरा। पी कर गंध धुंध खिला मन रंध्र-रंध्र ये कौन वसंत ?अपनी ही धुन में गा रहा छंद-छंद प्रकृति … Read more

सतत करें अभ्यास

डॉ.एन.के. सेठी ‘नवल’बांदीकुई (राजस्थान) ********************************************* सतत् करें अभ्यास, काव्य बन जाए न्यारा।बनें काव्य मर्मज्ञ, काव्य रस बहती धारा॥सुधिजन देते मान, सुयश जीवन में खिलता।कवि की सृष्टि अपार,नहीं दुख इसमें मिलता॥ बिना किए अभ्यास, ज्ञान मिट जाता सारा।जीवन हो रसहीन, अकेला मनुज बिचारा॥करिए नित्य सुधार, तभी जीवन बदलेगा।नित्य बढ़ाएं ज्ञान, तमस अज्ञान हटेगा॥ परिचय-पेशे से अर्द्ध … Read more

गंगा के पार

संजय सिंह ‘चन्दन’धनबाद (झारखंड )******************************** चाहता था उद्धार, पहुँचा हरिद्वार,वेग माँ का प्रचंड था तेज गंग धारबचपन से इच्छा थी पहुँचूँ हरिद्वार,किया गंगा में स्नान, तीव्र थी जलधार। धीरे ही उतरा था सीढ़ी किनारे भीड़ अपार,सीकड़ पकड़ी थी, सोचा डुबकी लूँ पाँच बारखिसका थोड़ा पाँव, सो गया गंगा में मझधार,फिर गंगा ने दिया वेग का … Read more

मुश्किल हो गया सफ़र

कमलेश वर्मा ‘कोमल’अलवर (राजस्थान)************************************* बड़ा ही मुश्किल-सा हो गया है जीवन का सफ़र,उलझनों के संग गुज़र रहा है जीवन का सफ़र। समझ ही नहीं पाता है कोई, कैसे जी रहे हैं हम!मासूमियत से भरा है जीवन, बस जी रहे हैं हम। बयां भी नहीं कर सकते हैं किसी से अपनी बातें,कुछ पता नहीं कोई क्या … Read more