डॉ. आशुतोष
गुरुग्राम(हरियाणा)
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फागुन संग-जीवन रंग (होली) स्पर्धा विशेष…

रंगों का अनुराग लेकर आया फागुन,
मन है मेरा बाग-बाग हे प्रिये सुन।
होली के रंग में डूबें ऐसे,
श्याम रंग में राधा जैसे।
प्रकृति का रंग है मनभावन,
शोभित है धरती का आँगन।
फागुन में वृद्ध भी जवान हैं,
ये श्रेष्ठ ऋतु ही तो महान है।
बहुरंगी हो गया तन-मन।
आ गए घर मेरे जीवन-धन।
तन-मन में उठी तरंग है।
रोम-रोम में उमंग है।
फ़ागुन-वसंत दोनों का संजोग है,
राग-रंग का ये महायोग है।
होली के रंग जीवन के संग,
धरती के कण-कण में है अनंग।
होली है बड़ी मनभावन।
बड़ी सजीली और अति पावन॥