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भारतेंदु हरिश्‍चंद्र का लोकोत्‍तर कार्य आज भी प्रासंगिक-कुलपति

राष्‍ट्रीय संगोष्‍ठी….

वर्धा(महाराष्ट्र)l

भारतेंदु हरिश्‍चंद्र स्‍वतंत्रता आंदोलन को गति देने वाले योद्धा थे। उन्‍होंने अपनी लेखनी से भारतीय साहित्‍य और पत्रकारिता को एक नया आयाम दिया। भारतेन्दु जी द्वारा पांच वर्ष की आयु में लिखी गई कविता हिन्दी साहित्य के लिए मंगलाचरण मानी जा सकती है। २३-२४ वर्ष की आयु में भारतेन्दु ने एक ऐसे विश्वविद्यालय की कल्पना की,जहां भारतीय भाषा में ज्ञान-विज्ञान की शिक्षा प्राप्त हो। भारतेन्दु हरिश्चन्द्र के कालखंड में खड़े होकर आज के कालखंड को देखने की आवश्यकता है। भारतेंदु की दृष्टि भारत की अनादी परंपरा को विस्‍तारित करती है।

         महात्‍मा गांधी अंतरराष्‍ट्रीय हिंदी विश्‍वविद्यालय(वर्धा) के कुलपति प्रो. रजनीश कुमार शुक्‍ल ने यह विचार व्यक्‍त किए। `भारतेंदु हरिश्‍चंद्र की पत्रकारिता एवं उनका साहित्‍य` विषय पर अटल बिहारी वाजपेयी भाषा साहित्‍य और पत्रकारिता शोध संस्‍थान(हिंदी विभाग,महात्‍मा गांधी काशी विद्यापीठ,वाराणसी) एवं इंटिग्रेटेड सोसाइटी ऑफ मीडिया प्रोफेशनल्‍स(लखनऊ) के संयुक्‍त तत्‍वावधान में ९ सितम्बर को भारतेंदु हरिशचंद्र की १७१वीं जयंती के अवसर पर ऑनलाईन राष्‍ट्रीय संगोष्‍ठी के उदघाटन कार्यक्रम में बतौर मुख्‍य अतिथि कुलपति प्रो. शुक्‍ल संबोधित कर रहे थे। उद्घाटन वक्तव्य देते हुए काशी विश्‍वविद्यालय के प्रो. अवधेश प्रधान ने कहा कि,भारतेन्दु हरिश्चन्द्र का स्मरण स्वयं का ही स्मरण है। भारतेन्दु जी ने साहित्य को यथार्थवादी बनाया।  हरिश्चन्द्र जी ने समाज में साहित्यकारों की भूमिका बदली। भारतेन्दु जी कभी हिन्दी और उर्दू के झगड़े में नहीं पड़े।

उद्घाटन सत्र की अध्यक्षता कर रहे काशी विद्यापीठ के कुलपति प्रो. टी. एन. सिंह ने कहा कि,भारतेन्दु हरिश्चन्द्र जी के साहित्य अपने समय की सच्चाई को स्पष्ट करते हैं। उनकी पत्रकारिता में देश के उत्थान की चिंताएं दिखती हैं। इस सत्र में मानविकी संकाय काशी विद्यापीठ की संकायाध्यक्ष प्रो. शशि देवी सिंह की विशिष्ट अतिथि के तौर पर मौज़ूदगी रही। संचालन राष्ट्रीय वेब संगोष्ठी के संयोजक सुमित कुमार पाण्डेय ने किया। स्वागत प्रो. अनुराग कुमार ने कियाl धन्यवाद ज्ञापन महात्‍मा गांधी अंतरराष्‍ट्रीय हिंदी विवि के जनसंपर्क अधिकारी बुद्धदास मिरगे ने किया।

इस आयोजन के समापन सत्र की अध्यक्षता करते हुए पद्मश्री और जाने-माने वरिष्ठ पत्रकार एवं इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र के अध्यक्ष रामबहादुर राय ने कहा कीl समापन वक्तव्य महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय के प्रो. कृपाशंकर चौबे ने दियाl समापन सत्र में बतौर मुख्य अतिथि वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय(जौनपुर)की कुलपति प्रो. निर्मला एस. मौर्य ने भी अपनी बात रखीl सत्र का संचालन डॉ. प्रभा शंकर मिश्र ने कियाl धन्यवाद ज्ञापन सुमित कुमार पाण्डेय ने किया।

संगोष्ठी में ६०० से अधिक प्रतिभागियों ने पंजीयन कराया और ३००० से अधिक प्रतिभागी भारतवर्ष के कई प्रदेशों से फेसबुक आदि के जरिए जुड़े रहे।

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