कुल पृष्ठ दर्शन : 319

You are currently viewing मुस्कान

मुस्कान

डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’
बेंगलुरु (कर्नाटक)

****************************************************

जठरानल में अन्न हो,होंठों पर मुस्कान।
सबके तन पर हो वसन,सबके पास मकानll

धन वैभव सुख इज्जतें,सबको सदा नसीब।
सभी बने शिक्षित सबल,सोचे नव तरकीबll

सर्व समाज नित प्रगति हो,खुशियाँ मिले अपार।
दीन हीन अरु पददलित,हो जीवन उद्धारll

न्याय व्यवस्था आम जन,मानक शिक्षा नीति।
ऊँच नीच दुर्भाव मन,मिटे मिलें सब प्रीतिll

जाति धर्म को सब तजे,मानवता हो गान।
सदाचार नैतिक सभी,सबको दें सम्मानll

सब सबकी चाहें भला,रखें भाव परमार्थ।
रोग विरत मानस विमल,हो चिन्तन आधारll

हो सुभाष नव पल्लवित,कोमल रस मकरन्द।
पाएँ मन संतोष सब,कुसमित मुख आनन्दll

समरस मन संचार जन,भाव हृदय सहयोग।
खिले बेटियाँ मुख कमल,अभय सबल मनयोगll

जनता मन विश्वास तब,हो शासक ईमान।
चहुँदिशि जब सुख शान्ति हो,खिले खुशी मुस्कानll

सदा पूज्य मेधा बने,बिना जाति मन भेद।
जीने का अधिकार सब,हो घृणा कपट उच्छेदll

मधुरिम वेला अरुणिमा,सब हों देश समान।
कीर्ति कुमुद मुस्कान नव,हो जीवन संधानll

सदा समुन्नत जन वतन,तभी समुन्नत देश।
शौर्य कीर्ति सम्मान हो,शान्ति सुखद परिवेशll

आपस में सद्भावना,मिलकर चलें विकास।
मधु माधव मुस्कान जग,फैले सुखद सुवासll

तभी सफल कवि कामिनी,पाठक मन उल्लास।
अलंकार ध्वनि नवरसा,रीति-प्रीति गुण हासll

शब्द अर्थ कवि कल्पना,सर्जन कृति सम्मान।
दर्शक पाठक कर श्रवण,दिखे ओष्ठ मुस्कानll

परिचय-डॉ.राम कुमार झा का साहित्यिक उपनाम ‘निकुंज’ है। १४ जुलाई १९६६ को दरभंगा में जन्मे डॉ. झा का वर्तमान निवास बेंगलुरु (कर्नाटक)में,जबकि स्थाई पता-दिल्ली स्थित एन.सी.आर.(गाज़ियाबाद)है। हिन्दी,संस्कृत,अंग्रेजी,मैथिली,बंगला, नेपाली,असमिया,भोजपुरी एवं डोगरी आदि भाषाओं का ज्ञान रखने वाले श्री झा का संबंध शहर लोनी(गाजि़याबाद उत्तर प्रदेश)से है। शिक्षा एम.ए.(हिन्दी, संस्कृत,इतिहास),बी.एड.,एल.एल.बी., पीएच-डी. और जे.आर.एफ. है। आपका कार्यक्षेत्र-वरिष्ठ अध्यापक (मल्लेश्वरम्,बेंगलूरु) का है। सामाजिक गतिविधि के अंतर्गत आप हिंंदी भाषा के प्रसार-प्रचार में ५० से अधिक राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय साहित्यिक सामाजिक सांस्कृतिक संस्थाओं से जुड़कर सक्रिय हैं। लेखन विधा-मुक्तक,छन्दबद्ध काव्य,कथा,गीत,लेख ,ग़ज़ल और समालोचना है। प्रकाशन में डॉ.झा के खाते में काव्य संग्रह,दोहा मुक्तावली,कराहती संवेदनाएँ(शीघ्र ही)प्रस्तावित हैं,तो संस्कृत में महाभारते अंतर्राष्ट्रीय-सम्बन्धः कूटनीतिश्च(समालोचनात्मक ग्रन्थ) एवं सूक्ति-नवनीतम् भी आने वाली है। विभिन्न अखबारों में भी आपकी रचनाएँ प्रकाशित हैं। विशेष उपलब्धि-साहित्यिक संस्था का व्यवस्थापक सदस्य,मानद कवि से अलंकृत और एक संस्था का पूर्व महासचिव होना है। इनकी लेखनी का उद्देश्य-हिन्दी साहित्य का विशेषकर अहिन्दी भाषा भाषियों में लेखन माध्यम से प्रचार-प्रसार सह सेवा करना है। पसंदीदा हिन्दी लेखक-महाप्राण सूर्यकान्त त्रिपाठी ‘निराला’ है। प्रेरणा पुंज- वैयाकरण झा(सह कवि स्व.पं. शिवशंकर झा)और डॉ.भगवतीचरण मिश्र है। आपकी विशेषज्ञता दोहा लेखन,मुक्तक काव्य और समालोचन सह रंगकर्मी की है। देश और हिन्दी भाषा के प्रति आपके विचार(दोहा)-
स्वभाषा सम्मान बढ़े,देश-भक्ति अभिमान।
जिसने दी है जिंदगी,बढ़ा शान दूँ जान॥ 
ऋण चुका मैं धन्य बनूँ,जो दी भाषा ज्ञान।
हिन्दी मेरी रूह है,जो भारत पहचान॥

Leave a Reply