हरियाली भा रही

प्रो.डॉ. शरद नारायण खरेमंडला(मध्यप्रदेश)******************************************* हरियाली सावन की मन को भा रही है,हरियाली सावन की मन को लुभा रही है। हरियाली के गीत गा रहा है पावस,नदियाँ-नाले बह रहे हैं‌ हँस-हँस।धरती का श्रृंगार कर दिया हरियाली ने,धरती को सुशोभित किया है ईश माली ने।हरियाली की झाँकी सबको ही सुहा रही है,हरियाली सावन की मन को लुभा … Read more

बरसे श्यामल घन

सरोजिनी चौधरीजबलपुर (मध्यप्रदेश)********************************** बागों में पिक के बोल,कोयल भी कण्ठ खोलअपने मधुर गीत,सबको सुनाती है। बरसे श्यामल घन,घबराये मेरा मनसाजन भी परदेश,रैन नहीं सुहाती है। कैसे समझायें हम,कैसे बतलाएँ हमसखियाँ भी बार-बार,मुझको बुलाती हैं। कैसे मैं करूँ श्रृंगार,जीवन ही लगे भारप्रियतम के आने की,खबर लुभाती है॥

महादेव अनंत

हिमांशु हाड़गेबालाघाट (मध्यप्रदेश)**************************************** देव तुम, मनुष्य हम,देता तू, लेता तूअघोर है, घनघोर है,आदि है, अनंत है।आपकी महिमा का बखान कैसे करूँ,सर्वव्यापी महादेव को नमन…॥ पल-पल हारा, पलभर में जीता,विघ्नों को हर लेते होशांति प्रदान कर देते हो,मेरी अंतरात्मा में बसे होकण-कण में विराजमान तुम।आपकी महिमा का बखान कैसे करूँ,सर्वव्यापी महादेव को नमन…॥ सभी प्रकार के … Read more

मौन का महत्व

दीप्ति खरेमंडला (मध्यप्रदेश)************************************* मौन एक योग है,मौन है आराधनामौन में ही शक्ति है,मौन आत्मसाधना। मौन जो न पढ़ सके,ज्ञान उसका व्यर्थ हैशब्द जो न कह सकें,वहाँ मौन समर्थ है। शब्द चंचल हैं बहुत,मौन धीर है, गंभीर हैशब्द सीमित हैं मगर,मौन तो अनंत है। शब्द अगर आसक्ति है,तो मौन विरक्ति भाव है।शब्द जिससे टकराकर ध्वस्त हों,मौन … Read more

रिश्तों को बाँधिए नहीं

डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’बेंगलुरु (कर्नाटक) ************************************************* कहाँ गया रिश्तों में प्रेम…?… कहाँ गया रिश्तों में प्रेम आज तनिक चिन्तन भी करने दें,अपनापन मधुरिमा लोभ तम खुद के रिश्तों क्यों मरने देंअति कोमल नाजुक किसलय सम रिश्ते होते हैं इस दुनिया,मृगतृष्णा के मकड़जाल फँस रिश्ता डोर नहीं टूटने दें। रिश्तों को बाँधिए नहीं, अनुभूति आत्मरस भरने … Read more

एक चिंतन

प्रो.डॉ. शरद नारायण खरेमंडला(मध्यप्रदेश)******************************************* कर्म बड़ा या जाति प्रश्न‌ यह तो चोखा है,कर्म बड़ा होता मानो, नहीं कोई धोखा है। कर्म से जीवन बनता, यह ही सब मानो।कर्म की गति-मति को, सब ही पहचानो। ऊँच-नीच में रखा नहीं कुछ, सब बेमानी,समता को धारण करने की क्यों न है ठानी। आज नया चिंतन, नव जीवन लाना … Read more

जिंदा हो क्या…??

सीमा जैन ‘निसर्ग’खड़गपुर (प.बंगाल)********************************* चाहे हाँ कहो या ना कहो, कुछ तो तुम प्रतिक्रिया करो,व्यवहार को सहज-सरल बनाकर, अपने विचार तो प्रकट करो ?गर ज़िंदा हो तो… सबूत भी दो। मुँह सिए तुम क्यों बैठे हो, क्यूँ सबको तकते रहते हो,आखिर कैसी दुश्वारी है, क्या-क्या मन में भरे हुए हो ?गर ज़िंदा हो तो… सबूत … Read more

हमने भारत देखा है

संजय सिंह ‘चन्दन’धनबाद (झारखंड )******************************** हमने अब तक भारत देखा है-जात-पात पर लड़ते-कटते,धर्म-सम्प्रदाय में बंटते-मिटतेप्रांतवादी-भाषावादी जहर उगलते,नर-नारी पर रोज उलझते। हमने अब तक भारत देखा है-उग्रवाद-नक्सलवाद को पनपते,सैनिक पराक्रम में परिजन को बिलखतेआज़ाद शहीदों की बात क्या वो थे देश में सस्ते,क्या क्यों दोगे ‘भारतरत्न’ तुम ? लूट लिए गुलदस्ते। हमने अब तक भारत देखा … Read more

इंसानियत का फ़र्ज निभा

हरिहर सिंह चौहानइन्दौर (मध्यप्रदेश )************************************ चल रही है यह पवित्र यात्रा,भोले की भक्ति जिसमें शक्ति हैउठा काँवड़ रख कन्धे पर,और इंसानियत का फ़र्ज निभा। भेद-भाव त्याग कर नफ़रत मिटा,जिम्मेदार बन अपनी जिम्मेदारी निभाभोले तेरे साथ हैं बस जरा उन्हें बुला,और इंसानियत का फ़र्ज निभा। दु:ख-तकलीफ बहुत है संसार में,इसे मिटाने हेतु आगे आभूखे को भोजन … Read more

आया सावन झूमकर

urmila-kumari

उर्मिला कुमारी ‘साईप्रीत’कटनी (मध्यप्रदेश )********************************************** झूम-झूमकर काली बदरिया आज धरती पर,काले-काले घनघोर बदरिया सावन वर्षा धरती पर। हरी-भरी हुई अपनी वादियाँ, खेतों में फसलें लहराई,बरसात आगमन से देखो धरती ने ली फिर अंगड़ाई। सावन का महीना लगता सुहावना बरस रहा झूमकर,पावन है भोलेनाथ का महीना लाया वर्षा यह झूमकर। उमड़-घुमड़ कर छाई घटा है प्रकृति … Read more