अनिल कसेर ‘उजाला’
राजनांदगांव(छत्तीसगढ़)
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बिदा हो के जब तू गई बेटी,
आँखें लगे जैसे समंदर है कोई
आँसू बहते जाते हैं धार रुकती नहीं,
वर्षों से तू मेरे आँगन में खेली
अब लग रहा तेरी माँ हो गई अकेली,
तेरे मिलन की ही मन को आस रहती है…
जैसे सालों से स्नेह की ‘प्यास’ बाकी है।
भाई-बहन अब तेरे लड़ना भूल गए,
बस तेरी ही यादों में गुमसुम रहते हैं
सुबह होते ही लगता है,
‘पापा’ बोल के तू छुप कहीं
फिर याद आता है,
बाबुल का घर छोड़ पिया के साथ गई
जमाने का ये दस्तूर निराला है,
मैंने भी किसी के घर की ज्योति से
घर अपना किया ‘उजाला’ है।
पिता के हृदय से दुआ निकलती है,
न रहे कोई भी तेरी ‘प्यास’ बाकी
हो हर आस तेरी पूरी॥
परिचय –अनिल कसेर का निवास छतीसगढ़ के जिला-राजनांदगांव में है। आपका साहित्यिक उपनाम-उजाला है। १० सितम्बर १९७३ को डोंगरगांव (राजनांदगांव)में जन्मे श्री कसेर को हिन्दी,अंग्रेजी और उर्दू भाषा आती है। शिक्षा एम.ए.(हिन्दी)तथा पीजीडीसीए है। कार्यक्षेत्र-स्वयं का व्यवसाय है। इनकी लेखन विधा-कविता,लघुकथा,गीत और ग़ज़ल है। कुछ रचनाएं पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुकी हैं। आपकी लेखनी का उद्देश्य-सच्चाई को उजागर करके कठिनाइयों से लड़ना और हिम्मत देने की कोशिश है। प्रेरणापुंज-देशप्रेम व परिवार है। सबके लिए संदेश-जो भी लिखें,सच्चाई लिखें। श्री कसेर की विशेषज्ञता-बोलचाल की भाषा व सरल हिन्दी में लिखना है।