हरियाली भा रही
प्रो.डॉ. शरद नारायण खरेमंडला(मध्यप्रदेश)******************************************* हरियाली सावन की मन को भा रही है,हरियाली सावन की मन को लुभा रही है। हरियाली के गीत गा रहा है पावस,नदियाँ-नाले बह रहे हैं हँस-हँस।धरती का श्रृंगार कर दिया हरियाली ने,धरती को सुशोभित किया है ईश माली ने।हरियाली की झाँकी सबको ही सुहा रही है,हरियाली सावन की मन को लुभा … Read more