अजय जैन ‘विकल्प’
इंदौर (मध्यप्रदेश)
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मित्रता-ज़िंदगी…
‘मित्रता’,
है ज़िंदगी
जिसने निभाया रिश्ता,
वो अपना
कृष्ण।
‘मित्रता’,
किस्सा अनमोल
संस्कार-सम्मान-समृद्धि,
बिना ज़िंदगी
खालीपन।
‘मित्रता’,
शिकवा-शिकायत
अनूठा सम्बन्ध दुनिया,
अतुलनीय यारी
अपनापन।
‘मित्रता’,
मतलब धड़कन
स्वार्थ से परे,
जीवन भर
आनंद।
‘मित्रता’,
सबसे ऊँची
दोस्ती करना आसान,
निभाना मुश्किल
मदद।
‘मित्रता’,
घनिष्ठ-अभिन्न
एक-दूजे खातिर,
बरसे प्रेम
साँस।
‘मित्रता’,
बादल-पानी
धरा-हवा-पेड़,
कृष्ण-सुदामा
निश्छल।
‘मित्रता’,
सुख नहीं
समझे अपनी पीड़ा,
रहे साथ
विपत्ति।
‘मित्रता’
हो निष्कपट
भाव हो देना,
ईश्वर देखता
ख़ुशी।
‘मित्रता’
प्रेम बंधन
दुर्लभ मित्र सच्चे।
उम्र अलग,
मनमौजी॥