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नमन करो उन चरणों को

डॉ.विजय कुमार ‘पुरी’
कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) 
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आज़ादी के परवानों को,याद हमेशा करना।
स्वर्ग में बैठे उन वीरों को ठेस लगेगी वरना॥
लड़ी लड़ाई आज़ादी की,फूले नहीं समाए हैं।
ज़र्ज़र कश्ती को साहिल तक लेकर वे ही आए हैं॥

लाठी गोली बम धमाके,
रूखी-सूखी फाकम-फाके।
जान की बाज़ी लगा गए वो,
थे वीर पूत वे इस धरा के।
अंग्रेजों के शोषण से वे अधिकाधिक सताए हैं।
तोड़ गुलामी की ज़ंजीरें,मन ही मन हर्षाये हैं॥

रोक सके न आँधी तूफ़ां,
उनके बढ़ते चरणों को।
जहां धरा पग,वन्दन करके,
नमन करो उन चरणों को।
शीश झुकाओ उन माँओं को ऐसे जिनके जाये हैं।
ज़र्ज़र कश्ती को साहिल तक लेकर वे ही आए हैं॥

ज़ोर ज़ुल्म से हार न मानी,
अर्पण कर दी भरी जवानी।
जग में उनका कोई न सानी,
भूल न जाना तुम कुर्बानी।
सुंदर सपने उनके अब क्यों,हमने दिए भुलाए हैं।
ज़र्ज़र कश्ती को साहिल तक लेकर वे ही आए हैं॥

परिचय-डॉ. विजय कुमार का साहित्यिक उपनाम ‘पुरी’ है। वर्तमान में हिमाचल प्रदेश के ग्राम पदरा (तहसील पालमपुर)में स्थाई रुप से बसे हुए डॉ. कुमार का जन्म जिला कांगड़ा के पालमपुर में १२ अक्टूबर १९७३ को हुआ। आपको हिंदी,अंग्रेजी,हिमाचली पहाड़ी भाषा का ज्ञान है। पर्यटन के धनी राज्य हिमाचल वासी ‘पुरी’ की पूर्ण शिक्षा पी.एच-डी.,एम.फिल. एवं नेट,स्लेट,बीएड है। पेशे से प्राथमिक शिक्षक हैं। सामाजिक गतिविधि में संस्था के पदाधिकारी हैं। लेखन विधा-गीत,कविता,कहानी एवं समीक्षा है। ‘पहचान’ काव्य संग्रह सहित ‘मालती जोशी के कथा साहित्य में मध्यवर्गीय चेतना’ समीक्षात्मक पुस्तक प्रकाशित है तो ‘कांगड़ा के लोकगीत-जीवनशैली एवं रीति-रिवाज’ अनुसंधानात्मक पुस्तक का सम्पादन आपके नाम है। आप २ हिंदी पत्रिका का सम्पादन भी देखते हैं। इनकी रचनाएं अनेक पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हैं। प्राप्त सम्मान-पुरस्कार में आपके साहित्यिक खाते में-राज्य स्तरीय शिक्षक सम्मान (हिमाचल सरकार- २०१९),अकादमी अवार्ड (जालंधर) एवं ‘साहित्यश्री सम्मान’ आदि हैं। आपकी लेखनी का उद्देश्य-समाज सापेक्ष रचनाकर्म है। पसंदीदा हिन्दी लेखक-तुलसीदास,मैथिली शरण गुप्त हैं,तो प्रेरणापुंज-माता-पिता हैं। देश और हिंदी भाषा के प्रति आपके विचार-
“अपने ही घर में हारती,ये हिन्दी क्यों लाचार है।
यह भाषागत नीति नहीं,व्यापार ही व्यापार है॥”

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