सरोजिनी चौधरी
जबलपुर (मध्यप्रदेश)
**********************************
चीं चीं चीं चीं करती चिड़िया
रोज़ वहीं पर आती चिड़िया,
जहाँ बैठती मैं नित जाकर
आस-पास मँडराती चिड़िया।
समय से पहले वो आ जाती
जैसे लेती नित्य परीक्षा,
पानी लेकर एक कटोरा
मैं भी करती उसकी प्रतीक्षा।
एक दिन बोली मैं चिड़िया से-
ओ मेरी नन्ही-मुन्नी चिड़िया,
पंख तुम्हारे बड़े काम के
जब चाहे उड़ जाओ बढ़िया।
वह बोली-यह बल है मेरा
यही सहारा बस है मेरा,
मैं उड़-उड़ कर इधर-उधर से
खाना खोजूँ होते सबेरा।
सबको काम है पड़ता करना,
बिना काम के नहीं गुज़ारा।
ईश्वर ने भी पेट दे दिया,
इसको भरना काम है मेरा॥